अदाओं की जंग है पटना साहिब में

रविवार, 3 मई 2009 (17:57 IST)
-विनोद बंध
पटना साहिब संसदीय क्षेत्र में चुनावी शास्त्रार्थ से नहीं अदाओं से मतदाताओं का मन मोहने की जंग चल रही है। भाजपा प्रत्याशी शत्रुघ्न सिन्हा और कांग्रेस प्रत्याशी शेखर सुमन के बीच तो कम से कम ऐसा ही है। इस बीच राजद प्रत्याशी विजय साहु भी अपनी भूमिका की तलाश में हैं।

पटना की सड़कों पर तेज रफ्तार मोइरसाइकिल चलाकर शेखर सुमन ने युवाओं में पैठ बनाई तो अभिनय के माहिर शत्रुघ्न सिन्हा कहाँ पीछे रहने वाले हैं। उन्होंने भी मोटरसाइकिल दौड़ाकर यह साबित कर दिया कि भले ही वे शेखर सुमन से उम्र में बड़े हैं लेकिन अभी भी उनका दिल जवान है।

चुनाव के मैदान में भी शेखर सुमन की यही कोशिश होती कि कैसे वे अपनी अदाओं से जन समूह को हँसाएँ और हँसी-हँसी में उनका दिल जीत लें। उनकी आवाज भी मीठी है। राजद सुप्रीमो लालूप्रसाद इसी अर्थ में इन दोनों पर टिप्पणी करते हैं कि शेखर सुमन हँसेगा, शत्रुघ्न सिन्हा रोएगा। शत्रुघ्न सिन्हा की कड़क आवाज उनके ठेठ बिहारी होने का अहसास कराती है।

वे फिल्मी संवादों से हँसाते हैं तो राजनीतिक भाषण से मतदाताओं को चुनाव की अहमियत भी बताते हैं। लंबी राजनीतिक यात्रा में यह पहला मौका है जब वे बिहार में चुनाव लड़ रहे हैं और इस बाजी को किसी सूरत में अपने हाथ से निकलने नहीं देना चाहते। शत्रुघ्न सिन्हा की पत्नी पूनम सिन्हा बहू बनकर घर-घर की चौखट नापने लगीं तो शेखर सुमन की पत्नी अलका सुमन ने भी पटना आकर मोर्चा थाम लिया।

उधर, जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री गुलाम नबी आजाद शेखर सुमन के प्रचार अभियान पर पटना पहुँचे तो अगले दिन पूर्व केंद्रीय मंत्री शाहनवाज हुसैन शत्रुघ्न सिन्हा के अभियान में शामिल होने के लिए पटना पहुँच गए।

बहरहाल, इन दोनों के बीच बड़ी चतुराई से वैश्य समाज के विजय साहू को राजद प्रत्याशी बनाकर लालूप्रसाद ने शतरंज की चाल चल दी है। पटना साहिब कायस्थ बहुल क्षेत्र है।

उन्हें लुभाने के लिए चुनाव से दो महीने पूर्व लालू ने डॉ. राजेन्द्र प्रसाद की जयंती पर समारोह भी करवाया था और समाज के लोगों को राजद से जुड़ने का खुला न्योता भी दिया, लेकिन जब कायस्थ समाज के दो दिग्गज शत्रु और सुमन अखाड़े में कूद पड़े तो लालू ने वैश्य समाज से अपना प्रत्याशी दे दिया। इस समाज के लोगों की भी अच्छी आबादी है। वैसे सीपीआई एमएल के रामनारायण राय भी पूरे दमखम से अखाड़े में डटे हैं।

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