लोकसभा चुनाव के दौरान नक्सली क्षेत्रों में किए जाने वाले सुरक्षा इंतजाम की अभी तक रणनीति नहीं बन पाई है। प्रदेश को मिलने वाले केन्द्रीय सुरक्षाबल की स्थिति स्पष्ट नहीं होने की वजह से ऐसा हो रहा है। चुनाव शांतिपूर्ण संपन्न कराने के लिए गृह विभाग ने केन्द्र से अर्द्ध सुरक्षाबल की सात सौ कंपनी की मॉंग की है।
राज्य में एक ही चरण में मतदान होना है। इसी दिन कुछ और राज्यों में भी मतदान होना है। पुलिस के रणनीतिकारों के अनुसार ऐसे में अकेले छत्तीसगढ़ को सात सौ कंपनी मिलने की संभावना बहुत कम है।
मतदान में करीब एक महीने का समय शेष है, लेकिन अभी तक यह स्पष्ट नहीं हो पाया है कि केन्द्र से सुरक्षा बल की कितनी कंपनी दी जाएगी। इससे सुरक्षा की रणनीति बनाने में दिक्कत हो रही है। पुलिस के एक आला अफसर के अनुसार सात सौ कंपनियों के हिसाब से पुलिस की रणनीति तैयार है, लेकिन इसमें कमी की जाती है तो उसी हिसाब से नए सिरे से योजना बनानी पड़ेगी।
अभी भी समय है : पुलिस अफसरों के अनुसार केन्द्रीय सुरक्षाबलों की स्थिति अगले सप्ताह तक स्पष्ट हो जाए और इस महीने के अंत तक उनकी आमद शुरू हो जाए तो अच्छा रहेगा। इससे रणनीति बनाने और उनकी तैनाती के साथ नक्सलियों पर दबाव बनाने में आसानी रहेगी।
विस चुनाव में ये रही रणनीति : विधानसभा चुनाव के दौरान प्रदेश में बीएसएफ सहित अन्य केन्द्रीय सुरक्षा बलों की तैनाती की गई थी। पुलिस अफसरों के अनुसार बीएसएफ की ज्यादातर बटालियन काफी पहले आ गई थीं। उन्हें तुरंत नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में तैनात कर दिया गया था।
बड़ी संख्या में फोर्स की तैनाती और लगातार सर्चिंग की वजह से नक्सली दबाव में आ गए और वे जंगल में काफी पीछे चले गए। यही वजह है कि मतदान के दौरान नक्सली कोई बड़ी वारदात नहीं कर पाए।
विधानसभा चुनाव के दौरान प्रमुख घटनाएँ : *कांकेर के कोड़ेनार में मुठभेड़ के दौरान सीआरपीएफ के एक जवान की मौत। *बीजापुर के पीडिया में एयरफोर्स के हेलिकॉप्टर पर फायरिंग, इंजीनियर की मौत। *फरसगाँव, नेडनार और पुजारी कांकेर में सुरक्षाबलों के बैस कैंप पर हमला। *भेज्जी में विस्फोट से दो एसपीओ व एक जवान घायल। *कोंटा के तोनपाल में सीआरपीएफ का एक जवान घायल। *किस्टाराम में मतदान दल पर फायरिंग। *५० से अधिक स्थानों पर ईवीएम की लूट के मामले में डकैती का जुर्म दर्ज। *पुनर्मतदान के बाद लौटते समय बारूदी सुरंग विस्फोट में आठ जवान शहीद।