भोपाल। मध्यप्रदेश में पोषण आहार में कथित घोटाले का मामला अब दिल्ली तक पहुंच गया है। दिल्ली के डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया ने इस पूरे मामले को लेकर सीधे मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान पर हमला बोलते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से सवाल पूछे है। वहीं सरकार ने अपनी सफाई पेश करते हुए किसी तरह के घोटाले से इंकार कर दिया है।
मनीष सिसोदिया ने मोदी को घेरा-मध्यप्रदेश के पोषण आहार घोटाले में दिल्ली के उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने सवाल उठाते हुए शिवराज सरकार के साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को घेरा है। इस पूरे मामले में ट्वीट करते हुए मनीष सिसोदिया ने लिखा कि “आप सही कहते हैं प्रधानमंत्री जी कुछ राजनीतिक दल देश में भ्रष्टाचारियो को बचाने का काम खुलेआम कर रहे हैं। देखिए BJP ने मध्यप्रदेश में, बच्चों के खाने में 110 करोड़ का घोटाला कर दिया और CBI- ED को FIR तक नहीं करने दो जा रही। प्रधानमंत्री जी! आप इस पर कोई एक्शन कब लेंगे?
आप सही कहते हैं प्रधानमंत्री जी.. कुछ राजनीतिक दल देश में भ्रष्टाचारियो को बचाने का काम खुलेआम कर रहे हैं.
देखिए BJP ने मध्यप्रदेश में, बच्चों के खाने में 110 करोड़ का घोटाला कर दिया और CBI- ED को FIR तक नहीं करने दो जा रही.
वहीं आप विधायक नरेश बालियान ने ट्वीट कर लिखा कि “MP में जो बच्चों का राशन घोटाला हुआ है उसकी हैवानियत का अंदाज़ा इस बात से लगा सकते हैं की राशन ट्रक के नाम पर बाइक, ऑटो का नम्बर दिया गया। लाखों बच्चे रातों-रात राशन लेने वालों के नाम में जोड़े गये। जबकि इन नाम के बच्चों का कोई अता-पता नही। ये विभाग खुद शिवराज चौहान जी के पास है”।
कैग की रिपोर्ट पर सरकार का जवाब- वहीं कैग की रिपोर्ट पर अब सरकार ने सिलसिलेवार जवाब दिए है। सरकार के प्रवक्ता नरोत्तम मिश्रा ने कहा कि मध्यप्रदेश में पोषण आहार संबंधी कोई घोटाला नहीं हुआ है। उन्होंने कहा कि ज्ञान के अभाव में मनीष सिसोदिया और दिग्विजय सिंह ट्वीट से हल्ला मचाकर मध्य प्रदेश को बदनाम करने का काम रहे हैं। नरोत्तम मिश्रा ने कहा कि दिल्ली में अरविंद केजरीवाल और मनीष सिसोदिया से शराब घोटाले का ब्यौरा मांगा गया तो उन्होंने यह प्रपंच फैलाना शुरू कर दिया।
ऑडिट रिपोर्ट पर सरकार के सवाल?-सरकार के प्रवक्ता ने नरोत्तम मिश्रा ने पूरे मामले पर सफाई देते हुए कहा कि महिला बाल विकास विभाग और स्कूल शिक्षा विभाग के बालिकाओं संबंधी आंकड़े एक हो ही नहीं सकते। क्योंकि भारत सरकार को भेजी गई जानकारी में स्पष्ट कहा गया है कि जिन 2 लाख 52 हजार बालिकाओं को पोषण आहार दिया गया, वह बालिकाएं स्कूल में नहीं जाती है। महिला बाल विकास के सर्वे में वो बालिकाएं सम्मिलित हैं, जो स्कूल नहीं जाती। भले ही स्कूल में नाम दर्ज है।
ऑडिट रिपोर्ट में गाड़ियों के नंबर गलत-वहीं बाइक और कार के नंबरों पर पोषण आहार के परिवहन पर सरकार के प्रवक्ता नरोत्तम मिश्रा ने ऑडिट रिपोर्ट पर सवाल उठाया। उन्होंने कहा कि रिपोर्ट में वाहन क्रमांक एमपी 15AV 3835 का उल्लेख किया है जो परिवहन पोर्टल पर दर्ज नहीं है। वहीं अभिलेखों की जांच में यह देखा गया कि पोषण आहार वास्तव में वाहन क्रमांक एमपी 15 LA 3835 से किया गया न कि वाहन क्रमांक एमपी 15 AV 3835 से। पोषण आहार संयंत्र सागर के तौल कांटे और सुरक्षा रजिस्टर में एमपी 15 LA 3835 दर्ज है। ऑडिट को रिपोर्ट देने से पहले तौल कांटे और सुरक्षा रजिस्टरों को भी देखना चाहिए था जहां पर सही एंट्री की गई है।
कम बिजली की खपत क्यों?-ऑडिट रिपोर्ट में कच्चे माल की लगात और उत्पादन में कम बिजली की खपत पर सरकार ने अपनी सफाई देते हुए कहा कि वास्तव में हर प्लांट में विभिन्न-विभिन्न प्रक्रियाओं के अंतर्गत अलग-अलग तरह से पोषण आहार तैयार किये जाते हैं। उदाहरण के तौर पर खिचड़ी, बर्फी, हलवा,लड्डू आदि। औसत बिजली की खपत से उत्पादन को सीधे जोड़ने का औचित्य नहीं है फिर भी हम इस संबंध में विस्तृत विशलेषण आडिट के समक्ष प्रस्तुत कर रहे हैं। इसके साथ ऑडिट रिपोर्ट के अन्य बिंदुओं पर भी सरकार ने अपना जवाब पेश किया है।
कांग्रेस सरकार ने ठेकेदारों को सौंपे थे पोषण आहार का जिम्मा-कांग्रेस की कमलनाथ सरकार की महिला विरोधी और ठेकेदार समर्थक थी। वर्ष 2018 में भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने 7 पोषण आहार संयत्रों का निर्माण किया था तथा उन्हें महिला स्व-समूहों को चलाने के लिए सौंपा था। कांग्रेस सरकार ने 16 जनवरी 2020 को आदेश कर यह संयत्र महिला समूहों से वापिस लेकर एम.पी.एग्रो को दे दिए। कमलनाथ सरकार ने यह कार्यवाही इसलिए की थी ताकि वह इन संयत्रों का प्रबंधन निजी ठेकेदारों को सौंपे सकें।