मध्यप्रदेश में विधानसभा चुनाव में इस बार बागी कई सीटों पर भाजपा और कांग्रेस का खेल बिगाड़ सकते है। पार्टी के काफी मान मनौव्वल के बाद भी कई सीटों पर दोनों ही पार्टियों कई बड़े चेहरे चुनावी मैदान में डटे हुए है। अगर देखा जाए तो तीन दर्जन से अधिक सीटों पर भाजपा और कांग्रेस के सामने बागी चुनौती बन गए है। खास बात यह है कि बगावत करने वालों में मंत्री, विधायक के साथ पूर्व मंत्री और सांसद तक शामिल है।
मुरैना में पूर्व मंत्री की बेटे के लिए बगावत-मुरैना जिले में पूर्व मंत्री रुस्तम सिंह के बेटे राकेश सिंह बसपा के टिकट पर चुनावी मैदान में आ डटने से चुनावी मुकाबला काफी रोचक हो गया है। मुरैना जिला जहां की दिमनी विधानसभा सीट से केंद्रीय मंत्री और भाजपा चुनाव अभियान के संयोजक नरेंद्र सिंह तोमर चुनाव लड़ रहे है, उस जिले में भाजपा के दिग्गज नेता रूस्तम सिंह की बागवत पार्टी के लिए शुभ संकेत नहीं है। दरअसल रूस्तम सिंह अपने बेटे के लिए लंबे समय से टिकट की मांग कर रहे थे लेकिन जब भाजपा ने बेटे को टिकट नहीं दिया तो वह बसपा से चुनावी मैदान में आ डटे।
बुरहानपुर में BJP के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष के बेटे की बगावत-बुरहानपुर में भाजपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष नंदकुमार सिंह चौहान के बेटे हर्षवर्धन चौहान के निर्दलीय चुनाव मैदान में उतरने से भाजपा की मुश्किलें बढ़ गई है। बुरहानपुर भाजपा की हाईप्रोफाइल सीट है और यहां से पूर्व मंत्री अर्चना चिटनीस चुनावी मैदान में है। 2018 के विधानसभा चुनाव में अर्चना चिटनिस को हार का सामना करना पड़ा था। इस बार कांग्रेस ने बुरहानपुर से सुरेंद्र सिंह शेरा को अपना उम्मीदवार बनाया है। ऐसे में हर्षवर्धन के चुनावी मैदान में उतरने से भाजपा उम्मीदवार अर्चना चिटनिस को बड़ा नुकसान हो सकता है।
निवाड़ी विधानसभा में दर्जा प्राप्त कैबिनेट मंत्री बागी-निवाड़ी विधानसभा सीट पर भी भाजपा को बगावत का सामना करना पड़ रहा है। कैबिनेट मंत्री का दर्जा रखने वाले नंदराम कुशवाहा बागी होकर निर्दलीय चुनावी मैदान में आ गए है। नंदराम कुशवाह पृथ्वीपुर उपचुनाव के समय बसपा छोड़ भाजपा में शामिल में हुए थे। नंदराम कुशवाहा के चुनाव लड़ने से भाजपा के वर्तमान विधायक और पार्टी के उम्मीदवार अनिल जैन की मुश्किलें बढ़ सकती है।
कटनी की बड़वारा में पूर्व मंत्री बागी-मध्यप्रदेश के हाईप्रोफाइल जिले कटनी की बड़वारा विधानसभा सीट पर पूर्व मंत्री मोती कश्यप के निर्दलीय चुनावी मैदान में उतरने से भाजपा के सियासी समीकरण बिगड़ गए है। मोती कश्यप मांझी समाज से आते है और बड़वारा विधानसभ सीट पर मांझी समजा के 35 हजार के करीब वोट है।
सीधी में बागी हुए भाजपा के विधायक-सीधी पेशाब कांड से चर्चा में आए भाजपा विधायक केदारनाथ शुक्ला टिकट कटने के बाद निर्दलीय चुनाव मैदान में आ डटे है। भाजपा ने सीधी सांसद रीति पाठक को सीधी से टिकट दिया है ऐसे में केदारनाथ शुक्ला के निर्दलीय चुनाव लड़ने से भाजपा की मुश्किलें बढ़ गई है।
भिंड में भी भाजपा विधायक की बागवत-भिंड विधानसभा सीट पर बसपा से छोड़ भाजपा में आए संजीव कुशवाह टिकट नहीं मिलने के कारण अपनी पुरानी पार्टी में लौट गए है। दरअसल संजीव कुशवाह 2018 का विधानसभा चुनाव बसपा के टिकट पर जीते थे लेकिन बाद में वह भाजपा में शामिल हो गए थे। ऐसे में जब भाजपा ने इस बार उनको टिकट नहीं दिया तो वह अपनी पुरानी पार्टी में लौट गए और बसपा के टिकट पर फिर मैदान में है।
टीकमगढ़ में पूर्व विधायक बागी-टीकमगढ़ विधानसभा सीट पर भी भाजपा को बागी का सामना करना पड़ रहा है। पूर्व विधायक केके श्रीवास्तव के चुनावी मैदान में निर्दलीय उतरने से वर्तमान विधायक और भाजपा के उम्मीदवार अनिल जैन को चुनाव में बड़ी चुनौती का सामना करना पड़ सकता है।
कांग्रेस में बगावत- महू विधानसभा सीट पर मुश्किल में कांग्रेस-इंदौर में महू विधानसभा सीट पर कांग्रेस को बगावत का सामना करना पड़ रहा है। कांग्रेस के पूर्व विधायक अंतर सिंह दरबार बागी होकर चुनावी मैदान में आ डटे है। अंतर सिंह दरबार के चुनावी मैदान में उतरने से भाजपा प्रत्याशी और मंत्री ऊषा ठाकुर की राह आसान हो सकती है।
आलोट में कांग्रेस के पूर्व सांसद की बगावत-रतलाम जिले की आलोट विधानसभा सीट पर कांग्रेस के पूर्व सांसद प्रेमचंद गुड्डू को पार्टी के बड़े नेता भी नहीं मना पाए और वह चुनावी मैदान में आ डटे है। दिलचस्प बात यह है कि कांग्रेस से बगावत करने वाले प्रेमचंद गुड्डू की बेटी रीना बौरासी को कांग्रेस ने सांवेर सीट से टिकट दिया है। प्रेमचंद गुड्डू के चुनाव लड़ने से आलोट से कांग्रेस के वर्तमान विधायक मनोज चावला की मुश्किलें बढ़ सकती है।
कांग्रेस के गढ़ भोपाल उत्तर में बगावत-ढाई दशक से कांग्रेस के गढ़ के रूप में पहचानी जाने वाली भोपाल उत्तर विधानसभा सीट पर कांग्रेस को इस बार परिवार की बागवत की सामना करना पड़ रहा है। कांग्रेस विधायक आरिफ अकील के खराब स्वास्थ्य के चलते पार्टी ने इस बार उनके बेटे आतिफ अकील को टिकट दिया तो आरिफ अकील के भाई आमिर अकील ने बगावत कर दी। आमिर अकील के चुनाव लड़ने के साथ कांग्रेस के बागी नासिर इस्लाम भी चुनावी मैदान में डटे है, इससे कांग्रेस की मुश्किलें बढ़ गई है।
गोटेगांव में बगावत से पूर्व विस अध्यक्ष मुश्किल में- गोटेगांव विधानसभा सीट पर भी कांग्रेस को बगावत का सामना करना पड़ रहा है। गोटेगांव में कांग्रेस में बागवत की कहानी काफी दिलचस्प है। गोटेगांव विधानसभा सीट से कांग्रेस ने पहले शेखर चौधरी को अपना उम्मीदवार बनाया था लेकिन बाद पार्टी ने बाद में उम्मीदवार बदलकर पूर्व विधानसभा अध्यक्ष एनपी प्रजापति को अपना प्रत्याशी बना दिया। इसके बाद शेखर चौधरी निर्दलीय चुनाव मैदानमें आ डटे है।