जिम्मी मगिलिगन सेंटर फॉर सस्टेनेबल डेवलपमेंट द्वारा 26 से 28 मई तक तीन दिवसीय प्रशिक्षण शिविर आयोजित किया गया, जिसमें प्रत्येक दिन डॉ. गरिमा दुबे के निर्देशन में मालवा तकनीकी संस्थान के इंजीनियरिंग के कुल 150 विद्यार्थियों ने भाग लिया।
शामिल सभी विद्यार्थी सिविल इंजीनियरिंग, मैकेनिकल इंजीनियरिंग, और कंप्यूटर साइंस के थे। प्रशिक्षण में रेन वॉटर हॉर्वेस्टिंग, ऊर्जा और पानी की बचत, विद्युत पैदा करने के लिए सोलर वायु तकनीक का प्रयोग, कुकिंग सोलर ड्रायिंग डिवाइस, जैव तकनीक द्वारा उगाए गए एवं सोलर तकनीक द्वारा तैयार खाद्य उत्पाद, प्राकृतिक रंग, औषधि, सौंदर्य उत्पाद, जैव रसायन व पोषक तत्व जैसी सभी जानकारियां विद्यार्थियों के लिए एकदम अनूठी थी। उन्होंने स्वयं अपने हाथों से पेपर और घास-भूस का प्रयोग कर कंडे भी बनाए।
विद्यार्थियों का कहना था कि सभी जैविक उत्पाद, वॉटर हॉर्वेस्टिंग व सोलर जानकारियां उनके लिए बिल्कुल नई, आंखें खोल देने वाली एवं प्रेरणादायक रहीं। इतना ही नहीं उनका मानना था कि यह सब उन्हें अपने भविष्य को सही व स्पष्ट दिशा देने में काफी मददगार साबित होगा।
इस कार्यक्रम में डॉ. गरिमा दुबे, डॉ. क्रांति पाण्डेय, श्रीमती मीनल तोमर, मालवा इंस्टीटयूट ऑफ टेक्नोलॉजी के सिविल, इलेक्ट्रॉनिक व अन्य विषय के इंजीनियरिंग के विद्यार्थी एवं फैकल्टी शामिल थीं।
प्रकृति ने हमें हमारे जीवन और आत्मा के साथ अनगिनत दीर्घकालिक उपहार प्रदान किए हैं, जिनके माध्यम से हम इस दुनिया को स्वर्ग बना सकते हैं। लेकिन अपनी कुछ गलतियों के कारण हम इसे नर्क बना रहे हैं। पद्मश्री डॉ. जनक पलटा मगिलिगन कहती हैं कि सही कार्यों और निर्णयों से हमें अपने जीवन को चिरस्थायी बनाना चाहिए।