बताया जा रहा है कि मोतियाबिंद के ऑपरेशन के लिए अस्पताल में 8 अगस्त को एक शिविर लगाया गया था जिसमें मरीजों के ऑपरेशन के बाद धीमे-धीमे उनकी आंख की रोशनी ठीक होने की बजाय चली गई। आई अस्पताल का संचालन एक ट्रस्ट के जरिए हो रहा था। मामला सामने आने के बाद स्वास्थ्य विभाग ने अस्पताल की ओटी को सील कर दिया है।
हैरत की बात यह है कि 2010 में इसी अस्पताल में मोतियाबिंद के ऑपरेशन के बाद करीब 20 लोगों की आंखों की रोशनी चल गई थी। इस बार फिर अस्पताल में कैंप लगाया गया और उसके बाद उनकी आंखों में इंफेक्शन हो गया और मरीजों की आंखों की रोशनी चली गई। अस्पताल में मरीजों का कहना है कि ऑपरेशन के बाद उनकी आंख की रोशनी धीमे-धीमे चली गई और अब तक डॉक्टर भी कुछ नहीं कह पा रहे हैं।
स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि मरीजों की आंख की रोशनी वापस लाने के बाद सरकार पूरी कोशिश करेगी और इसके लिए बाहर के डॉक्टरों की भी मदद ली जाएगी। स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि अस्पताल का लाइसेंस निरस्त करने के साथ ही पीड़ित परिवार को 20 हजार की फौरन मदद दी जाएगी, वहीं पूरे मामले पर मुख्यमंत्री कमलनाथ ने भी संज्ञान लिया है।