इस तरह मुख्यमंत्री कमलनाथ ने अपने सियासी मैनेजमेंट का कौशल दिखा दिया है। ऐसा नहीं सदन में जो कुछ हुआ वह अचानक हुआ। इस पूरे सियासी घटनाक्रम की पटकथा मुख्यमंत्री कमलनाथ पहले ही लिख चुके थे। सदन में प्रश्नकाल शुरू होते ही सत्ता पक्ष की सभी कुर्सियां भरी नजर आई। वहीं मुख्यमंत्री कमलनाथ पूरी रणनीति के साथ विपक्ष को अविश्वास प्रस्ताव पेश करने का खुला चैलेंज सदन में दे रहे थे।
वहीं इस पूरे सियासी घटनाक्रम के बाद भाजपा पूरी तरह बैक फुट पर आ गई है। इस पूरे सियासी घटनाक्रम के बाद पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि लोकतंत्र का गला घोंटा गया है वहीं नेता प्रतिपक्षा गोपाल भार्गव ने मतदान पर सवाल उठाते हुए कहा कि भाजपा ने तो मतदान की मांग ही नहीं की तो कैसा बहुमत परीक्षण।