Pilibhit Lok Sabha constituency of Uttar Pradesh: उत्तर प्रदेश की पीलीभीत लोकसभा सीट से भाजपा ने वर्तमान सांसद वरुण गांधी (Varun Gandhi) का टिकट काटकर कांग्रेस से भाजपा में आए जितिन प्रसाद को इस सीट से उम्मीदवार बनाया है। हालांकि वरुण की मां मेनका गांधी (Maneka Gandhi) को भाजपा ने सुल्तानपुर सीट से टिकट दिया है, लेकिन वरुण इस बार खाली हाथ रह गए हैं।
बताया जा रहा है कि टिकट नहीं मिलने से नाराज वरुण गांधी पीलीभीत सीट से निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनाव मैदान में उतर सकते हैं। हालांकि वरुण की तरफ से कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है कि उनका अगला कदम क्या होगा, लेकिन कहा जा रहा है कि उम्मीदवारों की सूची आने से पहले ही उन्होंने नामांकन फॉर्म खरीद लिया था। उन्हें टिकट मिलने का पूरा भरोसा था।
वरुण की थी मजबूत दावेदारी : ताजा घटनाक्रम में वरुण खुद को ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं। वरुण की दावेदारी इसलिए भी मजबूत मानी जा रही थी क्योंकि उन्होंने पिछला चुनाव ढाई लाख से ज्यादा मतों से जीता था। वरुण के तेवरों को देखकर लगता है कि वे चुप बैठने वालों में से नहीं हैं। वरुण 2014 में सुल्तानपुर से भी लोकसभा चुनाव जीत चुके हैं। लेकिन, 2019 में मां-बेटे ने सीटों की अदला-बदली कर ली थी। मेनका लंबे समय से पीलीभीत सीट से चुनाव जीतती रही हैं।
कांग्रेस से ऑफर : पश्चिम बंगाल कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी ने वरुण को खुला ऑफर दिया है कि वे कांग्रेस में शामिल हो जाएंगे। यह भी कहा जा रहा है कि उन्हें अमेठी से चुनाव लड़ने का ऑफर दिया है। हालांकि इसकी उम्मीद नहीं के बराबर है कि वरुण कांग्रेस के टिकट पर अमेठी से चुनाव लड़ें। दरअसल, राहुल गांधी इस सीट पर स्मृति ईरानी के खिलाफ चुनाव हार चुके हैं। ऐसे में वरुण कोई रिस्क नहीं लेना चाहेंगे।
भाजपा की बढ़ा सकते हैं मुश्किल : यह भी कहा जा रहा है कि पीलीभीत संसदीय सीट पर वरुण समाजवादी पार्टी के टिकट पर मैदान में उतर सकते हैं। पिछली बार उन्होंने इस सीट पर सपा प्रत्याशी को ही चुनाव में हराया था। यदि वरुण इस सीट पर उम्मीदवार बनते हैं तो कांग्रेस के जितिन प्रसाद की मुश्किलें बढ़ना तय हैं।
हालांकि समाजवादी पार्टी पीलीभीत सीट पर भगवत शरण गंगवार के नाम का ऐलान कर चुकी है, ऐसे में सबको इस बात का इंतजार है कि वरुण का अगला कदम क्या होगा। लेकिन, यह बात तय मानी जा रही है कि वरुण गांधी यदि चुनाव मैदान में नहीं भी उतरते हैं तो पीलीभीत से वे भाजपा उम्मीदवार की मुश्किलें जरूर बढ़ा सकते हैं।
Edited by: Vrijendra Singh Jhala