election commission on voting data : निर्वाचन आयोग ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि वोटिंग डेटा जारी करने में क्यों देरी हो रही है। आयोग ने दावा किया कि मतदान केंद्रवार मतदान प्रतिशत डेटा के अविवेकपूर्ण खुलासे और इसे वेबसाइट पर पोस्ट करने से चुनावी मशीनरी में अराजकता फैल जाएगी। ALSO READ: लोकसभा चुनाव में इंडिया गठबंधन जीता तो कौन होगा PM, अरविंद केजरीवाल ने दिया जवाब
आयोग ने कहा कि एक मतदान केंद्र में डाले गए वोटों की संख्या बताने वाले फॉर्म 17सी का विवरण सार्वजनिक नहीं किया जा सकता और और इससे पूरे चुनावी तंत्र में अराजकता फैल सकती है क्योंकि इससे तस्वीरों के साथ छेड़छाड़ की संभावना बढ़ जाती है।
इसने इस आरोप को भी गलत और भ्रामक बताते हुए खारिज किया कि लोकसभा चुनाव के पहले दो चरण में मतदान के दिन जारी किए गए आंकड़ों और बाद में दोनों चरणों में से प्रत्येक के लिए जारी प्रेस विज्ञप्ति में 5-6 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई।
आयोग ने एक गैर सरकारी संगठन की याचिका के जवाब में दायर एक हलफनामे में यह बात कही। याचिका में आयोग को लोकसभा के प्रत्येक चरण के मतदान के समापन के 48 घंटे में वेबसाइट पर मतदान केंद्र-वार आंकड़े अपलोड करने का निर्देश देने का अनुरोध किया गया था। ALSO READ: मिर्जापुर में बढ़ेगी अनुप्रिया पटेल की मुश्किल, विरोध में उतरे राजा भैया
225 पृष्ठ के हलफनामे में उन्होंने कहा कि यदि याचिकाकर्ता का अनुरोध स्वीकार किया जाता है तो यह न केवल कानूनी रूप से प्रतिकूल होगा बल्कि इससे चुनावी मशीनरी में भी अराजकता पैदा होगी, जो पहले ही लोकसभा चुनाव में जुटी है।
उल्लेखनीय है कि देश में लोकसभा चुनाव के लिए 5 चरणों का मतदान हो चुकी है। 25 मई और 1 जून को 2 चरणों का मतदान बाकी हैं। 4 जून को मतगणना के बाद रिजल्ट आएंगे। (भाषा)