मध्यप्रदेश की इंदौर संसदीय सीट पर सबसे ज्यादा रिकॉर्ड बनाने का श्रेय भारतीय जनता पार्टी की वरिष्ठ नेता और सांसद सुमित्रा महाजन को जाता है, जिन्होंने इस सीट पर न केवल लगातार छह बार जीत दर्ज की है बल्कि कई अन्य रिकॉर्ड भी अपने नाम किए हैं।
भाजपा ने इस बार फिर उन पर भरोसा जताते हुए 30 अप्रैल को यहाँ होने वाले चुनाव के लिए उन्हें पार्टी का उम्मीदवार बनाया है।
वर्ष 1989 के लोकसभा चुनाव में सुमित्रा इंदौर से पहली बार चुनावी रण में उतरी थीं। उस समय इस सीट को कांग्रेस के मजबूत गढ़ के रूप में देखा जाता था। वे तब कांग्रेस के दमदार उम्मीदवार प्रकाशचंद्र सेठी को एक लाख 11 हजार 614 मतों के भारी अंतर से हराकर लोकसभा पहुँचीं थीं।
तब से लेकर आज तक इस सीट पर भाजपा का कब्जा है और सुमित्रा के नाम इंदौर से लगातार छह बार सांसद चुने जाने का रिकॉर्ड दर्ज है।
इस सिलसिले में सुमित्रा के बाद नंबर आता है दिवंगत कांग्रेस नेता प्रकाशचंद्र सेठी का। वे यहाँ लोकसभा चुनाव में भाजपा प्रत्याशी सुमित्रा से हारने वाले पहले कांग्रेस उम्मीदवार थे। दो बार मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे और बतौर केंद्रीय मंत्री अहम विभाग संभाल चुके सेठी ने चार बार लोकसभा में इंदौर की नुमाइंदगी की थी।
सुमित्रा को इंदौर की पहली और इकलौती महिला सांसद होने का गौरव भी प्राप्त है। इसके अलावा वे भाजपा की अकेली उम्मीदवार हैं, जिन्होंने इस लोकसभा सीट पर विजय पताका फहराई।
उन्होंने पिछले यानी वर्ष 2004 के लोकसभा चुनावों में कांग्रेस उम्मीदवार रामेश्वर पटेल को एक लाख 93 हजार 936 मतों से मात दी थी। यह इंदौर लोकसभा सीट पर अब तक का जीत का सबसे बड़ा अंतर है।
सुमित्रा को पिछले चुनाव में पाँच लाख आठ हजार 107 मत मिले थे, जो इंदौर लोकसभा सीट के इतिहास में किसी उम्मीदवार को मिले सबसे ज्यादा वोट हैं।
भाजपा के एक स्थानीय धड़े के पुरजोर विरोध के बावजूद पार्टी ने आगामी लोकसभा चुनाव में सुमित्रा को टिकट दिया है। नतीजतन 65 साल की यह दिग्गज भाजपा नेता एक बार फिर चुनावी मैदान हैं।
दूसरी ओर सुमित्रा को टक्कर देने वाला उम्मीदवार ढूँढने की कांग्रेस की मुहिम अंतिम दौर में है। बदले हालात में इंदौर लोकसभा सीट पर चुनावी महासंग्राम के रोमांचक होने की पूरी उम्मीद है। अब तक कांग्रेस के टिकट पर लोकसभा चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवार सात बार इंदौर का किला फतह कर लोकसभा पहुँचे। वहीं भाजपा ने इस सीट पर छह बार जीत दर्ज की।
बहरहाल इस सवाल का जवाब चुनावी नतीजे देंगे कि भाजपा कांग्रेस के इस रिकॉर्ड की बराबरी कर सकेगी या कांग्रेस भाजपा के खिलाफ नया रिकॉर्ड रचेगी। वैसे भाजपा से लगातार चोट खाकर छटपटा रही कांग्रेस इस बार सुमित्रा की जीत का सिलसिला रोकने को एड़ी चोटी का जोर लगाती दिख रही है।