उन्होंने बताया कि वे रात को अपने घर जा रहे थे तभी उन्होंने देखा कि थाने के बाहर पुलिसकर्मी एक युवक को नंगा कर पीट रहे हैं। उन्होंने रुककर अपने मोबाइल से फोटो लिए तो नगर सैनिक शांतिलाल ने थाने के अंदर से आकर उनका मोबाइल छीन लिया। जब मोबाइल लेने थाने में गए तो टीआई विश्वदीपसिंह परिहार ने अभद्र व्यवहार करते हुए उन्हें थाने में बैठा लिया। रात करीब 1 बजे तक वे पत्रकारों के नाम पर गालियां देते रहे और फिर छोड़ दिया। अगले दिन शनिवार को डीएसआर में देखकर पता चला कि टीआई ने उन पर मुकदमा कायम कर दिया है।
प्रमोद सिन्हा ने कहा कि कानून व्यवस्था बनाने में हर समय पत्रकारों ने पुलिस को सहयोग दिया है। मामला चाहे थाने में आत्महत्या का हो या फिर शहर में दंगों के नियंत्रण का, मीडिया ने हर समय प्रशासन का सहयोग किया है। लेकिन पत्रकारों पर झूठे प्रकरण दर्ज करना पुलिस की ओछी मानसिकता का परिचायक है।
रैली निकाली, ज्ञापन सौंपा : बैठक के बाद सभी पत्रकारों ने पार्वतीबाई धर्मशाला से वाहन रैली निकाली जो एसपी ऑफिस पहुंची। एसपी का काफी देर इंतजार करने के बाद पत्रकारों ने डीएसपी एसआर सेंगर को ज्ञापन सौंपा। इसमें झूठे प्रकरण को खत्म करने और पत्रकारों के साथ अभद्रता की शिकायतों पर कार्रवाई की मांग की गई।
इस दौरान शेख वसीम, गोविंद गीते, दीपक सपकाल, नितिन झंवर, विशाल नकुल, भारत गौड़, मनीष गुप्ता, हेमंत जोशी, रितेश चौरसिया, अनुप खुराना, जावेद खान, रहीम बाबा, इमरान खान, चेतन मंडलोई, राजेश तेजी, मांगीलाल पटेल, संदीप पंवार, विश्वनाथ गढ़वाल, प्रदीप राठौर, अमित राठौर, तेजेन्द्र राऊत, सुदीप मन्ना सहित जिले के समस्त पत्रकार शामिल थे।