इंदौर। साहित्य महोत्सव की सुबह ताजगी लिए हुए थी। पहले सत्र में साहित्य में खुलेपन पर लेखिकाओं ने बात की, पर यह बेहद बोझिल रहा। उसके बाद का सत्र कला और साहित्यिक अंतरसंबंध पर था, जो बौद्धिक विमर्श लिए था। उसके बाद तो आबोहवा ही बदल गई। वातावरण में रस, रंग, कला, संस्कृति और लोक-संगीत घुल गया।
सुप्रसिद्ध लोक गायिका मालिनी अवस्थी ने खुलकर सुंदर गीत-संगीत के साथ समां बांध दिया। हर दर्शक मंत्रमुग्ध दिखाई दिया। यतीन्द्र मिश्र ने जिस संजीदगी और कलात्मकता के साथ सत्र को मॉडरेट किया, वह मुक्तकंठ से प्रशंसनीय है।