Punjab Lok Sabha Elections 2024: पंजाब में लोकसभा चुनाव के इतिहास में पहली बार चतुष्कोणीय मुकाबला हो रहा है। शिरोमणि अकाली दल (बादल) और भाजपा की राह जुदा होने से यहां की राजनीति में बड़ा बदलाव आया है। भाजपा, कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के साथ शिरोमणि अकाली दल भी मैदान में है। भाजपा से अलग होने पर जहां शिअद अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहा है, वहीं आप अपने राष्ट्रीय संयोजक और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के बिना मैदान में है। उनकी अनुपस्थिति में पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने राज्य में प्रचार का जिम्मा संभाला है। किसानों की नाराजगी और अन्य फैक्टर के जरिए कांग्रेस की भी इन 13 सीटों पर नजर है।
दलित फैक्टर : पंजाब में करीब 32% आबादी दलितों की है। इनमें 60% सिख (रविदासिया सिख) और 40% हिंदू हैं। पंजाब के दलित मतदाता पहले कांग्रेस, बसपा और अकाली दल में बंटे रहते थे। इस बार दलित सिख मतदाता मुख्य रूप से कांग्रेस और अकाली दल के बीच बंटते नजर आ रहे हैं। जालंधर, होशियारपुर जैसी सीटों पर बसपा की पकड़ रही है। हालांकि इस बार रुझान भाजपा की ओर भी दिख रहा है।
प्रवासी फैक्टर : पंजाब में किसानी से लेकर मंडियों तक में यूपी, बिहार, राजस्थान, झारखंड व हिमाचल के प्रवासी के प्रवासी भरे पड़े हैं। लुधियाना, जालंधर और अमृतसर की फैक्टरियों में प्रवासी मजदूर बड़ी तादाद में हैं। इनमें से कई तो यहीं के निवासी हो गए हैं। उल्लेखनीय है कि 2022 में तत्कालीन सीएम व कांग्रेस नेता चरणजीत सिंह चन्नी द्वारा प्रवासियों के खिलाफ बयान देने पर प्रवासियों ने आप का साथ दे दिया था। भाजपा के लिए राहत यह है कि राममंदिर का मुद्दा इन प्रवासी वोटरों में असर डाल सकता है।