प्रदेश की तीनों बिजली कंपनियों ने विद्युत नियामक आयोग को बिजली के दाम बढ़ाने संबंधी एक याचिका सौंपी है जिसमें सभी वर्ग के बिजली उपभोक्ताओं को बिजली करीब 6 फीसदी तक महंगी किए जाने का प्रस्ताव दिया है। कंपनियों ने दाम बढ़ाए जाने का बड़ा कारण ढाई हजार करोड़ से अधिक का घाटा बताया है। अपने इस घाटे से उबरने के लिए अब बिजली कंपनियां बिजली उपभोक्ताओं पर बोझ बढ़ाने जा रही हैं।
हर साल महंगी होती बिजली- अगर आंकड़ों के हिसाब से देखा जाए तो पिछले 13 साल में प्रदेश में बिजली की दरें दोगुना हो गई हैं। मध्य प्रदेश में वर्ष 2007-08 में बिजली दर 3.29 रुपए प्रति यूनिट थी जो 2020 में बढ़कर 6.55 रुपए प्रति यूनिट हो गई है। पिछले साल बिजली कंपनियों ने दो हजार करोड़ का घाटा बताते हुए 5.73 फीसदी तक बिजली महंगी किए जाने का प्रस्ताव आयोग को सौंपा था।
आयकर देने वालों को सस्ती बिजली नहीं-वहीं मध्यप्रदेश में खाली खजाने से जूझ रही शिवराज सरकार ने अब खजाना भरने के लिए 100 यूनिट बिजली 100 रुपए के दायरे से छह लाख ऐसे उपभोक्ता को बाहर कर देने फैसला पहले ही कर लिया है जो इनकम टैक्स देते है। पिछले दिनों कैबिनेट की बैठक में ऊर्जा विभाग के प्रेजेंटेशन के दौरान मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने 100 रुपए बिल के दायरे में आने वाले ऐसे 6 लाख उपभोक्ता जो इनकम टैक्स के दायरे में आते है, उन सब को उस दायरे से निकालने के निर्देश दिए है। सरकार ने अपने इस फैसले के पीछे कारण बताया है कि खपत के आधार पर लाई गई इस योजना में कई प्रथम श्रेणी के अधिकारी भी आ गए थे।