MP में CM और मंत्रियों के साथ स्पीकर और नेता प्रतिपक्ष खुद भरेंगे इनकम टैक्स, गौवंश परिवहन व ट्यूबवेल खुला छोड़ने वालों पर होगी कार्रवाई

विकास सिंह

सोमवार, 1 जुलाई 2024 (18:24 IST)
भोपाल। मध्यप्रदेश में मोहन सरकार के मंत्रियों के साथ विधानसभा अध्यक्ष नरेंद्र सिंह तोमर और नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार अपना इनकम टैक्स खुद भरेंगे। आज विधानसभा के बजट सत्र के पहले दि मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव द्वारा कैबिनेट के माध्यम से स्वयं का और मंत्रीगण का आयकर स्वयं जमा करने के निर्णय का विशेष उल्लेख विधानसभा अध्यक्ष नरेंद्र सिंह तोमर ने प्रश्नकाल के बाद किया।

विधानसभा अध्यक्ष नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने स्वयं का और मंत्री गण ने भी स्वयं का इनकम टैक्स खुद जमा करने का निर्णय लिया है। वे स्वयं भी अब अपना इनकम टैक्स जमा करेंगे। इस पर नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंगार ने कहा कि वे भी अपना आयकर स्वयं जमा करेंगे। गौरतलब है कि मोहन कैबिनेट ने निर्णय लिया था कि मंत्रियों के वेतन भत्ते पर लगने वाले इनकम टैक्स की राशि खुद मंत्री भरेंगे। इसके लिए विधानसभा के बजट सत्र में संशोधन विधेयक लाया जाएगा।

इसके साथ ही सोमवार को विधानसभा के समिति कक्ष मे हुई मोहन कैबिनेट में कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए। प्रदेश में अब गौवंश का परिवहन करने वालों के वाहन राजसात किए जाएंगे।  मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा कि प्रदेश में गोवध की मंशा से गौवंश के परिवहन का अवैध कृत्य करने वाले वाहन कई बार न्यायालय से छूट जाते हैं। नियमों के उल्लंघन पर पकड़े गए वाहनों के प्रकरण में वाहनों को राजसात करने की कार्रवाई की जाएगी। वाहन जब्त होंगे, उन्हें छोड़ा नहीं जाएगा।

इसके साथ मुख्यमंत्री डॉ यादव ने कहा कि ट्यूब वेल खनन के बाद बिना ढक्कन के खनन स्थल होने से छोटे बच्चों की असामयिक मृत्यु का कारण बन जाते हैं। ऐसे मामले सामने आते रहते हैं। प्रायः बच्चों को बचाया जाना मुश्किल होता है। ऐसे मामलों में सख्त कार्रवाई की जाएगी। दोषी लोगों के विरूद्ध कार्रवाई की जाएगी। एफआईआर दर्ज करने और जुर्माना लगाने की कार्रवाई करेंगे। ट्यूब वेल खनन के बाद उसे छोड़ देने वाले व्यक्तियों की लापरवाही क्षम्य नहीं होगी।

मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा है कि प्रदेश में नागरिकों के कल्याण और उन्हें अपनी संस्कृति से जुड़ने से संबंधित महत्वपूर्ण निर्णय लिए जा रहे हैं। इस क्रम में विश्वविद्यालयों के कुलपति को कुलगुरू का संबोधन देने का निर्णय लिया गया। इस संबोधन में आत्मीयता, स्नेह और सम्मान का भाव भी निहित है।

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