Bhojshala Dhar controversy: मध्यप्रदेश के धार जिले में विवादास्पद भोजशाला (Bhojshala)/कमाल मौला मस्जिद परिसर में मंगलवार को हिन्दुओं (Hindus) ने पूजा-अर्चना की। इसके साथ ही भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) की एक टीम ने अदालत द्वारा निर्देशित अपना सर्वेक्षण भी जारी रखा। पुरातत्वविद् केके मुहम्मद ने इसे सरस्वती मंदिर बताया था।
भोजशाला परिसर का एएसआई सर्वेक्षण करने का निर्देश : 11 मार्च को मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय ने एएसआई को 6 सप्ताह के भीतर भोजशाला परिसर का वैज्ञानिक सर्वेक्षण करने का निर्देश दिया था। मध्यकालीन युग के इस स्मारक को हिन्दू, देवी वाग्देवी (सरस्वती) का मंदिर मानते हैं और मुस्लिम समुदाय इसे कमाल मौला मस्जिद कहता है।
एएसआई सर्वे से विवाद का बेहतर समाधान निकलेगा : अदालत के निर्देशों पर कार्रवाई करते हुए वरिष्ठ पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों के साथ एएसआई टीम ने 22 मार्च को आदिवासी बहुल जिले में विवादित परिसर में अपना सर्वेक्षण शुरू किया। भोज उत्सव समिति के उपाध्यक्ष बलवीर सिंह ने कहा कि एएसआई सर्वे से विवाद का बेहतर समाधान निकलेगा। उन्होंने दावा किया कि यह मां सरस्वती का मंदिर है और उन्होंने इसे हिन्दुओं को देने की मांग की।
पुरातत्वविद् केके मुहम्मद ने सरस्वती मंदिर बताया था : इससे पहले प्रसिद्ध पुरातत्वविद् केके मुहम्मद ने भी दावा किया था कि विवादास्पद परिसर एक सरस्वती मंदिर था और बाद में इसे इस्लामी पूजा स्थल में बदल दिया गया। ऐसा माना जाता है कि एक हिन्दू राजा, राजा भोज ने 1034 ई. में भोजशाला में वाग्देवी की मूर्ति स्थापित की थी। हिन्दू समूहों का कहना है कि अंग्रेज इस मूर्ति को 1875 में लंदन ले गए थे।(भाषा)