हनीमून के बाद विवाहित जोड़े धीरे-धीरे अपनी असली जिंदगी में लौटने लगते हैं। जब आप अपने साथी की आदतों को और करीब से जानने और समझने लगते हैं। आप पाते हैं आपका साथी ज्यादा समय तो स्पोर्ट्स चैनल से ही चिपका रहता है। या फिर पड़ोसियों के गॉसिप में ही वक्त बिताता है। ये छोटी-छोटी बातें भी आपके बीच दूरियाँ पैदा कर सकती हैं। ऐसी नौबत भी आ जाती है जब पति-पत्नी एक ही छत के नीचे किसी अनचाहे रूमेट की तरह रहने लगते हैं। जिनके बीच प्यार कम और झगड़े ज्यादा होते हैं।
नए जोड़ों के लिए शुरुआती एक साल काफी मुश्किल भरा होता है। जीवनभर साथ निभाने के उस वादे के बोझ तले उनका रिश्ता घुटने लगता है। ऐसी स्थिति में वो हमेशा गुस्से और परेशानी में नजर आते हैं। उनको लगने लगता है कि उनसे बहुत बड़ी गलती हो गई है। ऐसी स्थिति भी आती है जब दोनों का प्यार धीरे-धीरे खत्म होने लगता है। जिस प्यार और विश्वास की नींव पर रिश्ते का महल खड़ा करते हैं वो भी चटकने लगता है।
ऐसी स्थिति न आए उसके लिए आप इन बातों का खास ध्यान रखें-
* शादी के दिन अपने साथी से जो वादा करें उसे कभी न भूलें। परिस्थितियाँ कितनी भी विपरीत हों अपने साथी के प्रति प्यार कम नहीं होना चाहिए। आपका वचन विश्वास और सच्चाई पर टिका होना चाहिए। ध्यान रहे, कि आपके वचनों से जोश, आकर्षण और खुशी नदारद न हो।
परेशानी शुरू होने से पहले ही उसे सुलझा लें
* जब आप अपनी नई जिंदगी शुरू कर रहे हैं उन सारे मुद्दों पर खुलकर बात करें जो विवाद का कारण बन सकते हैं। अपने जीवन के लक्ष्यों पर स्पष्ट रूप से बात करें। अपने बजट तय कर लें। इससे आप नई शादीशुदा जिंदगी में उठने वाले 90 प्रतिशत तक विवादों को कम कर सकते हैं।
स्वतंत्रता के साथ करें बजटिंग
शादी के दिन अपने साथी से जो वादा करें उसे कभी न भूलें। परिस्थितियाँ कितनी भी विपरीत हों अपने साथी के प्रति प्यार कम नहीं होना चाहिए। आपका वचन विश्वास और सच्चाई पर टिका होना चाहिए। ध्यान रहे, कि आपके वचनों से जोश, आकर्षण और खुशी नदारद न हो।
* जब आप अपनी नई जिंदगी की शुरुआत कर रहे हैं तो सबसे बड़ी परेशानी का कारण बनता है-बजट। पैसे के खर्चे को लेकर दोनों के बीच तनाव बना रहता है। कौन ज्यादा फिजूलखर्ची है, इस पर बहस होती रहती है। यहाँ सबसे अहम है आपसी समझ और संवाद का होना। यह देखना दोनों की जिम्मेदारी है कि कितना पैसा आ रहा है और उसे कैसे और कहाँ खर्च करना है? बजट बनाने का सबसे अच्छा तरीका है कि आप महीनेभर की उन खास जरूरतों की एक लिस्ट बना लें। उन सामानों को जरूरी और गैरजरूरी हिस्सों में बाँट लें।