मांडू के कई पर्यटन स्थल असुरक्षित

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इंदौर के पास पातालपानी पर्यटन क्षेत्र में गत दिनों हुए दर्दनाक हादसे और उसमें एक ही परिवार के सदस्यों की मौत के मंजर को कोई नहीं भूल पाया है। ऐसे में उन सभी पर्यटन स्थलों की सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल खड़े हो गए हैं, जहां पर्यटक मनोरंजन के नाम पर अपनी जिंदगी दांव पर लगा देते हैं। मध्यप्रदेश के धार जिले में भी कुछ ऐसे स्थान हैं, जहां सावधानी हटने पर दुर्घटना घट सकती है। यहां सुरक्षा के पर्याप्त इंतजाम नहीं हैं।

मांडू एक ऐतिहासिक नगरी होने के साथ-साथ विश्व प्रसिद्ध पर्यटन स्थल है। धार की ओर से आने वाले पर्यटकों का सबसे पहले प्राकृतिक वातावरण में 'काकड़ा खो' पर ही स्वागत होता है। यह स्थल पर्यटकों के लिहाज से असुरक्षित माना जाता है। इसकी वजह यह है कि यहां पर वर्षा ऋतु में झरना बहने लगता है।

मांडू प्रतिनिधि के अनुसार इस नजारे को देखने के लिए भी पर्यटक यहां रुकते हैं, परंतु यहां पर्याप्त रैलिंग नहीं है। कुछ स्थानों पर है, लेकिन वह टूट चुकी है। करीब एक हजार फुट नीचे गहरी खाई है। पूर्व में यहां हादसे हो चुके हैं।

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'सात कोठारी' भी खतरों से भरपूर
मांडू में प्रवेश करने के दौरान ही 'सात कोठरी' भी आती है। यहां पर मंदिर होने के साथ-साथ प्राकृतिक दृश्य वाला क्षेत्र है। वर्षा अधिक होने पर पानी का बहाव रहता है। इस पानी के आकर्षण में कई बार पर्यटक अपनी जान को असुरक्षित कर लेते हैं। यहां भी कोई चौकीदार या अन्य सुरक्षा इंतजाम नहीं हैं। रैलिंगविहीन यह पूरा क्षेत्र है, जबकि यहां गहरी खाई है तथा पहले भी कई हादसे हो चुके हैं।

लोहानी गुफा
मांडू जाने वाले पर्यटकों के लिए जरूरी है कि वे लोहानी गुफा क्षेत्र में पर्यटन व भ्रमण के दौरान ऊंचे-नीचे रास्तों का ध्यान रखें। यहां पर करीब 700 से आठ सौ फुट नीचे गहरी खाई है और रैलिंग नहीं है। बारिश में मिट्टी चिकनी होने से फिसलन का डर बना रहता है। इसी प्रकार नीलकंठेश्वर मंदिर क्षेत्र में भी पहाड़ियां हैं, जहां पर झरने बहते हैं।

डेढ़ सौ फुट गहरी खाई
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समीपस्थ कोटेश्वर धाम पर स्थित हिंगलाज माता मंदिर प्रांगण में बहता झरना एक ऐसा स्थान है, जहां हादसे की गुंजाइश बनी रहती है। यहां पर काइ जमी रहती है। नहाने के दौरान अधिकांश लोग फिसल भी जाते हैं। करीब 150 फुट गहरी खाई है।

एक प्रतिनिधि के अनुसार खुज नदी के कारण खुजावा क्षेत्र में हादसे का डर बना रहता है। फिलहाल यहां पर पानी नहीं है, किंतु मामूली बारिश होने पर पानी आ जाता है और लोग यहां पानी में उतर जाते हैं। दरअसल खुज नदी एक पहाड़ी नदी है। इसमें अचानक पानी आता है, जो हादसे का सबब बन सकता है। उल्लेखनीय है कि एक बार यहां पर एक ट्रक पानी के बहाव में बह चुका है।

इसी प्रकार नालछा से दस किमी दूर स्थित प्रसिद्घ धार्मिक स्थल जीरापुरा में चौसठ जोगिनी माता मंदिर परिसर में मानसरोवर तालाब बना हुआ है। वर्षभर यहां बड़ी संख्या में श्रद्घालु पहुंचते हैं। प्रति मंगवार मेले जैसा माहौल रहता है। धार्मिक आस्था अनुसार तालाब में डुबकी लगाकर माता के दर्शन किए जाते हैं। तालाब में सुरक्षा के व्यापक इंतजाम नहीं किए गए हैं। कई बार नहाने के दौरान बच्चे व बड़े लोगों की डुबने से मृत्यु हो चुकी है।

शासन द्वारा इस ओर उदासीनता बरती गई है। जबकि यह स्थान धार जिला ही नहीं अपितु कई अन्य जिलों में भी प्रसिद्घ स्थल के रूप में जाना जाता है। श्रद्घालुओं की सुरक्षा के लिहाज से रैलिंग व अन्य सुरक्षा की आवश्यकता है। साथ ही इसके पर्यटकों को स्वयं अपनी जान-माल की सुरक्षा करना चाहिए। ऐसे खतरनाक स्थान से दूर रहना चाहिए।

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