Important decision of Supreme Court: सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने अपने एक अहम फैसले में कहा है कि उम्मीदवार (candidate) अपनी हर चल संपत्ति उजागर करे, यह अनिवार्य नहीं है। लोकसभा (Lok Sabha) चुनाव की गहमागहमी के बीच सुप्रीम कोर्ट ने उम्मीदवारों को लेकर मंगलवार को यह अहम फैसला दिया। शीर्ष कोर्ट ने कहा कि चुनाव लड़ने वाले प्रत्याशियों को उनके या आश्रितों के स्वामित्व वाली हर एक चल संपत्ति का राजफाश करने की जरूरत नहीं है जब तक कि वे काफी कीमती या विलासितापूर्ण जीवनशैली को न दर्शाती हों।
मतदाता को प्रत्येक संपत्ति के बारे में जानने का पूर्ण अधिकार नहीं : सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि एक मतदाता को किसी उम्मीदवार की प्रत्येक संपत्ति के बारे में जानने का पूर्ण अधिकार नहीं है। साथ ही स्पष्ट किया कि इस फैसले को नजीर के तौर पर न लिया जाए, क्योंकि यह इस मामले के तथ्यों और परिस्थितियों पर आधारित है। इस टिप्पणी के साथ जस्टिस अनिरुद्ध बोस और जस्टिस संजय कुमार की पीठ ने गुवाहाटी हाई कोर्ट की ईटानगर पीठ के 17 जुलाई, 2023 के फैसले को रद्द करते हुए 2019 में अरुणाचल प्रदेश की तेजू विधानसभा सीट से निर्दलीय विधायक चुने गए कारिखो क्री के निर्वाचन को बरकरार रखा।
हाई कोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट ने पलटा : हाई कोर्ट ने कारिखो के निर्वाचन को अमान्य घोषित कर दिया था। इस फैसले के खिलाफ कारिखो सुप्रीम कोर्ट पहुंचे थे। हाई कोर्ट ने तेजू सीट से कारिखों के प्रतिद्वंद्वी रहे और तत्कालीन कांग्रेस उम्मीदवार एन. तयांग द्वारा दायर याचिका पर अपना फैसला दिया था। याचिका में कहा गया था कि कारिखो ने अपने नामांकन पत्र में यह नहीं दर्शाया था कि ईटानगर के सेक्टर ई में स्थित एमएलए काटेज नंबर-1 नामक सरकारी आवास उनके पास है।
प्रत्याशी को हर चीज की घोषणा करना आवश्यक नहीं : सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि प्रत्याशी चल संपत्ति की हर एक चीज जैसे कपड़े, जूते, क्रॉकरी, स्टेशनरी, फर्नीचर की घोषणा करे, यह आवश्यक नहीं है। कोई चीज मूल्यवान है तो उसके बारे में बताने की जरूरत है। उदाहरण के लिए यदि प्रत्याशी या उसके परिजन के पास लाखों रुपये की कीमती घड़ियां हैं तो उनकी जानकारी देनी होगी, क्योंकि वे उच्च मूल्य की संपत्ति हैं और भव्य जीवनशैली को दर्शाती हैं।