मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव के एग्गिज पोल में सबसे अधिक चर्चा ग्वालियर-चंबल की हो रही है। ग्वालियर-चंबल की 34 सीटों पर इस बार कांग्रेस और भाजपा की सबसे अधिक आशा टिकी है। वेबदुनिया ने 17 नवंबर की वोटिंग के बाद जब ग्वालियर-चंबल के वोटर्स और सियासत के जानकारों से बात की तो इस बार भाजपा 2018 के मुकाबले कुछ बेहतर स्थिति में दिख रही है। ग्वालियर-चंबल में भाजपा इस बार 12-16 सीटें जीत सकती है। वहीं कांग्रेस ने 16-20 सीटें जीत सकती है। वहीं 1 सीटें बसपा के खाते में जा सकती है। दरअसल 2018 के विधानसभा चुनाव में ग्वालियर-चंबल की 34 विधानसभा सीटों में से भाजपा मात्र 7 सीटों पर सिमट गई थी और उसको सत्ता से बाहर होना पड़ा था।
ग्वालियर चंबल में इस बार सबसे अधिक चर्चा में जिला मुरैना है। जहां भाजपा ने केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर को चुनावी मैदान में उतारा है। मुरैना जिले की 6 विधानसभा सीटों में इस बार भाजपा 3 और कांग्रेस 3 विधानसभा सीटों पर जीत सकती है। वहीं एक सीट पर कांटे का मुकाबला है। गौरतलब है कि 2018 के विधानसभा चुनाव में मुरैना जिले की सभी छह सीटें कांग्रेस के खाते में गई थी।
मुरैना की दिमनी विधानसभा सीट से केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर के चुनाव लड़ने के कारण सबसे अधिक चर्चा के केंद्र में है। वोटिंग के बाद स्थानीय लोगों से चुनावी जानकारों से बात करने पर इस सीट पर भाजपा की जीत का अनुमान है। केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर चुनाव जीत सकते है। हलांकि कांग्रेस के रविंद्र सिंह तोमर, बसपा के बलवीर दंडोतिया के चलते यह सीट त्रिकोणीय मुकाबले में फंसी है।
मुरैना की जौरा विधानसभा सीट पर कांग्रेस के पंकज उपाध्याय और भाजपा के सूबेदार सिंह सिकरवार के बीच सीधा मुकाबला है। जौरा विधानसभा सीट पर कांग्रेस के पंकज उपाध्याय चुनाव जीत सकते है। वहीं मुरैना जिले की अम्बाह विधानसभा सीट पर कांग्रेस के देवेंद्र सखवार और भाजपा के कमलेश जाटव के बीच सीधा मुकाबला है। इस सीट पर कांग्रेस को सफलता मिल सकती है। वहीं मुरैना जिले की सबलगढ़ विधानसभा सीट पर भाजपा की सरला विजेद्र रावत और कांग्रेस के बैजनाथ कुशवाह के बीच सीधा मुकाबला है और यहां पर भी कांग्रेस भारी पड़ती दिख रही है।