परिवारवाद पर पीएम मोदी की नई परिभाषा, MP में नेता पुत्रों की पॉलिटिक्स को मिली संजीवनी!

विकास सिंह

मंगलवार, 6 फ़रवरी 2024 (11:50 IST)
“अगर किसी परिवार के एक से अधिक लोग जन समर्थन से अपने बलबूते राजनीतिक क्षेत्र में प्रगति करते हैं तो उसे हमने कभी परिवारवाद नहीं कहा।”

लोकसभा चुनाव से ठीक पहले राजनीति में परिवारवाद को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का संसद में दिए गए इस बयान के कई सियासी मायने है। पीएम मोदी ने संसद में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और गृहमंत्री अमित शाह का जिक्र करते हुए सदन को परिवारवाद का मतलब समझाया। भाजपा जो परिवारवाद की राजनीति को लेकर कांग्रेस सहित क्षेत्रीय दलों के खिलाफ काफी मुखर रही है, उस पार्टी के सबसे बड़े चेहरे की तरफ से एक परिवार से कई लोगों की राजनीति में आने की एंट्री को हरी झंडी देने के कई सियासी निहातार्थ है।

परिवारवाद पर पीएम मोदी ने क्या कहा? सोमवार को संसद में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर जवाब देते हुए पीएम मोदी ने परिवारवाद को परिभाषित करते हुए कहा कि “आज मैं परिवारवाद का मतलब समझा देता हूं। अगर किसी परिवार के एक से अधिक लोग जन समर्थन से अपने बलबूते राजनीतिक क्षेत्र में प्रगति करते हैं तो उसे हमने कभी परिवारवाद नहीं कहा। हम किसी पार्टी को एक ही परिवार द्वारा चलाये जाने, परिवार के लोगों को ही प्राथमिकता मिलने, परिवार के लोगों द्वारा ही सारे निर्णय लिये जाने को परिवारवाद मानते हैं।''

इसके साथ पीएम मोदी ने कहा कि ‘‘लोकतंत्र में एक परिवार के दस लोग राजनीति में आएं, कोई बुराई नहीं है, मैं एक परिवार के दस लोगों की प्रगति का स्वागत करता हूं, नयी पीढ़ी के अच्छे लोग आएं, यह स्वागत योग्य बात है।''

भाजपा की राजनीति में नए सिरे से परिवारवाद को परिभाषित कर पीएम मोदी ने मध्यप्रदेश के उन नेता-पुत्रों को संजीवनी दे दी है, जो लंबे समय राजनीति में सक्रिय है। इनमें से कई ऐसे नेता पुत्र है जो लोकसभा चुनाव के लिए टिकट की दावेदारों की सूची में भी शामिल है। वहीं  अब पीएम मोदी की ओर से भाजपा के अंदर परिवारवाद की परिभाषा स्पष्ट कर देने से इन नेता पुत्रों  के पॉलिटिक्ल करियर पर लगा ग्रहण खत्म हो गया है। 

मध्यप्रदेश में नेता पुत्रों की पॉलिटिक्स-

अभिषेक भार्गव-मध्यप्रदेश विधानसभा में लगातार रिकॉर्ड 9वीं बार विधायक चुने गए गोपाल भार्गव के पुत्र अभिषेक भार्गव सागर लोकसभा सीट से टिकट के दावेदारों में से एक है। 2019 के लोकसभा चुनाव में भी अभिषक भार्गव टिकट के दावेदार थे लेकिन पार्टी ने सागर से राजबहादुर यादव को मौका दिया था। इस बार गोपाल भार्गव 9वीं बार विधायक चुने जाने के बाद भी मंत्री नहीं बन पाए है ऐसे में अब एक बार अभिषेक भार्गव टिकट के दावेदारों की सूची में आ गए है।

देवेंद्र सिंह तोमर-भाजपा के वरिष्ठ नेता नरेंद्र सिंह तोमर के मुरैना से विधानसभा चुनाव लड़ने और विधानसभा अध्यक्ष बन जाने के बाद उनके पुत्र देवेंद्र सिंह तोमर भी अब अपनी सियासी पारी शुरु करने की तैयारी में है। देवेंद्र सिंह तोमर भाजपा के उन युवा चेहरों में शामिल है जो लंबे समय से अपनी सियासी पारी शुरु करने के इंतजार में है।
कार्तिकेय चौहान-प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के पुत्र कार्तिकेय चौहान भी राजनीति में लंबे समय से सक्रिय है। कार्तिकेय अपने पिता के विधानसभा क्षेत्र बुधनी में  लगातार सक्रिय है और लगातार वह पिता के चुनाव की कमान संभाल रहे है। इस बार विधानसभा चुनाव में भी कार्तिकेय ने पूरी चुनावी कमान संभाली। ऐसे में अगर शिवराज सिंह चौहान लोकसभा चुनाव लड़ते है तो कार्तिकेय उपचुनाव में बुधनी सीट से उतकर अपनी सियासी पारी का आगाज कर सकते है।

महाआर्यमन सिंधिया-कांग्रेस से भाजपा में शामिल हुए ज्योतिरादित्य सिंधिया के पुत्र महाआर्यमन सिंधिया भी अपनी सियासी पारी शुरु करने का इंतजार कर रहे है। महाआर्यमन सिंधिया लगातार प्रदेश में सक्रिय है और अपनी राजनीतिक जमीन बना रहे है। पिछले दिनों एमपीसीए के पदाधिकारी के रूप में महाआर्यमन सिंधिया की एंट्री को भी सियासत से जोड़कर देखा जा रहा है। महाआर्यमन सिंधिया को मध्यप्रदेश क्रिकेट एसोसिएशन की 6 सदस्यीय टीम में शामिल किया गया है। गौरतलब है कि माआर्यमन से पहले उनके दादा माधवराव सिंधिया और पिता ज्योतिरादित्य सिंधिया भी एमपीसीए के अध्यक्ष रह चुके है। 

सिद्धार्थ मलैया-भाजपा के दिग्गज नेता जयंत मलैया के पुत्र सिद्धार्थ मलैया भी राजनीति में  बेहद सक्रिय है। इस बार विधानसभा चुनाव में जयंत मलैया भाजपा के टिकट पर  आठवीं बार दमोह से विधायक चुने गए है। चुनाव में सिद्धार्थ मलैया ने पूरी चुनावी कमान अपने हाथों में ली और पिता को बड़े मार्जिन से जीत हासिल की है। ऐसे में अब सिद्धार्थ मलैया लोकसभा चुनाव के लिए टिकट के दावेदारों में शामिल हो सकते है।  

मुदित शेजवार-प्रदेश के पूर्व मंत्री गौरीशंकर शेजवार के बेटे मुदित शेजवार भी राजनीति में बेहद सक्रिय है। रायसेन जिले की सांची विधानसभा सीट पर मुदित शेजवार टिकट के प्रबल दावेदार थे लेकिन पार्टी ने तत्कालीन मंत्री प्रभुराम चौधरी भरोसा जताया था। ऐसे में अब जब प्रभुराम चौधरी सरकार में मंत्री नहीं बन पाए है तो अब मुदित शेजवार खेमा बेहद सक्रिय है और वह अपनी सियासी पारी शुरु करने का इंतजार कर रहे है।  

सुकुर्ण मिश्रा- मध्यप्रदेश के पूर्व गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा के पुत्र सुकुर्ण मिश्रा भी राजनीति में बेहद सक्रिय है। दतिया विधानसभा सीट से नरोत्तम मिश्रा की हार सुकुर्ण की राजनीति में बढ़ते कदम के लिए एक बड़ा झटका है। अगर भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व नरोत्तम मिश्रा पर लोकसभा चुनाव में दांव लगाता है तो अगले चुनाव में दतिया विधानसभा से उनकी टिकट की दावेदारी हो सकती है।  

मौसम बिसेन-बालाघाट से आने वाले भाजपा के दिग्गज नेता गौरीशंकर बिसेन के पुत्री मौसम बिसेन भी टिकट के दावेदारों की सूची में शामिल है। भाजपा ने विधानसभा चुनाव में पहले  मौसम बिसने को टिकट दिया था लेकिन उनकी मौसम की जगह गौरीशंकर बिसेन चुनाव लड़े और उन्हें हार का सामना करना पड़ा। ऐसे में अब मौसम बिसेन एक बार फिर लोकसभा चुनाव  के लिए टिकट के लिए दावेदारी कर रही है।

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