उन्होंने कहा कि शिव परिवार में चूहा, सांप और मोर हैं, तो बैल और सिंह भी हैं। ये सभी 'फूड चैन' की तरह हैं, लेकिन आश्चर्यजनक रूप से वे किसी को खाते नहीं हैं। दरअसल, शिव ने भूख को जीत लिया था। यदि हम भूख को जीत लेंगे तो कुत्तों की तरह लड़ेंगे भी नहीं।
हिन्दू दर्शन में शिव को संहारक भी माना जाता है। इस पर पटनायक ने कहा कि संहारक का मतलब एटम बम जैसी चीज से नहीं है, बल्कि शिव ने भूख व तृष्णा का नाश किया। शिव को कामांतक भी कहा जाता है अर्थात वे भूख का अंत करते हैं।
राम और कृष्ण में समानता : राम और कृष्ण में समानता और विभिन्नता से जुड़े सवाल पर पटनायक कहते हैं कि सनातन को समझने के लिए राम और कृष्ण को समझना जरूरी है। राम मर्यादा पुरुषोत्तम हैं, तो कृष्ण लीला पुरुषोत्तम हैं। एक गंभीर हैं, तो दूसरे हंसमुख हैं। एक दक्षिण से उत्तर की ओर जाते हैं, तो दूसरे पश्चिम से पूर्व की ओर जाते हैं। जहां तक समानता की बात है, तो दोनों ही को विष्णु का अवतार माना जाता है। साथ ही हर चीज देश, काल और गुण के अनुसार बदलती रहती है। समय के अनुसार रूप भी बदलते रहते हैं।
एक अन्य सवाल के जवाब में पटनायक ने कहा कि शिव बैरागी गृहस्थ थे, जबकि बुद्ध गृहस्थ संन्यासी थे। दरअसल, दांपत्य से ही मंगल है। शक्ति के बिना शिव भी शव हैं। उन्होंने कहा कि बौद्ध धर्म में स्त्री को पर्याप्त स्थान नहीं दिया गया है, जबकि सनातन में राम के साथ सीता, कृष्ण के साथ राधा और शिव के साथ शक्ति को दर्शाया गया है। मगर दुर्भाग्य से आज सिर्फ राम, कृष्ण और शिव की ही ज्यादा बात की जाती है।