'फॉरसिथ ट्रेल' पचमढ़ी का रोमांचक सफर

- अनिल यादव
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एडवेंचर प्रेमी नौजवानों के लिए वन विभाग पचमढ़ी के एक ऐसे रोमांचक सफर पर ले जा रहा है, जिसके अंतिम सात किमी पूरा करना अपने आप में चुनौतीपूर्ण होगा। यह वही रास्ता है जिससे गुजर कर अंग्रेज अधिकारी कैप्टन जेम्स ने पचमढ़ी जैसे हिल स्टेशन को खोज निकाला था। यह रोमांचक यात्रा अगले माह 10 से 20 नवंबर तक होगी।

वन विभाग की स्थापना के डेढ़ सौ साल पूरे हो जाने पर विभाग ने इस साल जिन आयोजनों का सिलसिला शुरू किया है, उनमें 'फॉरसिथ ट्रेल' सर्वाधिक लुभावना और रोमांचक है। प्रदेश के पीसीसीएफ डॉ. एचएस पाबला के अनुसार इस यात्रा में 50-50 यात्रियों के जत्थे तीन किश्तों में झेला से पचमढ़ी की यात्रा करेंगे।

झेला में रात्रि विश्राम के बाद तड़के आरंभ इस यात्रा का रात्रि पड़ाव कांझी घाट होगा। दुर्गम पहाड़ियों के बीच घने जंगलों से होकर मात्र 23 किलोमीटर की यात्रा पूरी करने में कुल तीन दिन लगेंगे। हालांकि वन विभाग ने रास्ते में यात्रियों को भोजन और विश्राम के पर्याप्त प्रबंध किए हैं, फिर भी यह दुरूह यात्रा यात्रियों को डिस्कवरी चैनल के मशहूर प्रोग्राम 'मैन वर्सेस वाइल्ड' के प्रस्तोता बीयर ग्रिल्स्‌ की कठिनाइयों की रह-रहकर याद दिलाएगी।

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एपीसीसीएफ टीआर शर्मा इस यात्रा को 'रि-विजिटिंग फॉरसिथ लैण्ड' कहते हैं। उनके अनुसार इस सफर में यात्रियों को वे नदी-नाले, विशाल वृक्ष और चट्टानें मिलेंगी, जिनसे होकर करीब डेढ़ सौ साल पहले कैप्टेन जेम्स फॉरसिथ पचमढ़ी पहुंचा था।

इसमें भी अंतिम 7 किमी का सफर तो बेहद चुनौती भरा होगा। यह रास्ता सीधी खड़ी चढ़ाई का है और इसे पूरा करते ही यह रोमांचक सफर खत्म हो जाएगा। गत सप्ताह वन विभाग के 80 प्रोबेशनर अधिकारियों ने भी इसी रास्ते से गुजरकर फॉरसिथ की कठिन यात्रा का स्वयं अनुभव लिया था। यात्रा के लिए एडवेंचर प्रेमियों को एक हजार रुपए का शुल्क जमा कर अपना रजिस्ट्रेशन कराना होगा। कठिन और मुश्किल चढ़ाई को देखते हुए विभागीय अधिकारी केवल तीन सौ यात्रियों को ही फॉरसिथ ट्रेल के लिए चुनेंगे।

कौन था कैप्टेन फॉरसिथ
ब्रिटिश सैन्य अधिकारी कैप्टेन जेम्स फॉरसिथ वह साहसी व्यक्ति था, जिसने सबसे पहले पचमढ़ी को खोजा था। सतपुड़ा के घनों जंगलों में झिरपा, झेला, कांझी घाट होता हुआ 17 मील का फासला तय करके समुद्र तल से दो हजार फीट ऊंचे ऐसे स्थान पर पहुंचा था, जहां पहाड़ियों से घिरा पठार उसे तश्तरी की तरह नजर आया था।

इस सुरम्य स्थान पर उसे अलग ही तरह के पेड़-पौधे नजर आए। फॉरसिथ को यह जगह भा गई। उसने यहां रोड नेटवर्क, केंटोनमेंट, सेनिटोरियम, टेनिस गोल्फ, पोलो मैदान, स्नूकर और हॉर्स राइडिंग क्लब बनाने का सुझाव दिया।

कैप्टेन फॉरसिथ को बाद में जबलपुर का डिप्टी कमिश्नर बना दिया गया और उसने सन्‌ 1862 में पचमढ़ी के महादेव हिल्स पर बायसन लॉज की स्थापना की। सन्‌ 1871 में प्रकाशित उसकी पुस्तक 'हाइलैण्ड्स ऑफ सेंट्रल इंडिया' में पहली बार इस इलाके को गोंडवाना कहा गया। कैप्टन फॉरसिथ की मौत मात्र 33 वर्ष की उम्र में हो गई थी।

पचमढ़ी का प्राकृतिक सौंदर्य देखकर उसे कहना पड़ा था कि भारत में उसके द्वारा देखे गए स्थानों में यह स्थान सबसे खूबसूरत है। आज यह मध्य भारत का एक मात्र हिल स्टेशन है।

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