इंदौर। एक तरफ कोरोनावायरस (Coronavirus) के ओमिक्रोन (Omicron) वैरिएंट ने पूरी दुनिया की नींद उड़ाई हुई है, वहीं इंदौर में मध्य प्रदेश सरकार द्वारा आयोजित टंट्या मामा के कार्यक्रम में कोरोना प्रोटोकॉल की खुलेआम धज्जियां उड़ गईं।
टंट्या मामा के बलिदान दिवस पर इंदौर के नेहरू स्टेडियम में आयोजित इस कार्यक्रम में एक अनुमान के मुताबिक एक लाख से ज्यादा की संख्या में लोग जुटे थे, लेकिन न तो वहां सोशल डिस्टेंसिंग का खयाल रखा गया न ही लोगों के चेहरे पर मास्क नजर आए।
यह भी तब जब कोरोना का तेजी से फैलने वाला वैरिएंट ओमिक्रोन भारत में अपनी एंट्री ले चुका है। इस वायरस के बारे में कहा जाता है कि यह बहुत तेजी से फैलता है। ओमिक्रोन के 2 मामले कर्नाटक में, जबकि एक मामला गुजरात में सामने आया है। एक मामला मुंबई में सामने आया है।
कार्यक्रम में शामिल होने आए लोगों की तो बात छोड़ ही दीजिए, मंच पर मौजूद 'दिग्गजों' के चेहरों से भी मास्क नदारद था। आपको बता दें कि मध्यप्रदेश और इंदौर एक बार फिर से कोरोना केस सामने आना शुरू हो गए हैं। मध्यप्रदेश में पिछले 24 घंटे में 18 नए मामले सामने आए हैं। इनमें इंदौर में 6 मामले सामने आए हैं।
हालांकि कार्यक्रम में शामिल होने आए ज्यादातर लोगों ने इस कार्यक्रम का समर्थन एवं सराहना की, लेकिन कुछ लोगों ने दबे सुर में यह भी स्वीकार किया कि कोरोना के मद्देनजर इस तरह के आयोजन नहीं होना चाहिए। गोंडवाना स्टूडेंट यूनियन के दिनेश काकोरिया ने कहा कि इस आयोजन में कोरोना गाइडलाइंस का पालन नहीं किया गया। सरकार को इतनी भीड़ नहीं जुटानी चाहिए थी। स्वयं मुख्यमंत्री शिवराज चौहान ने कार्यक्रम के लिए एक लाख का लक्ष्य रखा था।
इसी तरह विनायक ने कार्यक्रम की सराहना करते हुए कहा कि आदिवासी भाइयों के लिए किया गया यह कार्यक्रम बहुत अच्छा था। हालांकि कोरोना प्रोटोकॉल का पालन होना चाहिए था। यह ठीक नहीं है। इससे लोगों को नुकसान हो सकता है। महामारी फैल सकती है। विनायक ने कहा कि हमें यह भी देखना है कि सब कुछ बंद नहीं किया जा सकता। एकदम बंद कर देंगे तो लोगों में डर फैलेगा, जो कि सही नहीं है।
...फिर भी सावधानी तो जरूरी है : इसमें कोई संदेह नहीं कि अपने दौर के 'रॉबिन हुड' टंट्या मामा को पूरा सम्मान मिलना चाहिए, लेकिन इसके लिए लोगों के स्वास्थ्य को दांव पर नहीं लगाया जा सकता। इतनी भीड़ में यदि कुछ संक्रमित लोग भी हुए तो इस बात की पूरी आशंका है कि यह संक्रमण कुछ और लोगों में फैल जाए। ऐसे में ऐहतियात जरूरी है। क्योंकि कोरोना की दूसरी लहर में चिताओं की कतारें, ऑक्सीजन सिलेंडरों के लिए मारे-मारे फिरते लोग, दवाइयों के लिए लगी लंबी लाइनों वाले दृश्य अभी भी लोगों की आंखों से ओझल नहीं हो पाए हैं। जिन लोगों ने अपनों को खोया है, उनका दर्द तो बयां करना ही मुश्किल है।