प्रदेश में अघोषित बिजली कटौती का कहर टूट पड़ा है। खास तौर पर गाँवों में कटौती की मार ने लोगों का जीना मुहाल कर दिया है। गाँवों में बमुश्किल आठ से दस घंटे बिजली मिल पा रही है।
बिजली विभाग के सारे दावे हकीकत की जमीन पर औंधे मुँह पड़े हैं। विभाग ने अप्रैल-09 में ही वितरण कंपनियों को नया कटौती प्लान मुहैया कराया था। अप्रैल के प्लान में आपूर्ति पूर्व की तुलना में काफी बढ़ाई गई थी, लेकिन हकीकत उलट है।
राज्य स्तर से भले ही निष्ठुर कटौती प्लान न हो, लेकिन स्थानीय स्तर पर फीडर आधारित कटौती में पूरी बेदर्दी बरती जा रही है। इसीलिए कटौती मुक्त भोपाल तक को दो से चार घंटे रोज कटौती झेलना पड़ रही है। संभागीय मुख्यालयों से गाँवों तक कटौती हो रही है।
गाँवों में 12 घंटे बिजली देने का दावा किया जा रहा है, किंतु आठ घंटे भी बिजली मुश्किल से मिल रही है। रबी सीजन के बाद बिजली की खपत गाँवों में घटी थी, किंतु घरेलू कनेक्शनों पर गर्मी से बढ़ती माँग ने समस्या बढ़ा दी है। मई के शुरू में ही पारा 45 डिग्री पार कर गया था, जिससे कूलर-एसी-पंखे के बढ़ते प्रयोग ने खपत बढ़ा दी।