अफजाल के बड़ी बेटी नुसरत और नूरिया अपने चाचा मुख्तार अंसारी की कमी को पूरा करने के लिए चुनावी प्रचार में उतरी हैं। अफजाल के लिए इससे पहले मुख्तार चुनावी बिसात तैयार करते थे, उनकी हत्या के बाद यह पहला मौका है जब वह अकेले अपने चुनाव की तैयारी में दुखी मन से जुटे, बेटी नुसरत ने पिता के दर्द को समझा और उनके प्रचार के लिए कमर कस ली।
नूरिया जगह-जगह सपा महिला विंग के साथ नुक्कड़ पाठशाला देशी तरीके से लगा रही है। वह महिलाओं के घेरे में सिर पर दुपट्टा रखकर बता रही है कि इस बार मोदी सरकार को उखाड़ फेंकना है, यह काम हम अपने लिए नहीं कर रहे हैं, आपकी आने वाली पीढ़ी को गुलामी न सहनी पड़े इसलिए कर रहे हैं। एक-एक वोट की ताकत ही सर्वोपरि है, अखिलेश यादव और राहुल गांधी मोदी सरकार से लड़ रहे हैं और आप (जनता) उनकी ताकत हो। अकेले लड़ा नहीं जा सकता, जब मुट्ठी बंद होती है तो वह ताकत बन जाती है और खुलने पर बिखर जाती है, अलग हो जाती है। इस सभी वोटर अपनी ताकत को पहचाने और सत्ता से मोदी सरकार को उखाड़ फेंके, जैसे वर्षों पहले अग्रेंजी हुकूमत को भगाया था।
नूरिया ने कहा कि जब आप वोट डालने जाएंगे तो मशीन के ऊपर साइकिल का बटन दबाएं और तीन तक गिनती गिने। जब मशीन से आवाज आए और बराबर वाली मशीन में साइकिल की पर्ची दिखाई दे तो समझ लेना कि वोट सही जगह पहुंच गई है। हमें वोट मोदी सरकार हटाने, भ्रष्टाचार खत्म करने, बेरोजगारी के खिलाफ और महंगाई हटाने के लिए करना है। ये वे लोग हैं जो आपको सपने दिखाते हैं कि चप्पल पहनकर भी हवाई जहाज में यात्रा कर सकेंगे। इस महंगाई में गरीब का यह सपना पूरा नहीं हो सकता है।
गाजीपुर के महाराजगंज के चक फैज सेमरी गांव में प्रचार के दौरान जुटी महिलाओं ने भी मोदी सरकार की खांमियों को बताते हुए नूरिया के सुर से सुर मिलाए। कोरोना में दीपक जलाकर थाली और ताली बजाकर जनता को कैसे मूर्ख बनाया, कोरोना में गंगा नदी में लाशें ही नजर आ रही थीं, नूरिया ने गाजीपुर की जनता को बताया। माना जा रहा है कि कोर्ट से अफजाल अंसारी की सजा पर फैसला भी आ सकता है, ऐसे में यदि अफजाल अंसारी को सजा होती है तो वे चुनाव लड़ पाएंगे या नहीं, यह स्पष्ट नहीं है।