पार्टी से जुड़े सूत्र बताते हैं कि पार्टी मत विभाजन के समय सदन की पूरी परिस्थिति का संवैधानिक अध्ययन करने में जुटी है। इसके लिए पार्टी संविधान के जानकारों से राय-मशविरा करने के साथ पूर्व विधानसभा अध्यक्ष सीताशरण शर्मा को अहम जिम्मेदारी सौंपी गई है। नेता प्रतिपक्ष गोपाल भार्गव पहले ही मत विभाजन पर सवाल उठा चुके हैं।
सदन में दंड संहिता विधेयक पर हुए मत विभाजन के बाद गोपाल भार्गव ने इस पर सवाल उठाते हुए कहा था कि जब विपक्ष ने मत विभाजन की मांग ही नहीं की तो किस आधार पर मत विभाजन हुआ। वहीं भाजपा मत विभाजन के समय सदन में कांग्रेस सदस्यों की उपस्थिति को संदेह की नजर से देख रही है। इस पूरे मामले को लेकर अगर भाजपा राजभवन का रुख करती है तो राजभवन की भूमिका महत्वपूर्ण हो सकती है।
मध्य प्रदेश में तेजी से बदलते सियासी घटनाक्रम पर वरिष्ठ पत्रकार शिव अनुराग पटैरिया कहते हैं कि आने वाले दिनों में मध्यप्रदेश का राजभवन बड़ा नीति निर्णायक केंद्र बनेगा। जिस तरह की स्थिति मध्यप्रदेश में है और जिस तरह का संख्या बल सदन में दोनों दलों के बीच मौजूद है उससे आने वाले दिनों में सियासी रस्साकशी और तेज होगी।
ऐसे में राजभवन की भूमिका बहुत महत्त्वपूर्ण हो जाएगी, वहीं राज्यपाल के तौर पर लालजी टंडन की नियुक्ति को भी शिव अनुराग पटैरिया रणनीतिक तौर पर बहुत ही महत्त्वपूर्ण मानते हैं। वे कहते हैं कि लालजी टंडन एक बेहद मंझे हुए राजनेता हैं, जो अटलजी के साथ काम कर चुके हैं और गठबंधन की सरकार को लेकर उनका अनुभव काफी पुराना है।