अक्सर यह माना जाता है कि युवावस्था में असफल प्रेमियों का दिल टूट जाता है और वक्त से साथ टूटे हुए दिल की मरम्मत भी हो जाती है। प्रेम असफल होने का सबसे गहरा असर व्यक्ति की मानसिकता पर पड़ता है। असफलता इस व्यक्ति को मनोवैज्ञानिक तौर पर अपंग करती है। प्रेम में असफल व्यक्ति अपने आपसे हारने लगता है। खुद को दूसरों से कमतर आंकने लगता है। हाल ही में हुए शोधों से जाहिर हुआ है कि गहरे सदमे, अकेलेपन के एहसास और किसी को खोने के एहसास के दिल की सेहत पर बुरा असर पड़ता है।
जैसे कोई पतिंगा मोमबत्ती की जलती हुई लौ के प्रकाश से अभिभूत होकर उसकी ओर लपकता है जलकर जान दे देता है उसी तरह प्रेम में असफल व्यक्ति दिल की सेहत पर पड़ने वाले विपरीत असर से अनजान रहता है। अपने आपको नुकसान पहुंचाने वाली मानसिकता को 'लस्ट ट्रम्प ब्रेन्स' कहा जाता है।
कोलंबिया युनिवर्सिटी टीचर्स कॉलेज में फेकल्टी और ' द कंपलीट इडियट्स गाइड टु ए हैल्दी रिलेशनशिप ' लेखिका कुरियांस्की के मुताबिक प्रेम में असफल होने से पहले ही व्यक्ति को उसके संकेत मिलने लगते हैं लेकिन वह जानबूझकर उनकी अनदेखी करता है। चूंकि उसे अपने नुकसान का भय नहीं रहता, वह जानते हुए भी आग में कूदने का दुस्साहस करता है। अपने आप को कुर्बान कर देने का भाव दिल को नुकसान पहुंचाता है।
क्या करें
1. यह पहचानने की कोशिश करें कि आप क्या खोने जा रहे हैं- अमर प्रेम का खयाल जो कि एक फैंटेसी है। टीन एज लवर वयस्क होने पर कल्पना की दुनिया से बाहर आ जाता है।
2. प्रेम में असफल होने पर अपने आप को दोष देना बंद करें क्योंकि कोई इतना सुंदर या इतना अधिक स्मार्ट नहीं हो सकता है जो दूसरों की अपेक्षाओं पर खरा उतरे। चाहतों की कोई सीमा नहीं होती क्योंकि उन पर कल्पनाओं के पंख लगे होते हैं। आपके गुण दोष मानवीय हैं इसलिए वास्तविक भी हैं।
3.अपने व्यक्तित्व का पुनर्निर्माण करें। अपनी ताकतों और खूबियों को पहचाने और उन पर भरोसा करें।
4. लव शॉक '' जैसी कोई मानसिकता नहीं होती। यदि आपके साथी ने आपको छोड़कर किसी दूसरे दोस्ती कर ली है तो इसमें आपका कोई दोष नहीं है। आपमें ऐसी कोई कमी भी नहीं है जिसकी वजह से आपका साथ जानबूझ कर छोड़ा गया हो। यह दूसरे का अधिकार है कि वह किससे दोस्ती रखे और किसके साथ संबंध तोड़ दे। आपको दूसरे के इस अधिकार का सम्मान करना चाहिए।
5. दूसरों को समझने का दावा करने से पहले खुद को पहचानना सीखिए क्योंकि खुद को समझने के बाद ही दूसरों को पहचानने की शक्ति विकसित होती है।
प्रो.डॉ. वी.एस.पॉल बतौर मनोवैज्ञानिक, मनोरोग विभाग, एमजीएम मेडिकल कॉलेज इंदौर में कार्यरत हैं।