Lok Sabha Election 2024: श्रीनगर में मतदान का प्रतिशत कामयाबी या नाकामयाबी, बवाल थम नहीं रहा

सुरेश एस डुग्गर

बुधवार, 15 मई 2024 (12:39 IST)
Srinagar Lok Sabha seat: हालांकि श्रीनगर (Srinagar) संसदीय क्षेत्र में 1996 के बाद मतदान के रिकॉर्ड ने कइयों के चेहरों पर खुशी लाई है, पर इस पर छिड़ा हुआ विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है। दरअसल, यह विवाद इस 'कामयाबी' के पीछे के कारणों को लेकर है। यह बात अलग है कि कई कश्मीरी नेता इसे नाकामयाबी के तौर पर भी निरूपित करते हुए कहते थे कि अगर धारा 370 (section 370) को हटाने के बाद केंद्र सरकार (Central government) को वोट प्रतिशत के बढ़ने की उम्मीद थी तो यह 80 से 90 परसेंट होना चाहिए था।

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ऐसे में कश्मीर के राजनेताओं ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और अन्य भाजपा मंत्रियों के इस दावे का विरोध किया है कि श्रीनगर लोकसभा सीट पर उच्च मतदान अनुच्छेद 370 को निरस्त करने से जुड़ा था। कश्मीरी राजनेताओं ने तर्क दिया कि विवादास्पद कदम के खिलाफ गुस्से ने संख्या बढ़ाई है।
 
श्रीनगर लोकसभा सीट पर 38.3 प्रतिशत मतदान : जानकारी के लिए श्रीनगर लोकसभा सीट पर 38.3 प्रतिशत मतदान हुआ, जो आतंकवाद की शुरुआत के बाद से दूसरा सबसे बड़ा मतदान है जिसने मोदी और केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह सहित अन्य को श्रेय लेने के लिए प्रेरित किया। पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने सोमवार के मतदान को 'अच्छा' बताया, लेकिन कहा कि लोग 2019 से घुटन महसूस कर रहे हैं।

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मोदी ने की उत्साहजनक मतदान के लिए सराहना : नेकां के श्रीनगर उम्मीदवार आगा रूहुल्लाह ने दावा किया कि लोगों ने अपने वोटों के माध्यम से (केंद्र के खिलाफ) बात की है। मोदी ने उत्साहजनक मतदान के लिए श्रीनगर में मतदाताओं की सराहना की जिसे उन्होंने 'पहले से काफी बेहतर' बताया।
 
प्रधानमंत्री ने 'एक्स' पर लिखा था कि अनुच्छेद 370 को निरस्त करने से लोगों की क्षमता और आकांक्षाओं को पूर्ण अभिव्यक्ति मिल सकी है। जमीनी स्तर पर बदलाव हो रहा है। यह जम्मू-कश्मीर के लोगों, विशेषकर युवाओं के लिए बहुत अच्छा है। जबकि केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने मंगलवार को कहा कि अनुच्छेद 370 को हटाने के मोदी सरकार के फैसले का परिणाम मतदान प्रतिशत में दिख रहा है।

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उन्होंने 'एक्स' पर लिखा कि इससे लोकतंत्र में लोगों का भरोसा बढ़ा है और जम्मू-कश्मीर में इसकी जड़ें गहरी हुई हैं। पर पूर्व मुख्यमंत्री गुलाम नबी आजाद भी इसे सही नहीं मानते थे, जो कहते थे कि अगर ऐसा था तो मतदान प्रतिशत 80 परसेंट से अधिक होना चाहिए था।
 
श्रीनगर में 2019 के लोकसभा चुनावों में 14.43 प्रतिशत, 2014 में 25.86 प्रतिशत, 2009 में 25.55 प्रतिशत और 2004 में 18.57 प्रतिशत मतदान दर्ज किया गया था। आतंकवाद के फैलने के बाद से सबसे अधिक 40.9 प्रतिशत मतदान 1996 में दर्ज किया गया था। लेकिन यह विवादास्पद था, क्योंकि फर्जी मतदान की खबरें थीं।
 
केंद्रीय विश्वविद्यालय के पूर्व कानून प्रोफेसर डॉ. शेख शौकत दावा करते थे कि मतदान प्रचलित बहिष्कार का प्रमाण है। वे 'एक्स' पर लिखते थे कि बहिष्कार का कोई आह्वान नहीं होने के बावजूद श्रीनगर के 62 प्रतिशत मतदाता चुनाव के प्रति उदासीन थे। यह हाल के चुनावों से अधिक हो सकता है। यह निश्चित रूप से आतंकवाद-पूर्व सामान्य अवधि की तुलना में बहुत कम है। 1984 के लोकसभा चुनाव में यह 73 प्रतिशत था।
 
क्या बोलीं महबूबा मुफ्ती : जबकि महबूबा मुफ्ती कहती थीं कि लोग दिल्ली को संदेश भेजना चाहते थे कि 2019 में आपका निर्णय या उसके बाद हमारी भूमि, राज्य विषय (स्थिति), नौकरियों से संबंधित अन्य निर्णय जम्मू-कश्मीर, राजौरी-पुंछ और जम्मू के लोगों को स्वीकार्य नहीं है। महबूबा ने शिकायत की कि मतदान अधिक होता लेकिन कई स्थानों पर मतदान प्रक्रिया धीमी करवा दी गई थी।
 
Edited by: Ravindra Gupta

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