Uniform Civil Code in Madhya Pradesh:मध्यप्रदेश में विधानसभा चुनाव से पहले कॉमन सिविल कोड ((Uniform Civil Code) को लेकर चर्चा तेज हो गई है। पिछले साल दिसंबर माह में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान(Shivraj Singh Chouhan) के कॉमन सिविल कोड का खुलकर समर्थन किए जाने के बाद अब प्रशासिनक स्तर पर इसको लेकर तैयारी तेज हो गई है। सरकार चुनाव से ठीक पहले प्रदेश में कॉमन सिविल कोड लागू करने को लेकर ड्राफ्ट तैयार करने को लेकर कमेटी बनाने का एलान करने की तैयारी में है।
दरअसल इन दिनों देश में कॉमन सिविल कोड को लेकर काफी हलचल है। लॉ कमीशन ने देश के तमाम धार्मिक संगठनों से समान नागरिक संहिता को लेकर 30 दिनों के सुझाव मांगे है। विधि आयोग ने धार्मिक संगठन और आम लोगों से अपनी आधिकारिक ईमेल आइडी membersecretary-lci@gov.in पर सुझाव भेजने को कहा है। विधि आयोग की ओर से समान नागरिक संहिता को लेकर सुझाव आमंत्रित किए जाने को अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव से जोड़ कर देखा जा रहा है और देश में इस वक्त यह सार्वाधिक चर्चा का विषय बन गया है।
चुनाव से पहले मध्यप्रदेश में बड़ा दांव?- मध्यप्रदेश में साल के अंत में होने वाले विधानसभा चुनाव से राज्य की भाजपा सरकार कॉमन सिविल कोड का दांव चलकर चुनाव एजेंडा सेट करने की तैयारी में है। पिछले साल दिसंबर (2022) में सेंधवा में एक कार्यक्रम में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने खुलकर कॉमन सिविल कोड की वकालत कर सरकार के नजरिए को साफ कर दिया था।
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा था कि भारत में अब समय आ गया है एक समान नागरिक संहिता लागू होनी चाहिए। एक से ज्यादा शादी क्यों करे कोई, एक देश में दो विधान क्यों चले, एक ही होना चाहिए। मध्य प्रदेश में भी मैं कमेटी बना रहा हूं। मुख्यमंत्री के इस ऐलान को किए 6 महीने से ज्यादा का वक्त बीत चुका है लेकिन अब तक सरकार ने इस पर आगे नहीं बड़ी है। ऐसे में अब विधानसभा चुनाव से पहले कॉमन सिविल कोड को लेकर सरकार एक्शन में आ सकती है और सरकार कमेटी गठन करने का प्रस्ताव कैबिनेट में लाकर इसको मंजूरी दे सकती है।
वोटरों के ध्रुवीकरण की कोशिश!- कॉमन सिविल कोड के सहारे मध्यप्रदेश में भाजपा सरकार ध्रुवीकरण का कार्ड चल सकती है। प्रदेश में सत्ता विरोधी लहर का सामना कर रही भाजपा सरकार कॉमन सिविल कोड के सहारे हिंदुत्व का कार्ड चल सकती है। अगर पिछले कुछ विधानसभा चुनाव को देखा जाए तो भाजपा चुनावी राज्य में कॉमन सिविल कोड को लागू करने को अपने चुनावी घोषणा पत्र का मुख्य हिस्सा बनाती है। कर्नाटक में विधानसभा चुनाव से पहले भाजपा सरकार ने कॉमन सिविल कोड लागू करने को लेकर कमेटी बनाने का एलान किया था लेकिन राज्य के चुनावी नतीजे बताते है कि इसका भाजपा को कोई फायदा नहीं हुआ। हलांकि गुजरात के साथ उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में विधानसभा चुनाव में भाजपा ने अपने चुनावी एजेंडे में कॉमन सिविल कोड को उपर रखा और भाजपा को इसका सीधा फायदा भी हुआ था।
क्या है समान नागरिक संहिता?-देश में लंबे समय से समान नागरिक संहिता लागू करने की मांग उठ रही है। दरअसल समान नागरिक संहिता पूरे देश के लिए एक समान कानून के साथ ही सभी धार्मिक समुदायों के लिए विवाह, तलाक, संपत्ति, उत्तराधिकार, दत्तक ग्रहण कानूनों में भी एकरूपता प्रदान करने का प्रावधान करती है। समान नागरिक संहिता भाजपा के चुनावी एजेंडे में भी शामिल है और पिछले देश के गृहमंत्री अमित शाह ने कहा था कि भाजपा समान नागरिक संहिता को लागू करने को लेकर प्रतिबद्ध है।
समान नागरिक संहिता यानी यूनिफॉर्म सिविल कोड का अर्थ होता है भारत में रहने वाले हर नागरिक के लिए एक समान कानून। चाहे वह किसी भी धर्म या जाति का क्यों न हो। समान नागरिक संहिता में शादी, तलाक और जमीन-जायदाद के बंटवारे में सभी धर्मों के लिए एक ही कानून लागू होगा। यूनिफॉर्म सिविल कोड का अर्थ एक निष्पक्ष कानून है, जिसका किसी धर्म से कोई ताल्लुक नहीं है।
संविधान के आर्टिकल 36 से 51 के माध्यम से राज्य को कई मुद्दों पर सुझाव दिए गए हैं। इनमें से आर्टिकल 44 राज्य को सभी धर्मों के लिए समान नागरिक संहिता बनाने का निर्देश देता है। यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू होने से सभी धर्मों के लिए एक जैसा कानून आ जाएगा। वर्तमान में मुस्लिम और हिन्दू लॉ में तलाक और विवाह संबंधी कानून अलग-अलग हैं। संविधान के अनुच्छेद 44 के अनुसार पूरे भारत के नागरिकों के लिए एक समान नागरिक संहिता सुनिश्चित करने की बात कही गई है।