राज्य की उचित मूल्य की राशन दुकानों पर उपभोक्ताओं को समय पर राशन मिल रहा है या नहीं? हिसाब-किताब रखा जा रहा है या नहीं? दुकान खुलती भी है या नहीं? जैसी तहकीकात के लिए बनाई गई खाद्य महकमे की व्यवस्था लड़खड़ाने लगी है।
20 हजार से ज्यादा दुकानों की जाँच का दारोमदार सिर्फ 150 कनिष्ठ आपूर्ति अधिकारियों (फूड इंस्पेक्टर) के जिम्मे है। यही कारण है कि अब तक राशन दुकानों की जाँच के लिए चलाई गई मुहिम भी पूरी नहीं हो पाई है।
राज्य में 55 लाख से ज्यादा उपभोक्ताओं को हर माह राशन दुकानों के माध्यम से रियायती दरों पर खाद्यान्ना उपलब्ध कराया जाता है। इन दुकानों का संचालन नियमानुसार हो रहा है या नहीं, इसकी जाँच के लिए फूड इंस्पेक्टर की तैनाती हर जिले में की जाती है।
पिछले कुछ सालों से इस संवर्ग में भर्ती नहीं हुई है, इसलिए स्वीकृत 400 पदों में से सिर्फ 150 ही भरे हैं और दुकानों की जाँच प्रभावित हो रही है। लगभग दो माह पहले शुरू कराई गई जाँच की रिपोर्ट का विभाग को अब भी इंतजार है। इसी तरह एक दर्जन से ज्यादा जिलों में जिला आपूर्ति अधिकारी, सात में से दो खाद्य नियंत्रक और 17 सहायक आपूर्ति अधिकारियों के पद रिक्त हैं।
खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति विभाग के आयुक्त अजीत केसरी ने बताया फूड इंस्पेक्टर की भर्ती पर प्रतिबंध लगा है। इस वजह से रिक्तता ज्यादा है। इससे जाँच प्रभावित होती है, लेकिन अब पाँच फीसद पद भर्ती के लिए मिले हैं। (नईदुनिया)