Lunar Eclipse 2025: 7 सितंबर 2025 की रात्रि को साल का अंतिम चंद्र ग्रहण लगने वाला है। इसे खग्रास चंद्र ग्रहण यानी पूर्ण चंद्र ग्रहण कहा जा रहा है जो भारत में नजर आएगा। 122 वर्षों के बाद ऐसा दुर्लभ संयोग बन रहा है जबकि वक्री के शनि के दौरान पितृपक्ष की पूर्णिमा का पूर्ण चंद्र ग्रहण होगा और इसका समापन सर्वपितृ अमावस्या के दिन 21 सितंबर को सूर्य ग्रहण के दौरान होगा। इसके परिणाम स्वरूप इस चंद्र ग्रहण का 12 राशियों पर प्रभाव पड़ेगा। इसके लिए 5 उपाय जरूर करें।
7 सितंबर 2025 का चंद्र ग्रहण कितना खास?
दिनांक: 07 सितंबर 2025 रविवार, भाद्रपद मास की शुक्ल पूर्णिमा के दिन लगेगा। इस दिन पितृपक्ष की पूर्णिमा का श्राद्ध रहेगा।
ग्रहण प्रकार: खग्रास चंद्र ग्रहण
राशि: चंद्र ग्रहण कुंभ राशि में लगेगा।
चंद्र ग्रहण दुर्लभ योग संयोग:-
1. पंडितों और ज्योतिष की माने तो 122 वर्षों बाद यह ग्रहण श्राद्ध पक्ष की शुरुआत में लग रहा है। श्राद्ध पक्ष का अंत भी ग्रहण से हो रहा है। इसके पूर्व वर्ष 1903 में पितृपक्ष में एक साथ दो ग्रहण लगे थे।
2. वर्तमान ग्रहण के दौरान शनि वक्री हैं और बृहस्पति अतिचारी हैं। इसलिए भी यह ग्रहण अशुभ माना जा रहा है।
3. इसी समय पंचम भी रहेगा।
4. चंद्र ग्रहण के ठीक 14 दिनों के बाद 21-22 सितंबर के दरिमियान सूर्य ग्रहण रहेगा। 21 सितंबर को सर्पपितृ अमावस्या रहेगी।
5. यह कुंभ राशि में चंद्र और राहु की युति रहेगी तो सिंह राशि में सूर्य के साथ केतु का योग है। दोनों ही स्थिति ग्रहण योग बना रही है।
चंद्र ग्रहण का प्रभाव: ज्योतिषियों के अनुसार, इस बार का चंद्र ग्रहण कुछ विशेष राशियों पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है। साथ ही, इसका योग भी ऐसा है कि यह स्वास्थ्य, धन और व्यक्तिगत संबंधों पर बुरा असर डाल सकता है। इस ग्रहण का प्रभाव कई दिनों तक रहने की संभावना है, जिससे लोगों को मानसिक और शारीरिक कष्ट हो सकता है।
चंद्र ग्रहण समय प्रारंभ और अंत: भारत के दिल्ली समय के अनुसार 07 सितंबर की मध्यरात्रि 09:57 बजे शुरू होकर मध्यरात्रि 1:26 बजे तक रहेगा। चन्द्र ग्रहण का पूर्ण प्रभाव मध्यरात्रि 12:28 से तड़के 03:56 तक रहेगा।
चंद्र ग्रहण सूतक काल: जहां पर भी यह चंद्र ग्रहण नजर आएगा वहां पर सूतक काल ग्रहण के 09 घंटे पहले से शुरू हो जाएगा। इस ग्रहण का सूतक काल भारत में 7 सितंबर को दोपहर 12:57 बजे से आरंभ होगा और ग्रहण की समाप्ति तक रहेगा।
कहां नजर आएगा चंद्र ग्रहण: यह पूर्ण चंद्र ग्रहण संपूर्ण भारत सहित एशिया, ऑस्ट्रेलिया और हिंद महासागर में नजर आएगा। यह चन्द्र ग्रहण पूर्वी अटलांटिक महासागर, आंटार्कटिका, प्रशांत महासागर, पूर्वी अफ्रीका और यूरोप के अधिकांश भागों से भी दिखाई देगा।
ग्रहण के दौरान 'ॐ नमः शिवाय' या 'महामृत्युंजय' मंत्र का जाप करना बहुत लाभकारी माना जाता है। इससे नकारात्मक ऊर्जा का प्रभाव कम होता है।
इसके अलावा ये मंत्र भी जपें-
1. ॐ सों सोमाय नमः।
2. ॐ चं चंद्रमस्यै नम:।
3. ॐ श्रां श्रीं श्रौं सः चन्द्रमसे नमः।
4. ॐ शीतांशु, विभांशु अमृतांशु नम:।
5. ॐ ऐं क्लीं सौमाय नामाय नमः।
2. ग्रहण के बाद स्नान करें: ग्रहण समाप्त होने के बाद तुरंत स्नान करें। घर में गंगाजल का छिड़काव करें।
3. दान: इसके बाद, अपनी क्षमता के अनुसार अन्न, वस्त्र या धन का दान करें। खासकर सीधा दान करें। इसमें गुड़, आटा, घी, नमक और शक्कर एक थाली में रखकर मंदिर में दान करें। चंद्र ग्रहण के दौरान चंद्रमा से जुड़ी वस्तुओं का दान करना शुभ होता है। जैसे चावल, दूध, जल आदि सफेद वस्तुओं का दान करें।
4. तुलसी के पत्ते का प्रयोग: ग्रहण से पहले भोजन और पानी में तुलसी के पत्ते डाल दें। तुलसी की पत्तियां ग्रहण की नकारात्मक ऊर्जा से खाद्य पदार्थों की रक्षा करती हैं।
5. दरिद्रदा से मुक्ति के उपाय: दरिद्रता से मुक्ति हेतु ग्रहण के बाद स्नान कर जरूरतमंद लोगों को काला कंबल और भोजन का दान करें। या ग्रहण के बाद काली गाय के घी का दीपक बनाकर अखंड ज्योत जलाने से आर्थिक समस्या दूर होती है। चंद्र ग्रहण समाप्त होने के बाद मीठे चावल बनाकर कौवे को खिलाने से नौकरी संबंधी परेशानी दूर होती है। इससे राहु, केतु और शनि के दोष भी दूर होते हैं।