इंदौर में फल-सब्जियों के कचरे से दौड़ेंगी बसें, बालों से लहलहाएंगी फसलें

रविवार, 20 मई 2018 (17:02 IST)
इंदौर। पोहे-जलेबी-नमकीन की लज्जत और मध्यभारत में उद्योग-धंधों के बड़े केंद्र के रूप में पहचाना जाने वाला इंदौर राष्ट्रीय स्वच्छता रैंकिंग में लगातार दूसरे साल शीर्ष स्थान पर रहने के कारण एकदम 'चकाचक' अवतार में है। साफ-सफाई के मामले में इस बार करीब 4,200 नगरों को पछाड़ने वाले इंदौर में अब कचरा प्रबंधन की कुछ नवाचारी परियोजनाओं को अमलीजामा पहनाने की तैयारी है। इसके तहत फल-सब्जी के कचरे से बायो सीएनजी और बालों के अपशिष्ट से अमीनो एसिड बनाने की तैयारी है।
 
 
केंद्र सरकार के 'स्वच्छ भारत अभियान' के लिए इंदौर नगर निगम (आईएमसी) के सलाहकार असद वारसी ने रविवार को बताया कि हमने शहर की देवी अहिल्याबाई होलकर फल-सब्जी मंडी में बायोमीथेनाइजेशन प्लांट लगाया है। इस संयंत्र के जरिए हर रोज फल-सब्जियों के 20 टन अपशिष्ट को 1,000 किलोग्राम बायो-सीएनजी में बदला जा सकता है। प्रसंस्करण के बाद बचे अपशिष्ट से कम्पोस्ट खाद बनाई जा सकती है।
 
उन्होंने बताया कि फल-सब्जी मंडी में तैयार बायो-सीएनजी का कुछ ऑटोरिक्शाओं में ईंधन के रूप में परीक्षण किया गया है। इसके अच्छे परिणाम आने के बाद शुरुआती दौर में 20 लोक परिवहन बसों को बायो-सीएनजी से दौड़ाने की तैयारी है। फिलहाल इन बसों में ईंधन के रूप में सामान्य सीएनजी इस्तेमाल की जाती है।
 
वारसी ने बताया कि हमें सामान्य सीएनजी के मुकाबले बायो-सीएनजी 5 रुपए प्रति किलोग्राम सस्ती पड़ेगी, नतीजतन हर रोज 1,000 किलोग्राम बायो-सीएनजी के इस्तेमाल पर लोक-परिवहन बसों का ईंधन बिल 5,000 रुपए घटाया जा सकेगा यानी महीनेभर में करीब 1.5 लाख रुपए की बचत। अपशिष्ट प्रबंधन विशेषज्ञ ने कहा कि अब हम चाहते हैं कि फल-सब्जियों के कचरे के साथ मटन, चिकन और मछली बाजारों के अपशिष्ट से भी बायो-सीएनजी बनाई जाए। कच्चे मांस के अपशिष्ट से अपेक्षाकृत ज्यादा बायो-सीएनजी बनाई जा सकती है।
 
वारसी ने बताया कि आईएमसी की अगले 1 साल के भीतर 2 और बॉयोमीथेनाइजेशन प्लांट लगाने की योजना है। कोशिश की जाएगी कि फल-सब्जियों और कच्चे मांस के अपशिष्ट से बायो-सीएनजी के उत्पादन को बढ़ाकर करीब 4,000 किलोग्राम के स्तर पर पहुंचाया जाए। तय रूटों पर इस ईंधन से करीब 70 लोक परिवहन बसों को दौड़ाया जा सकता है।
 
हेयर कटिंग के समय काटे गए बालों का सुरक्षित निपटारा किसी भी स्थानीय निकाय के लिए बड़ा सिरदर्द होता है। इसके इलाज के लिए गैरसरकारी संगठन 'सार्थक' के साथ करार के जरिए इंदौर में नवाचारी परियोजना पर काम जारी है। संगठन के सचिव इम्तियाज अली ने बताया कि सर्वेक्षण से पता चला है कि फिलहाल शहर में तकरीबन 1,500 छोटे-बड़े हेयर कटिंग सैलून चल रहे हैं जिनमें हर रोज बालों का करीब 8 क्विंटल कचरा निकलता है।
 
अली ने बताया कि आईएमसी के साथ किए गए करार के तहत सैलूनों से कटे बालों को जमा करने के बाद इन्हें विशेष संयंत्र के जरिए अमीनो अम्ल में बदला जाएगा। इस तरल पदार्थ को खेतों में जैव उर्वरक के रूप में इस्तेमाल कर खासकर उद्यानिकी फसलों की पैदावार बढ़ाई जा सकती है।
 
उन्होंने बताया कि मनुष्य के बालों से अमीनो अम्ल बनाए जाने की परियोजना अभी प्रायोगिक दौर में है। शहर में इस जैव उर्वरक का बड़े पैमाने पर वाणिज्यिक उत्पादन शुरू करने से पहले फिलहाल विस्तृत अनुसंधान का दौर जारी है। अनुसंधान के बाद शहर के पिपलियापाला रीजनल पार्क में विशेष संयंत्र लगाया जाएगा जिसके जरिए बालों से हर रोज 1,000 लीटर अमीनो अम्ल बनाया जा सकेगा। मनुष्य के बाल अमीनो अम्ल का बढ़िया स्रोत होते हैं। 1 किलोग्राम बालों के प्रसंस्करण से लगभग 12 लीटर अमीनो अम्ल तैयार किया जा सकता है।
 
'स्वच्छ सर्वेक्षण 2018' के हाल ही में घोषित नतीजों में इंदौर को 'नंबर 1' शहर का खिताब दिया गया है। पिछले साल की इस स्वच्छता रैंकिंग में भी इंदौर देश का सबसे साफ-सुथरा शहर चुना गया था, हालांकि उस समय सिर्फ 430 शहरों के बीच प्रतिस्पर्धा थी। मोटे अनुमान के मुताबिक कोई 35 लाख की आबादी वाले इंदौर में हर रोज तकरीबन 1,100 टन कचरे का अलग-अलग तरीकों से सुरक्षित निपटारा किया जाता है। इसमें 650 टन गीला और 450 टन सूखा कचरा शामिल है। 

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