सोमवार को इंदौर लोकसभा से कांग्रेस उम्मीदवार अक्षय कांति बम की नाम वापसी और उन्हें भाजपा में शामिल कराने की पूरी रणनीति के सूत्रधार कैलाश विजयवर्गीय ही है। कांग्रेस प्रत्याशी का पर्चा वापस कराकर कैलाश विजयवर्गीय ने साबित कर दिया है कि इंदौर की राजनीति के असली खिलाड़ी वहीं है। उन्होंने पार्टी के शीर्ष नेतृत्व को सीधा संकेत दे दिया है कि आज भी उनके चुनावी मैनजमेंट का कोई तोड़ नहीं है।
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साम दाम दंड भेद की चाणक्य नीति को अपना कर कैलाश विजयवर्गीय ने इंदौर से कांग्रेस प्रत्याशी का नामांकन वापस कर दिया। कांग्रेस उम्मीदवार घोषित होने के बाद जिस तरह अक्षय कांति बम पर लगातार दबाव बढ़ता जा रहा था और भाजपा उनसे जुड़े पुराने मामलों को जैसे-जैसे मुद्दा बनाती जा रही थी उससे उन पर दबाव बढ़ता जा रहा था। कांग्रेस प्रत्याशी घोषित होने के बाद अक्षय कांति बम पर 17 साल पुराने मामले में IPC की धारा 307 का मामल दर्ज होना यह बताता है कि उनकी राहें कितनी मुश्कल थी। वहीं बताया जा रहा है कि अक्षय कांति बम का लॉ कॉलेज से जुड़ा मामले और एक महिला से जुड़े मामले में होने वाली संभावित कार्रवाई के डर से चुनाव लड़ने से इंकार कर दिया। अगर अक्षय कांति बम अपनी उम्मीदवारी वापस नहीं लेते तो उन पर दो संगीन मामलों में कार्रवाई संभावित थी।