80 विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ेगा जयस निर्दलीय चुनाव लड़ेंगे जयस कार्यकर्ता जयस के टूटने-बिखरने की खबरें पूरी तरह गलत जयस को लेकर भ्रम फैलाने की हो रही कोशिश चुनाव के लिए जयस लाएगा अपना अलग घोषणा पत्र विधानसभा चुनाव के लिए उम्मीदवारों की चयन की प्रकिया शुरु
मध्यप्रदेश में सरकार बनाने में आदिवासी वोटर्स गेमचेंजर होता है। प्रदेश की 230 विधानसभा सीटों में 47 सीटें आदिवासियों के लिए आरक्षित है वहीं 80 विधानसभा सीटों पर आदिवासी वोटर चुनाव में निर्णायक भूमिका निभाता है। यहीं कारण है कि विधानसभा चुनाव करीब आते ही आदिवासी वोटरों को अपने पक्ष में एकजुट करने के लिए सियासी दल अपनी पूरी ताकत झोंक दे देते है।
विधानसभा चुनाव करीब आते ही प्रदेश में आदिवासियों के बीच बेहद सक्रिय और प्रभावशाली आदिवासी संगठन संगठन जयस (जय आदिवासी युवा संगठन) इन दिनों खासा चर्चा के केंद्र में है। प्रदेश की आदिवासी बाहुल्य 80 विधानसभा सीटों पर जयस के विधानसभा चुनाव में अपने उम्मीदवार उतारने के एलान के बाद सियासी पारा गर्मा गया है।
वेबदुनिया ने जयस के राष्ट्रीय संरक्षक ड़ॉ. हिरालाल अलावा से खास बातचीत कर विधानसभा चुनाव की तैयारियों को विस्तार से जानने की कोशिश की।
क्या विधानसभा चुनाव लड़ेगा जयस?-वेबदुनिया से बातचीत में डॉ. हिरालाल अलावा कहते हैं कि आदिवासी युवा पंरपरागत राजनीति से उपर उठकर अपना हक मांग रहा है और स्वतंत्र युवा नेतृत्व की तैयारी कर रहा है। जयस विधानसभा चुनाव में 80 सीटों पर अपने उम्मीदवारों को उतराने जा रहा है जिसमें 47 आरक्षित सीटें और शेष सामान्य सीटें है। डॉ.अलावा कहते है कि जयस ने जिस तरह 2018 के विधानसभा चुनाव में एक युवा को विधानसभा भेजा था ठीक उसकी प्रकार इस बार विधानसभा चुनाव में जयस के कई युवा साथी विधानसभा पहुंचेंगे। खास बात है कि जयस के उम्मीदवार निर्दलीय तौर पर चुनावी मैदान में उतरेंगे। बातचीत में डॉ हिरालाल अलावा कहते हैं कि विधानसभा चुनाव में जयस एक राजनीतिक ताकत के रूप में प्रदेश की राजनीति में उभरेगा।
क्या होगा टिकट क्राइटेरिया?-80 विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहा जयस ने चुनाव के लिए उम्मीदवारों के चयन की प्रक्रिया भी शुरु कर दी है। वेबदुनिया से बातचीत में डॉ. अलावा कहते हैं कि चुनाव के लिए उम्मीदवारों की चयन की प्रक्रिया भी शुरु हो गई है। ऐसे आदिवासी युवा जो पढ़े लिखे है, संवैधानिक अधिकारों का ज्ञान रखते है और जो जमीन से जुड़कर आदिवासियों के जल जंगल जमीन पर हक की लड़ाई पिछले कई वर्षों से लड़ रहे है उनको मौका दिया जाएगा।
किन मुद्दों पर लड़ेंगे विधानसभा चुनाव?- वेबदुनिया से बातचीत में डॉ. अलावा कहते हैं कि चुनाव के लिए जयस अपना अलग से घोषणा पत्र लाएगा। जिसमें आदिवासियों से जुड़े मुद्दें प्रमुखता से होंगे। वेबदुनिया से बातचीत में डॉ. अलावा कहते हैं कि आदिवासी बेरोजगार युवा रोजगार की तलाश में जिस तरह से अन्य राज्यों में पलायन को मजबूर हो रहे है वह चुनाव में मुख्य मुद्दा रहेगा। वह कहते हैं कि जयस का कार्यकर्ता संवैधानिक और लोकतांत्रिक दायरे में रहकर पंक्ति के आखिर में खडे़ व्यक्ति की लड़ाई लड़ रहा है।
क्या टूट रहा है जयस?-2018 के विधानसभा चुनाव में एक ताकत के रूप में उभरा आदिवासी संगठन जयस इस बार चुनाव से पहले दो गुटों में बंटा हुआ दिख रहा है। इस पर जयस के राष्ट्रीय संरक्षक डॉ. हिरालाल अलावा कहते है कि चुनाव आते ही हर राजनीतिक दल में अफवाह और भ्रम का बाजार गर्म हो जाता है। प्रदेश में चुनाव आते ही जयस के बारे में कई प्रकार की टूटने बिखरने की खबरें आ रही है लेकिन जयस पूरी तरह एकजुट था, एकजुट है और एकजुट रहेगा। आगामी 16 मई को जयस इंदौर में अपना स्थापना दिवस मनाने जा रहा है और बड़ी संख्या में युवा एकजुट होंगे।
किसके साथ मिलकर लड़ेगा चुनाव जयस?-जयस के राष्ट्रीय संरक्षक डॉ. हिरालाल अलावा जो 2018 का विधानसभा चुनाव कांग्रेस के टिकट पर लड़े थे और विधायक चुने गए वह इस बार किसके साथ मिलकर चुनाव लड़ेंगे, इस सवाल पर अलावा कहते हैं कि जयस अभी स्वतंत्र रूप से 80 विधानसभा सीटों चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहा है। जहां कांग्रेस के साथ मिलकर चुनाव लड़ने का है तो यह तय करना कांग्रेस को है कि उसको जयस संगठन की जरूरत है या नहीं है। वहीं जयस क्या गठबंधन की राजनीति में जाएगा इस सवाल पर डॉ. अलावा कहते हैं कि चुनाव में किसके साथ गठबंधन होगा या नहीं होगा यह आने वाला वक्त बताएगा।
राजनीतिक दल के रुप में नजर आएगा जयस?-प्रदेश में 80 विधानसभ सीटों पर चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहा जयस क्या एक राजनीतिक दल के रुप में चुनाव में नजर आएगा, इस सवाल पर ड़ॉ. अलावा कहते हैं कि जयस का एक राजनीतिक दल के रुप में पंजीयन कराने का अभी कोई इरादा नहीं है। चुनाव में जयस के कार्यकर्ता स्वतंत्र (निर्दलीय) चुनाव में उतरेंगे।
आदिवासी हितों के समर्थक है राहुल गांधी?-कांग्रेस विधायक डॉ. हिरालाल अलावा कहते हैं कि राहुल गांधी आदिवासी हितों के समर्थक है और वह मानते है कि आदिवासी देश के असली मालिक है और वह चाहते हैं कि आदिवासी आगे आकर नेतृत्व करेंगे। वहीं डॉ. अलावा कहते हैं कि यह भी देखना होगा कि नए युवाओं को कांग्रेस पार्टी के अंदर कितना मौका दिया जाएगा यह देखना होगा।