भोपाल। राष्ट्रपति चुनाव में क्रॉस वोटिंग के बाद मध्यप्रदेश में सियासी पारा गर्मा गया है। बड़ी संख्या में कांग्रेस विधायकों की क्रॉस वोटिंग के बाद भाजपा और कांग्रेस आमने सामने आ गई है। कांग्रेस विधायकों की क्रॉस वोटिंग को भाजपा कांग्रेस में टूट बता रही है। तो अब सवाल यह भी खड़ा होने लगा है कि क्या 2023 विधानसभा चुनाव से पहले मध्यप्रदेश में कुछ और कांग्रेस विधायक भाजपा के पाले में खड़े दिखाई देंगे? क्या कमलनाथ के नेतृत्व वाली कांग्रेस प्रदेश में फिर टूट जाएगी?
राष्ट्रपति चुनाव में कांग्रेस विधायकों के क्रॉस वोटिंग करने पर प्रदेश के कृषि मंत्रीकमल पटेल ने बड़ा बयान देते हुए कहा कि कांग्रेस विधायकों का कांग्रेस के नेतृत्व पर से विश्वास उठ गया है। कांग्रेस के 17 विधायक कांग्रेस के टिकट पर विधानसभा चुनाव नहीं लड़ना चाहते है। कृषि मंत्री कमल पटेल ने क्रॉस वोटिंग करने वाले कांग्रेस विधायकों को भाजपा में शामिल होने का ऑफर भी दे दिया। कमल पटेल ने कहा कि कांग्रेस विधायकों का भाजपा में स्वागत है।
वहीं राष्ट्रपति चुनाव में कांग्रेस विधायकों की क्रॉस वोटिंग पर गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा ने कहा कि कमलनाथ के नेतृत्व में 2 साल में पांच बार कांग्रेस टूटी है। कांग्रेस विधायकों का अपने नेतृत्व पर ही विश्वास नहीं है। कांग्रेस विधायक लगातार कांग्रेस का साथ छोड़ रहे है। नरोत्तम मिश्रा ने कमलनाथ पर तंज कसते हुए कहा कि पहले कांग्रेस विधायक गए तो कमलनाथ सरकार चली गई, फिर विधायक गए तो साख चली गई और अब विधायकों की क्रॉस वोटिंग से नाक ही चली गई। कमलनाथ ने राष्ट्रपति चुनाव से पहले अपने विधायकों के ईमान पर सवाल उठा कर उनको बिकाऊ बता दिया था और विधायकों की क्रॉस वोटिंग जर्जर होती कांग्रेस राष्ट्रपति चुनाव आखिरी कील थी।
गौरतलब है कि वेबदुनिया ने सबसे पहले अपने पाठकों को इस बात की प्रामणिक खबर थी कि मध्यप्रदेश में कांग्रेस विधायक राष्ट्रपति चुनाव में पार्टी लाइन के खिलाफ जाकर क्रॉस वोटिंग करेंगे। गौरतलब है कि कांग्रेस विधायक सचिन बिरला एक लंबे अरसे से खुलकर भाजपा के मंच पर दिखाई दे रहे है और भाजपा को समर्थन दे रहे है। वहीं राष्ट्रपति चुनाव के दौरान कांग्रेस के टिकट पर विधायक चुने गए आदिवासी संगठन के नेता जयस के नेता हीरालाल अलावा द्रौपदी मुर्मू का समर्थन कर चुके थे। वहीं पिछले दिनों सपा, बसपा और निर्दलीय विधायक भाजपा में शामिल हो चुके है।