देश की राजनीति में मान्यता है कि दिल्ली का रास्ता उत्तरप्रदेश से होकर जाता है। देश के मौजूदा प्रधानमंत्री भी उत्तरप्रदेश की वाराणसी लोकसभा सीट का प्रतिनिधित्व करते है। ऐसे में लोकसभा चुनाव खत्म होने के बाद अब सबकी नजरें 4 जून पर टिक गई है। उत्तरप्रदेश वह राज्य है जहां 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा ने कुल 80 सीटों में से 62 सीटों पर जीत दर्ज कर प्रचंड बहुमत के साथ सरकार बनाई थी। ऐसे में इस बार उत्तरप्रदेश में लोकसभा चुनाव के क्या परिणाम होंगे इस पर सबकी नजरें टिक गई है। सवाल यह भी है क्या उत्तरप्रदेश में इंडिया गठबंधन के तहत अखिलेश और राहुल की जोड़ी क्या भाजपा के 2019 के प्रदर्शन को दोहराने से रोक पाएगी यह भी बड़ा सवाल है।
उत्तरप्रदेश की राजनीति को बेहद करीबी से देखने वाले वरिष्ठ पत्रकार नागेंद्र कहते हैं कि इस बार उत्तर प्रदेश के लोकसभा चुनाव के परिणाम चौंका सकते हैं। उत्तरप्रदेश में इंडिया गठबंधन के तहत समाजवादी पार्टी और कांग्रेस गठबंधन का फायदा विपक्ष को होने जा रहा है, इसमें कोई दो राय नहीं है। चुनाव के दौरान राज्य के अपने दौरे के दौरान मैंने देखा कि वोटर्स गठबंधन को उम्मीद की नजर से देख रहा है और राहुल गांधी के रूप में उन्हें एक बड़ी आशा दिखाई दे रही है।
इंडिया गठबंधन के लिए चुनाव में जो सबसे मजबूत पक्ष यह रहा कि वह शुरु से अपने मुद्दों पर टिके रहे और पूरे चुनाव में भाजपा विपक्ष की पिच पर बैंटिग करती हुई दिखाई दी। वहीं भाजपा इस बार लोकसभा चुनाव में मुद्दो को लेकर उलझ गई है। भाजपा जो 400 पार के नारे के साथ चुनाव मैदान में उतरी उसका दांव चुनाव में उल्टा पड़ता दिखाई दिया। लोकसभा चुनाव की शुरुआत चुरणों में भाजपा और खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जिस तरह से कांग्रेस के चुनावी घोषणा पत्र को मुस्लिम लीग का घोषणा पत्र करार दिया, वह दांव भी उस पर उल्टा पड़ गया।
नागेंद्र आगे कहते हैं कि जहां तक चुनाव परिणाम की बात है तो उत्तरप्रदेश की 80 लोकसभा सीटों में से एनडीए गठबंधन 50 सीटों पर मजबूत दिखाई दे रही है, वहीं इंडिया गठबंधन 15-20 सीटों पर भाजपा से आगे दिखाई दे रही है। वहीं 5-10 ऐसी लोकसभा सीटें ऐसी है जो कांटे के मुकाबले में फंसी है, इन सीटों के चुनाव परिणाम किसी तरफ जा सकते है। वहीं कहते हैं कि सपा का गढ़ माने जाने वाली आजमगढ़ सीट पर भाजपा और सपा में कांटे का मुकाबला है, वहीं गाजीपुर लोकसभा सीट पर ऐन चुनाव के वक्त बाहुबली धनजंय सिंह के भाजपा के समर्थन में आ जाने से भाजपा की स्थिति जौनपुर मे काफी मजबूत हो गई है। वहीं चंदौली, बस्ती, सुल्तानपुर जैसी सीटें भी कांटे के मुकाबले में फंसी है। सुल्तानपुर में मेनका गांधी इस बार कड़े मुकाबले में फंसती हुई दिखाई दे रही। इसके साथ सराहनपुर और बाराबंकी जैसी लोकसभा सीटों पर इंडिया गठबंधन भाजपा का हावी होता हुआ दिखाई दे रहा है।
2019 के लोकसभा चुनाव में सपा के साथ गठबंधन में चुनाव लड़ने वाली मायावती की पार्टी बसपा इस बार अकेले चुनावी मैदान में है। बसपा का लोकसभा चुनाव में कैसा प्रदर्शन रहेगा, इस पर वरिष्ठ पत्रकार नागेंद्र प्रताप कहते हैं कि मायावती को लोकसभा चुनाव में बड़ा नुकसान होने जा रहा है, इसमें कोई दो राय नहीं है। वह कहते है कि लोकसभा चुनाव की शुरुआत में जहां दिखाई दे रहा था कि मायावती इस बार चुनाव में अपने उपर भाजपा की बी टीम का लगा ठप्पा हटाने की कोशिश करती हुई दिखाई दे रही है, लेकिन जैसे उन्होंने आकाश आनंद को साइडलाइन किया,उससे उनके कोर वोटर्स को बड़ा झटका लगा और दलित वोटर्स एक तरह से भड़क गया। चुनाव के दौरान बसपा वोटर्स साफ तौर पर यह कहते हुए सुनाई दिए कि बहन जी को जो करना है करें लेकिन भाजपा को वोट नहीं जाना चाहिए। ऐसे में दलित वोटर्स क्या इंडिया गठबंधन और विशेषकर कांग्रेस की तरफ से शिफ्ट हुए यह देखना अब बड़ा दिलचस्प होगा।
उत्तरप्रदेश में लोकसभा चुनाव के नतीजों को लेकर बीबीसी के पूर्व पत्रकार और राजनीतिक विश्लेषक रामदत्त त्रिपाठी कहते हैं कि इस बार देश के सबसे बड़े सूबे में लड़ाई कांटे की है। 2019 की तुलना में इस बार भाजपा को उत्तरप्रदेश में बड़ा झटका लग सकता है। इसका सबसे बड़ा कारण उत्तर प्रदेश में भाजपा ने जिस तरह से अपने उम्मीदवार रिपीट किए उसका नुकसान भाजपा को चुनाव मे उठाना पड़ सकता है। चुनाव में कई सीटों पर भाजपा को भीतरघात का सामना करना पड़ा।
रामदत्त त्रिपाठी कहते हैं कि अगर उत्तर प्रदेश की 80 लोकसभा सीटों की बात की जाए तो भाजपा 40-50 सीटों के बीच रूक सकती है। इसका बड़ा कारण उत्तर प्रदेश में इंडिया गठबंधन के तहत अखिलेश यादव और राहुल गांधी की जोड़ी का चुनावी मैदान में होना है। चुनाव में जिस तरह से संविधान और आरक्षण का मुद्दा उठा उससे ओबीसी, दलित और अल्पसंख्यक वर्ग काफी मुखर नजर आया। वहीं पूरे चुनाव के दौरान मायावती की पार्टी बसपा जिस तरह से बैकफुट पर दिखाई दी उससे दलित वोटर्स इंडिया गठबंधन की तरफ शिफ्ट हो सकता है।
उत्तरप्रदेश में लोकसभा चुनाव के नतीजों को लेकर वरिष्ठ पत्रकार कुमार भवेश चंद्र कहते हैं कि इस बार लोकसभा चुनाव में भाजपा को उत्तर प्रदेश में काफी चुनौतियों का सामना करना पड़ा है जिसका असर चुनाव परिणाम पर भी दिखाई देगा। वह कहते हैं कि उत्तर प्रदेश की 80 लोकसभा सीटों में भाजपा 48-52 सीटे जीत सकती है, ऐसे में भाजपा को उत्तर प्रदेश में नुकसान होता दिख रहा है। वह कहते हैं कि वोटिंग के ट्रैंड के मुताबिक एनडीए गठबंधन को 5-7 फीसदी वोट बैंक का का नुकसान होता दिख रहा है।
उत्तरप्रदेश में लोकसभा चुनाव में विपक्षी गठबंधन इंडिया के प्रदर्शन पर वरिष्ठ पत्रकार कुमार भवेश चंद्र कहते हैं कि इस बार का गठबंधन पिछली बार के लोकसभा चुनाव में बसपा और सपा के साथ गठबंधन से काफी अलग है। इस बार गठबंधन में बड़े नेताओं के साथ कार्यकर्ताओं के स्तर पर समन्वय स्थापित करने की कोशिश की गई, जिससे वोटर्स का ट्रांसफर हो सके और इसकी फायदा चुनाव में इंडिया गठबंधन को होता दिख रहा है। वहीं भाजपा को कई सीटों पर उम्मीदवारों की छवि का नुकसान उठाना पड़ सकता है और वहीं कई सीटों पर कार्यकर्ताओं की नाराजगी के चलते उसके भीतरघात का सामना करना पड़ा सकता है।