Loksabha election and RSS next step: अबकी बार 400 बार का नारा देने वाली भाजपा के लिए 4 जून की तारीख एक धक्के के रूप में दर्ज हो गई है। लोकसभा चुनाव के नतीजों की तस्वीर लगभग साफ हो गई है। एग्जिट पोल से अति आत्मविश्वास से लबरेज भाजपा आज शाम से ही एक गहरे राजनीतिक चिंतन में डूब जाएगी। जाहिर है पीएम नरेंद्र मोदी के माथे पर शिकन आ गई होगी। भाजपा की इस अधूरी हार के बाद नागपुर में संघ कार्यालय भी सक्रिय हो गया है। ऐसे में अटकलें लगाई जा रही हैं कि अगर भाजपा को बहुमत नहीं मिलता है या ऐन मौके पर कुछ अप्रत्याशित होता है तो क्या संघ प्रधानमंत्री का चेहरा बदलने का दांव खेल सकता है। अगर ऐसा होता है तो क्या वो चेहरा नितिन गडकरी का हो सकता है।
तो बिगड़ सकता है भाजपा का खेल : नागपुर नवभारत के समूह संपादक और नागपुर से लेकर विदर्भ समेत पूरे महाराष्ट्र की राजनीति को बेहद करीब से देखने वाले वरिष्ठ पत्रकार संजय तिवारी ने वेबदुनिया को बताया कि राजनीति असंख्य संभावनाओं से भरा खेल है। ऐसे में कुछ भी तय नहीं है, लेकिन यह नंबर का खेल है। नंबर एनडीए के पास है। नंबर बीजेपी के पास नहीं है। ऐसे में अगर 20 सीटें भी कम होती हैं तो जाहिर है नेतृत्व परिवर्तन के अलावा कोई चारा नहीं होगा। श्री तिवारी बताते हैं हाल ही में आपको याद होगा कि भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा साहब ने यह कहकर संघ की भूमिका को खारिज कर दिया था कि अब भाजपा को संघ की जरूरत नहीं है। तो अब यह पार्टी को सोचना चाहिए कि क्या वे संघ के बगैर अपना प्रधानमंत्री बचा सकते हैं। अब जहां तक नितिन गडकरी का सवाल है तो राजनीति में राजनीतिक ज्योतिष भविष्य के लिए कोई जगह नहीं है। यह नंबर से चलता है। अगर टीडीपी की 16 सीटें और नीतिश कुमार ही डावाडोल होते हैं तो भाजपा का खेल बिगड़ सकता है।
मैं वेट एंड वॉच की स्थिति में हूं : नागपुर से प्रकाशित महाराष्ट्र के अखबार लोकमत समाचार के संपादक विकास मिश्र ने वेबदुनिया को बताया कि अभी अगर पीएम के पद के लिए उठापटक की बातें की जाएंगी तो यह सब हवा हवाई बातें होंगी। क्योंकि मैं निजी तौर पर भरोसा नहीं करता कि अभी इतनी जल्दी पीएम पद के लिए कोई उठापटक होगी। यह बहुमत एनडीए को मिला है। यह बात सही है कि बीजेपी को अकेले बहुमत नहीं मिला है, लेकिन यह भी सही है कि बीजेपी अकेले लड़ भी नहीं रही थी। वो एनडीए के साथ लड़ रही थी। फिर राजनीति बहुत अप्रत्याशित चीज है। ऐसे में हमें किसी निर्णय पर पहुंचने से पहले वेट एंड वॉच की स्थिति में होना चाहिए। सोशल मीडिया के फैलाए भ्रम से फिलहाल कुछ दूरी बनाकर रखना चाहिए।
गडकरी के घर के बाहर क्यों जुटी भीड़ : महाराष्ट्र और खासतौर से नागपुर की राजनीति को करीब से देखने वाले वरिष्ठ पत्रकार फहीम खान ने वेबदुनिया को चर्चा में बताया कि जैसे ही नतीजें आए हैं, उसके बाद से ही नितिन गडकरी के घर और कार्यालय के बाहर बेइंतहा भीड़ जुटी हुई है। उनके कार्यकर्ता और समर्थक लगातार गडकरी को पीएम बताते हुए नारेबाजी कर रहे हैं। संघ किसी नए चेहरे पर या यूं कहें कि नितिन गडकरी पर दांव खेल सकता है इस बात में मुझे इसलिए थोड़ा बहुत दम दिखता है क्योंकि भाजपा को बहुमत नहीं मिला है। एनडीए को बहुमत मिला है। ऐसे में पार्टी के भीतर चेहरा बदलने का दबाव तो रहेगा ही। सबको मंजूर हो ऐसा चेहरा लाने की कोशिश की जा सकती है, हालांकि यह तब होगा जब नरेंद्र मोदी के लिए सहमती न बने। मैं यह भी मानता हूं कि नीतीश कुमार और तेलगू देशम के लिए नितिन गडकरी एक सर्वमान्य चेहरा हो सकते हैं। वहीं यह बात भी किसी से छुपी नहीं है कि संगठन में लोग कई बातों से नाराज हैं। ऐसे में जिस तरह से अप्रत्याशित नतीजें आए हैं, उसी तरह से चेहरा भी बदल दिया जाए तो कोई बड़ी बात नहीं।
क्या नाराज है नागपुर : दिल्ली से लेकर नागपुर तक यह चर्चा राजनीतिक गलियारों में है कि भाजपा को अपने बूते पर स्पष्ट बहुमत नहीं मिल रहा है तो इस स्थिति में सरकार का चेहरा क्या हो सकता है। हाल ही में राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा के राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के भाजपा के साथ होने की जरूरत नहीं बताने वाले बयान से भी नागपुर पहले से ही बताया जा रहा है। नागपुर में संघ और महाराष्ट्र की राजनीति को बेहद करीब से देखने वाले ज्यादातर पत्रकार भी ऐसा ही कुछ बता रहे हैं। सवाल वही है कि अगर भाजपा को अपने बूते पर बहुमत नहीं मिला तो क्या नरेंद्र मोदी तीसरी बार पीएम बनेंगे? वैसे विपक्ष के कई नेता खुले तौर पर नितिन गडकरी की तारीफ कर चुके हैं। नितिन गडकरी अपने बे-बाक बयानों और साफगोई के लिए जाने जाते हैं।
गडकरी के घर के बाहर नारेबाजी : नतीजों के बाद नितिन गडकरी के नागपुर स्थित घर और कार्यालय के बाहर गडकरी के समर्थन में नारेबाजी हुई है। यह सारे दृश्य नागपुर संघ कार्यालय के बारे में अटकलें पैदा कर रहा है। कुछ मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार इसका एक जवाब नागपुर में खोजा जा रहा है और मोदी सरकार के केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी का नाम एनडीए के अगले प्रधानमंत्री के तौर पर चलने लगा है। इसका बड़ा कारण भी है।
नितिन गडकरी और आरएसएस : जहां तक नितिन गडकरी और संघ के बीच के रिश्तों की बात है तो दोनों के बीच हमेशा अच्छे रिश्ते रहे हैं। यह भी संयोग है कि गडकरी जिस लोकसभा सीट से आते हैं, संघ का मुख्यालय भी उसी में आता है। यही नहीं नितिन गडकरी भाजपा के ऐसे नेता हैं, जिनके नाम पर विपक्ष के कुछ दल भी समर्थन दे सकते हैं। महाराष्ट्र से पीएम बनाए जाने की शर्त पर शिवसेना यूबीटी भी साथ आ सकती है। इसमें ध्यान देने योग्य बात है कि ऐसा करके संघ और भाजपा शरद पवार के संभावित खेल को बिगाड़ सकते हैं।
जब संघ अपनी आंख खोलेगा : 4 जून 2024 की तारीख वो तारीख है, जब भाजपा के शीर्ष चेहरों पर शिकन आ गई है। स्पष्ट बहुमत न मिलने की स्थिति में मोदी-शाह की जोड़ी को लेकर राजनीतिक गलियारों में खुलकर बातें सामने आने लगी हैं। वो बातें भी सामने आ रही हैं, जो पार्टी के भीतर असंतुष्टों की संख्या में इजाफा कर रही थीं। जाहिर है ऐसे में भाजपा का थिंक टैंक आरएसएस आंख बंद कर के चिंतन की स्थिति में आ गया है। जब वो आंख खोलेगा तो उसका क्या असर होगा वो तो आने वाले वक्त की खोह में ही कहीं छुपा बैठा है।