MP : दमोह का दैत्य, नकली डिग्री दिखा 3 राज्यों में किए ढेरों इलाज, मिशन अस्पताल में ऑपरेशन से ले ली 7 जानें, पढ़िए फर्जी डॉक्टर की पूरी कहानी

वेबदुनिया न्यूज डेस्क

मंगलवार, 8 अप्रैल 2025 (17:26 IST)
डॉक्टर को भगवान का दर्जा दिया जाता है। लेकिन दमोह के मिशन अस्पताल में एक फर्जी डॉक्टर ने दानव बनकर लेकर 7 लोगों की जान ले ली। कथित तौर पर 7 मरीज, जो कि दिल की बीमारियों के इलाज के लिए इस चर्चित डॉक्टर की देखरेख में भर्ती हुए थे, लेकिन इसकी कीमत उन्हें अपनी जान देकर गंवानी पड़ी। पढ़िए किलर डॉक्टर की दिल दहलाने वाली कहानी
ALSO READ: MP : फर्जी हृदयरोग विशेषज्ञ ने किया इलाज, 7 लोगों की मौत, NHRC ने शुरू की जांच
मध्यप्रदेश के दमोह में स्थित मिशन हॉस्पिटल है। कार्डियोलॉजी विभाग में कुछ महीने पहले ही एक डॉक्टर की नियुक्ति हुई। नाम था- डॉक्टर जॉन कैम उर्फ नरेंद्र विक्रमादित्य यादव एक लंदन आधारित कार्डियोलॉजिस्ट जिसे दिल की बीमारियों के इलाज के लिए जाना जाता है। आरोप है कि उसने 3 राज्यों में फर्जी डिग्री से कई इलाज किए। फर्जी डॉक्टर ने दिसंबर 2024 को अस्पताल में फर्जी दस्तावेजों के जरिए नियुक्ति पाई। अस्पताल ने भी उनकी नियुक्ति करते समय कोई जांच-पड़ताल नहीं की। 8 लाख रुपए प्रतिमाह वेतन देने का कॉन्ट्रैक्ट भी किया। मरीजों की जान से खिलवाड़ करते हुए फर्जी डॉक्टर ने दिसंबर 2024 से फरवरी 2025 तक अस्पताल में काम किया और मरीजों की एंजियोग्राफी से लेकर उनकी एंजियोप्लास्टी तक की। गनीमत यह रही कि अन्य लोग दिक्कत आने पर दूसरे अस्पताल में सही समय पर पहुंच गए। 
फर्जी कंपनी और सोशल मीडिया पर प्रचार
विख्यात कार्डियोलॉजिस्ट प्रोफेसर जॉन कैम से मिलते-जुलते नाम से सोशल मीडिया अकाउंट और फर्जी कंपनी भी बनाई। ओरिजिनल प्रोफेसर जॉन कैम दिल के बड़े डॉक्टर हैं और यूरोप के अलावा अमेरिका के कई संस्थाओं के फैलो हैं। विक्रमादित्य यादव ने उनके नाम के आगे एन. जोड़कर कई सालों तक जानलेवा खेल खेलता रहा। वह अपने ब्रिटेन का बड़ा डॉक्टर बताता। इस ठग ने भौकाल बनाने के लिए यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और बिहार के सीएम नीतीश कुमार के साथ फोटोशॉप तस्वीरें भी बनवाईं। सोशल मीडिया में अब ये तस्वीरें वायरल हो रही हैं।  
 
सादे कागज लिखता दवाई 
नरेंद्र विक्रमादित्य यादव उर्फ डॉ. एन जॉन कैम बड़ा शातिर है।  वह किसी शहर में ज्यादा दिन टिकता नहीं था। वह शहर के सबसे लग्जरी हॉस्पिटल में रहता था। वह दवाई लिखने के लिए कोई प्रिस्क्रिप्शन भी नहीं देता था। सादे कागज पर ही  दवा लिखकर अपना धंधा चमकाता रहा। हद तो यह है कि मेडिकल स्टोर वाले भी सादे कागज पर लिखी दवाई मरीजों को देते रहे। उसकी इस हरकत से कई बीमारों को शक हुआ और सभी ने फर्जी डॉक्टर से ऑपरेशन कराने से इनकार कर दिया। 
ALSO READ: दमोह के फर्जी डॉक्टर मामले में सीएम मोहन यादव सख्त, पुलिस ने दर्ज की FIR, कांग्रेस ने उठाए सवाल
7 लोगों की मौत के बाद सामने आया सच 
नकली डॉक्टर जॉन कैम ने मिशन हॉस्पिटल में 15 लोगों के दिल के साथ खिलवाड़ किया। इसमें 7 लोगों की मौत हो गई थी। आरोप यह भी है कि इसी फर्जी डॉक्टर की सर्जरी से 2006 में छत्तीसगढ़ के पूर्व विधानसभा अध्यक्ष की मौत हो गई थी।
 
प्रयागराज से पकड़ में आया आरोपी
फर्जी डॉक्टर को सोमवार शाम पुलिस ने पड़ोसी राज्य उत्तरप्रदेश के प्रयागराज पकड़ा आरोपी डॉक्टर एन जोन केम उर्फ नरेंद्र विक्रमादित्य यादव को दमोह पुलिस ने प्रयागराज से अपने कब्जे में ले लिया। उसे दमोह लाया जा रहा है। उसके खिलाफ रविवार और सोमवार की दरम्यानी रात्रि में दमोह कोतवाली थाने में धोखाधड़ी और अन्य धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया है। पुलिस के हत्थे चढ़ने के बाद माना जा रहा है कि अब इस कांड से जुड़ी परतें खुलेंगी। राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग की दो सदस्यीय टीम जांच के लिए दमोह पहुंची।
 
18 साल से कर रहा था लोगों की जान के साथ खिलवाड़
विक्रमादित्य यादव पिछले 18 साल से इस तरह का काम कर रहा था। वह देश के अलग-अलग हिस्सों में नौकरी कर चुका है। लेकिन किसी को उसके करतूत की भनक नहीं लगी। अगस्त 2006 में विधानसभा के तत्कालीन अध्यक्ष राजेंद्र प्रसाद शुक्ल का ऑपरेशन भी इसी फर्जी कार्डियोलॉजिस्ट ने किया था। 
 
नहीं मिली डिग्रियां
कथित फर्जी चिकित्सक के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज होने के बाद दमोह पुलिस उसे ढूंढ रही थी। वह मूल रूप से उत्तराखंड का निवासी बताया गया है। उसने कथित तौर पर एमबीबीएस की डिग्री दक्षिण भारत के किसी राज्य से हासिल की है। इसके बाद उसकी डिग्रियों के संबंध में अधिकृत तौर पर कोई जानकारी नहीं मिल पा रही है।  
 
कांग्रेस ने भाजपा पर साधा निशाना
कांग्रेस की वरिष्ठ नेता सुश्री सुप्रिया श्रीनेत ने सोशल मीडिया के जरिए कहा कि फर्जी डॉक्टर बन इस आदमी ने दमोह में लोगों की हार्ट सर्जरी कर डाली, जिसमें सात लोगों की मौत हो गई। उन्होंने कहा कि यह व्यक्ति सोशल मीडिया पर काफी एक्टिव था और भाजपा नेताओं के साथ स्वयं के फोटो पोस्ट करता था। सुश्री श्रीनेट ने कहा कि इस व्यक्ति ने स्वयं को ब्रिटेन के कॉर्डिएक चिकित्सक “एन जोन कैम” के रूप में पेश किया हुआ था। वह अपने आप को अंग्रेज की तरह दिखाने का प्रयत्न करता था, लेकिन वास्तव में वह “नरेंद्र विक्रमादित्य यादव” है। वह सोशल मीडिया पर विपक्ष के खिलाफ अनर्गल बातें लिखने वाला “मोदी भक्त” है। लेकिन अब उसने जो किया है, वह अक्षम्य है।
 
जांच में होंगे और भी खुलासे
जांच दल के दमोह पहुंचने की पुष्टि करते हुए कहा कि वह बुधवार तक दमोह में ही रहकर मामले की जांच करेगा। इस जांच दल में दो सदस्य हैं। उन्होंने कहा कि जांच दल मुख्य रूप से इस बात की जांच करेगा कि क्या मिशन अस्पताल में सर्जरी के दौरान मरीजों की मृत्यु हुयी है। क्या इस अस्पताल में डॉ एन जोन केम और अन्य चिकित्सकों को “कार्डिएक सर्जरी” का अधिकार था। क्या इन चिकित्सकों के पास वैध लायसेंस और दस्जावेज हैं और क्या चिकित्सक इस मामले में संलिप्त हैं। जांच दल मुख्य रूप से इन्हीं प्रमुख बिंदुओं पर अपनी जांच करेगा।
 
उन्होंने कहा कि आयोग को इस मामले की शिकायत दमोह की बाल कल्याण समिति के अध्यक्ष दीपक तिवारी की ओर से हाल ही में मिली है। इसके आधार पर जांच कराने का निर्णय आयोग ने लिया है।  कानूनगो ने कहा कि जांच रिपोर्ट मिलने के बाद आयोग अपनी आगे की कार्रवाई सुनिश्चित करेगा।
 
इस बीच मामले के तूल पकड़ने पर मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी (सीएमएचओ) की रिपोर्ट के आधार पर यहां कोतवाली थाना पुलिस ने रविवार की देर रात प्राथमिकी दर्ज कर ली। दमोह के नगर पुलिस अधीक्षक अभिषेक तिवारी ने संवाददाताओं को बताया कि कोतवाली पुलिस में एक प्राथमिकी दर्ज हुई है, जिसमें “मिशन अस्पताल” के डॉक्टर एन जोन केम के खिलाफ धोखाधड़ी और कूटरचित दस्तावेज पेश करने की बात है। सीएमएचओ की ओर से पुलिस में इस बारे में प्रतिवेदन आया है। प्रतिवेदन में कहा गया है कि डॉ नरेंद्र एनजोन केम ने फर्जी तरीके से एंजियोप्लास्टी करते हुए अपनी सेवाएं दीं।
 
तिवारी ने शिकायत के हवाले से कहा कि डॉ. नरेंद्र एन जोन केम के दस्तावेज संदेहास्पद पाए गए हैं, जिनकी जांच चिकित्सों की टीम ने की थी। दस्तावेज संदेहास्पद पाए जाने के बाद प्राथमिकी दर्ज की गई। डॉक्टर का पंजीकरण मध्यप्रदेश में ना होते हुए भी वो यहां अभ्यास (प्रेक्टिस) कर रहा था। इसके अलावा आंध्रप्रदेश में पंजीकरण का दावा किया गया था, लेकिन वो पंजीयन वेबसाइट पर प्रदर्शित नहीं हो रहा है। ऐसी ही कई बातें सामने आई हैं। ये सब बातें चिकित्सीय अभ्यास को संदेहास्पद बनाती हैं। अस्पताल में कथित तौर पर डॉक्टर केम के इलाज के बाद कुछ लोगों की मौत के मामले में तिवारी ने कहा कि अभी इस प्रकार का कोई तथ्य प्राथमिकी में उल्लेखित नहीं है। आगे अगर जांच के दौरान ऐसा कुछ सामने आएगा, तो उसे उल्लेखित किया जाएगा।
 
आयुष्मान कार्ड में भी टाले का अंदेशा 
प्राथमिकी दर्ज होने के बाद सोमवार को दमोह की बाल कल्याण समिति के अध्यक्ष दीपक तिवारी ने मीडिया से कहा कि चिकित्सक पर जो प्राथमिकी दर्ज हुयी है, उसमें सिर्फ धोखाधड़ी की धारा लगी है, जो फर्जी डिग्री से संबंधित है। सीएमएचओ की शिकायत पर यह प्राथमिकी दर्ज की गयी है। इसमें “सात हत्याओं” का कोई जिक्र नहीं है। उन्होंने कहा कि प्राथमिकी में अस्पताल प्रबंधन और संचालक डॉ अजय लाल की लापरवाही का कोई उल्लेख नहीं है। आयुष्मान योजना के तहत लाखों रुपए अस्पताल ने लिए, इसका कोई उल्लेख भी प्राथमिकी में नहीं है।
 
आयोग में शिकायत दर्ज कराने वाले  तिवारी ने कहा कि वे इस मामले की संपूर्ण जांच चाहते हैं, सिर्फ फर्जी डिग्रियों की नहीं। उन्होंने कहा कि इस मामले में कई लोगों की मिलीभगत प्रतीत होती है। सभी को आरोपी बनाया जाना चाहिए। ऐसा लगता है कि जैसे अस्पताल संचालक और अन्य आरोपियों को बचाने का प्रयास किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि मानव अधिकार आयोग को भी जांच के लिए बुलाया गया है और उन्हें न्याय मिलने की उम्मीद है। यदि ऐसा नहीं हुआ तो वे अदालत जाने के बारे में भी विचार करेंगे।
 
कांग्रेस अध्यक्ष ने लगाया आरोप 
इस बीच प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी ने सोमवार को मीडिया को जारी बयान में कहा, “फ़र्ज़ी डॉक्टर बनकर एक आदमी ने दमोह में लोगों की हार्ट सर्जरी कर डाली, जिसमें 7 लोगों की मौत हो गई। इस हत्यारे को भाजपा वालों ने भी खूब प्रमोट किया। क्योंकि, यह भी जहर उगलता और केवल झूठा प्रचार करता था। मोहन यादव जी, इस आदमी को डाक्टर बन कर इलाज करने की इजाज़त किसने दी।” उन्होंने मुख्यमंत्री से जानना चाहा है कि इस अपराध में कौन शामिल हैं और किसका संरक्षण है। बेकसूरों की मौत का जिम्मेदार कौन है।
 
मुख्यमंत्री ने कहा- होगी कठोर कार्रवाई 
इस मामले के राष्ट्रीय स्तर पर सुर्खियां बटोरने के बीच मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव ने कहा कि सरकार इस घटना पर कठोर कार्रवाई कर रही है। डॉ यादव ने सोमवार को मीडिया को जारी बयान में कहा कि घटना सबकी जानकारी में है और सरकार उस पर कठोर कार्रवाई कर रही है। सरकार ने कमियों पर फौरन कार्रवाई की है, कई बड़े मामलों में ऐसा ही हुआ है और उसी का परिणाम है कि सरकार की अपनी एक साख बनी है। मुख्यमंत्री ने कहा कि उन्होंने निर्देश दिए हैं कि अगर ऐसा कहीं और भी कुछ मामला हो, तो उस पर कठोर कार्रवाई की जाए। इनपुट एजेंसियां  Edited by: Sudhir Sharma

वेबदुनिया पर पढ़ें

सम्बंधित जानकारी