पंजाब में 3 बड़े मुद्दे तय करेंगे राजनीति का रुख, आखिर कौनसी पार्टी दिखाएगी दम

वेबदुनिया न्यूज डेस्क

शनिवार, 4 मई 2024 (18:43 IST)
Punjab Lok Sabha Elections 2024: पंजाब में लोकसभा चुनाव के इतिहास में पहली बार चतुष्कोणीय मुकाबला हो रहा है। शिरोमणि अकाली दल (बादल) और भाजपा की राह जुदा होने से यहां की राजनीति में बड़ा बदलाव आया है। भाजपा, कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के साथ शिरोमणि अकाली दल भी मैदान में है। भाजपा से अलग होने पर जहां शिअद अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहा है, वहीं आप अपने राष्ट्रीय संयोजक और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के बिना मैदान में है। उनकी अनुपस्थिति में पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने राज्य में प्रचार का जिम्मा संभाला है। किसानों की नाराजगी और अन्य फैक्टर के जरिए कांग्रेस की भी इन 13 सीटों पर नजर है। 
 
इस बार यह देखना रोचक है कि 3 पार्टियां अपने शीर्ष नेताओं के बिना मैदान में हैं। आप अरविंद केजरीवाल के बिना है, शिअद को अपने संरक्षक प्रकाश सिंह बादल की कमी खल रही है। कांग्रेस के इस बार अमरिंदर सिंह के बिना मैदान में है। अमरिंदर अब अपनी पार्टी का भाजपा में विलय कर चुके हैं और तस्वीर से लगभग बाहर हैं। इसके अलावा पंजाब में ये तीन बड़े फैक्टर हैं जो इस बार परिणामों पर गहरा असर डालेंगे। ALSO READ: मोदी सरकार ने बागियों को दी सुरक्षा, पंजाब कांग्रेस के 3 पूर्व नेताओं को Y कैटेगरी की सिक्योरिटी
 
किसान फैक्टर : कृषि कानूनों और अन्य मांगों को लेकर लंबे समय से आंदोलन करने वाले किसान इस समय किसी एक पार्टी के साथ नहीं हैं। क्षेत्र अनुसार वे अलग-अलग सीटों पर अलग-अलग कारणों से आप, कांग्रेस व अकाली दल में वे बंटते दिख रहे हैं। आप के लिए निराशा की बात यह है कि राज्य में एमएसपी का वादा पूरा न कर पाने से बड़ा तबका कांग्रेस व अकाली में बंटता दिख रहा है। हालांकि, फ्री बिजली मुहैया कराने से किसानों और गरीब वर्ग का एक बड़ा तबका आप के साथ दिख रहा है।  ALSO READ: पंजाब BJP में बगावत, गुरदासपुर से चुनाव लड़ेंगे सरवन सलारिया
 
दलित फैक्टर : पंजाब में करीब 32% आबादी दलितों की है। इनमें 60% सिख (रविदासिया सिख) और 40% हिंदू हैं। पंजाब के दलित मतदाता पहले कांग्रेस, बसपा और अकाली दल में बंटे रहते थे। इस बार दलित सिख मतदाता मुख्य रूप से कांग्रेस और अकाली दल के बीच बंटते नजर आ रहे हैं। जालंधर, होशियारपुर जैसी सीटों पर बसपा की पकड़ रही है। हालांकि इस बार रुझान भाजपा की ओर भी दिख रहा है।
 
कई बड़े सिख नेताओं जैसे पंजाब के पूर्व सीएम कैप्टन अमरिंदर सिंह, उनकी पत्नी और पूर्व विदेश राज्यमंत्री परनीत कौर, कांग्रेस के पंजाब कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष सुनील जाखड़ भाजपा में शामिल हो चुके हैं। आप सांसद सुशील कुमार रिंकू, कांग्रेस के पूर्व सांसद संतोख चौधरी की पत्नी करमजीत कौर, पूर्व सीएम बेअंत सिंह के पोते और लुधियाना से कांग्रेसी सांसद रवनीत सिंह बिट्टू, हिमाचल कांग्रेस के सह-प्रभारी तजिंदर सिंह बिट्टू व कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता जयवीर शेरगिल को अपने साथ मिलाने की रणनीति के बाद भाजपा अब सिख मतदाताओं को रिझाने में लगी है, लेकिन इनका असर अधिकतर शहरी क्षेत्रों में है। ALSO READ: साक्षी मलिक फिर हुई गुस्सा, क्यों दिया बृजभूषण के बेटे को भाजपा ने लोकसभा कैसरगंज सीट से टिकट ?
 
प्रवासी फैक्टर : पंजाब में किसानी से लेकर मंडियों तक में यूपी, बिहार, राजस्थान, झारखंड व हिमाचल के प्रवासी के प्रवासी भरे पड़े हैं। लुधियाना, जालंधर और अमृतसर की फैक्टरियों में प्रवासी मजदूर बड़ी तादाद में हैं। इनमें से कई तो यहीं के निवासी हो गए हैं। उल्लेखनीय है कि 2022 में तत्कालीन सीएम व कांग्रेस नेता चरणजीत सिंह चन्नी द्वारा प्रवासियों के खिलाफ बयान देने पर प्रवासियों ने आप का साथ दे दिया था। भाजपा के लिए राहत यह है कि राममंदिर का मुद्दा इन प्रवासी वोटरों में असर डाल सकता है। 
 
पंजाब में आखिरी चरण में एक जून को वोट डाले जाएंगे। आप और शिअद ने सभी 13 सीटों पर उम्मीदवार घोषित कर दिए हैं। भाजपा व बसपा ने 9-9 और कांग्रेस ने अभी 12 उम्मीदवार उतारे हैं।
Edited by: Vrijendra Singh Jhala

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