प्रदेश में बूढ़ी उत्पादन इकाइयों के कारण बिजली बेबस हो गई है। हर महीने इकाइयाँ औसत छः से दस बार बंद पड़ जाती हैं। इससे उत्पादन पर असर होता है। इन्हें दुरुस्त करने के लिए छः महीने तक बंद करने की जरूरत है, लेकिन संकट के इस दौर में इन्हें लगातार चलाना भी मजबूरी है।
प्रदेश की अधिकतर बिजली इकाइयाँ अपनी औसत डिजाइन उम्र पार कर चुकी हैं। इनकी औसत उम्र 25 साल मानी जाती है, जबकि अधिकतर इकाइयाँ 70 और 80 के दशक की बनी हैं। सतपुड़ा थर्मल पॉवर प्लांट में 1 से 5 नंबर तक की इकाइयाँ 70 के दशक में बनीं, जबकि 6 से 9 नंबर तक की इकाइयाँ अस्सी के दशक में स्थापित हुई हैं।
क्या है समस्या का हल : बूढ़ी इकाइयों को अच्छी स्थिति में लाने के लिए संपूर्ण इकाई को अपडेट करने की जरूरत है। इसके लिए इकाई को तीन से छः महीने तक बंद रखना पड़ेगा, किंतु बिजली की मौजूदा स्थिति को देखते हुए इकाइयाँ बंद नहीं की जा सकती हैं। नई यूनिट बनने पर ही इनको सुदृढ़ीकरण के लिए बंद किया जा सकेगा।-नईदुनिया