भारतीय हॉकी टीम ने पेरिस ओलंपिक में शानदार खेल दिखाते हुए स्पेन को 2-1 से हराकर फिर से ब्रॉन्ज मेडल जीता है। भारत ने लगातार दूसरे ओलंपिक में पदक जीतने का यह कारनामा 52 साल बाद किया है। भारत की इस ऐतिहासिक जीत में प्रदेश के इटारसी के खिलाड़ी विवेक सागर का अहम योगदान रहा है। वहीं ओलंपिक में हॉकी टीम के पदक जीतने के बाद इटारसी के रहने वाले विवेक सागर के गांव चांदौन में जश्न का माहौल है, और विवेक सागर के घर में मिठाई बांटी गई और जमकर जश्न मनाया जा रहा है।
गौरतलब है कि विवेक सागर का प्रारंभिक जीवन आर्थिक तंगी में बीता था। घर में इकलौते कमाने वाले पिता थे और उनकी तनख्वाह बहुत कम थी। पिता के पास इतने पैसे नहीं थे कि वह विवेक के लिए हॉकी और जूते खरीद सके, इसलिए विवेक दोस्तों की दी हुई टूटी हॉकी से खेलते थे। पिता रोहित प्रसाद शिक्षाकर्मी थे और उनकी तनख्वाह मात्र रुप में मात्र 7 हजार रुपए मिलते थे जिससे न तो घर का गुजारा हो पाता था और न ही घर का खर्च चल पाता था इसलिए पिता चाहते थे कि बेटा विवेक पढ़ाई में ध्यान लगाए और वह विवेक को हॉकी खेलने से रोकते और टोकते थे। विवेक में हॉकी को लेकर एक जुनून था वह पिता से छुपकर हॉकी खेलने जाता रहा है और मम्मी और बहन ने इसको मैनेज किया है।