लोकसभा चुनाव 2019 : पुरी में कभी नहीं जीत पाई भाजपा, इस बार संबित पात्रा मैदान में
गुरुवार, 18 अप्रैल 2019 (13:12 IST)
पुरी। अध्यात्म और पर्यटन के लिए विश्वभर में मशहूर ओडिशा का पुरी कभी कांग्रेस का गढ़ हुआ करता था लेकिन पिछले 2 दशकों से यहां बीजू जनता दल (बीजद) की बादशाहत है। भाजपा ने इस बार अपने प्रवक्ता संबित पात्रा को यहां चुनाव मैदान में उतारा है।
भगवान जगन्नाथ की नगरी के रूप में विख्यात पुरी में अभी तक भारतीय जनता पार्टी को जीत का आशीर्वाद नहीं मिला है। पिछले लोकसभा चुनाव में मोदी लहर का भी यहां असर नहीं दिखा और भाजपा को जीत नहीं मिली। गत 2 आम चुनावों में बीजद की जीत का परचम लहरा रहे पिनाकी मिश्रा इस बार भी चुनाव की पिच पर डटे हैं और हैट्रिक लगाने की कोशिश में लगे हैं।
भाजपा ने इस बार अपने प्रवक्ता संबित पात्रा को यहां चुनाव मैदान में उतारा है। लोकसभा चुनाव के उम्मीदवारों की घोषणा से पहले प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के यहां से चुनाव लड़ने की चर्चा जोरों पर थी, लेकिन डॉ. पात्रा को उम्मीदवार घोषित किए जाने के बाद इन कयासों पर विराम लग गया।
पार्टी प्रवक्ता के रूप में टीवी चैनलों में बहस और परिचर्चा के दौरान तर्क-वितर्क करने और धाराप्रवाह बोलने की वजह से कभी-कभी विवाद का विषय बने पात्रा पुरी में 'चुनाव यात्रा बनाम भोजन यात्रा' के जरिए भी आकर्षण का केंद्र बने हैं। डॉ. पात्रा चुनाव प्रचार के दौरान कभी किसी पिछड़े दलित के घर चले जाने और उनके यहां भोजन करने से भी गुरेज नहीं कर रहे हैं।
कांग्रेस ने पत्रकार से नेता बने सत्यप्रकाश नायक को अपना उम्मीदवार बनाया है। एक दिलचस्प तथ्य यह भी है कि यहां से चुनाव लड़ रहे बीजद के पिनाकी मिश्रा, भाजपा के संबित पात्रा तथा कांग्रेस के सत्यप्रकाश नायक अपनी-अपनी पार्टी के प्रवक्ता भी हैं और इस तरह से पुरी के चुनाव ने 'वॉर बिट्वीन पार्टीज स्पोक्समैन' का भी रूप ले लिया है।
पुरी स्थित 'गोल्डन बीच' समुद्र की विशाल बलखाती लहरों के लिए यहां आने वाले पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र है। चुनाव के माहौल को लेकर यहां गोल्डन बीच के समीप एक होटल के प्रबंधक विजय चक्रवर्ती ने कहा कि पुरी की अर्थव्यवस्था मुख्यत: पर्यटन पर ही निहित है।
उन्होंने कहा कि राज्य में बीजद सरकार अच्छा काम कर रही है तथा पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए उसने काफी कदम उठाए है जिसका लाभ बीजद और उसके उम्मीदवारों को मिलता रहेगा। पुरी निवासी और भुवनेश्वर में एमबीए की छात्रा नीना मोहंती ने भी कमोबेश यही मंतव्य व्यक्त किया।
पुरी और आसपास के प्रमुख पर्यटन स्थलों में गाइड का काम करने वाले निवास धर का कहना है कि परिवर्तन संसार का नियम है और कुछ भी अपरिवर्तनीय नहीं है। उन्होंने कहा कि पुरी में इस बार बदलाव का माहौल है और वैसे भी इसकी झलक 2017 में स्थानीय चुनाव के दौरान मिल चुकी थी। भाजपा ओडिशा में अपना जनाधार बढ़ाने के लिए प्रयासरत है और इसका प्रतिफल उसे जरूर मिलेगा।
इस लोकसभा क्षेत्र में 7 विधानसभा सीटें हैं। इनमें से 5 बीजद तथा 1-1 सीट भाजपा और निर्दलीय के खाते में हैं। इस बार के लोकसभा चुनाव में बीजद, कांग्रेस और भाजपा के अलावा बहुजन समाज पार्टी, अखिल भारतीय हिन्दू महासभा और कलिंग सेना ने भी अपने उम्मीदवार उतारे हैं।
इस सीट के लिए 3रे चरण में 23 अप्रैल को मतदान होगा और 1 महीने बाद 23 मई को मतगणना के बाद पता चलेगा कि इस बार भगवान जगन्नाथ की 'कृपा' किस पर रही और जनता-जनार्दन ने किसे अपना नुमाइंदा चुना?