इंदौर में एक तालाब को मिटाने की साजिश

शनिवार, 25 जून 2016 (20:29 IST)
इंदौर। जलसंकट के मद्देनजर एक ओर जहां शासन-प्रशासन जल स्रोतों को सहेजने और संवारने में लगा है कि वहीं दूसरी ओर 100 वर्ष पुराने एक तालाब की छाती पर इमारत बनाने की साजिश रची जा रही है। सुखद यह है कि इस पुराने जल स्रोत को बचाने के लिए सामाजिक संगठन एकजुट हो गए हैं, वहीं राजनीतिक दलों ने भी सभी मतभेद भुलाकर हाथ मिला लिए हैं। 
एक जानकारी के भारतीय भू-सर्वेक्षण विभाग द्वारा यह तालाब 28 हेक्टेयर क्षेत्र में चिह्नित है एवं शहर के पिपलिया हाना क्षेत्र में स्थित है। शासन द्वारा तालाब की इस जमीन पर न्यायालय भवन बनाया जाना प्रस्तावित है, जिसका कि काम भी शुरू हो चुका है। बताया जाता है कि इस मामले में कुल 600 करोड़ का ठेका हुआ है, जिसमें 280 करोड़ की लागत से न्यायालय भवन बनना है। 
 
सरकार की हठधर्मिता : इस 100 वर्ष पुराने तालाब को बचाने के लिए स्थानीय रहवासियों के साथ ही शहर के सामाजिक संगठन और राजनीतिक दल एकजुट हो गए हैं, लेकिन राज्य सरकार तालाब की भूमि पर निर्माण करने की अपनी हठ से पीछे नहीं हट रही है। इस संबंध में इंदौर की सांसद और लोकसभा अध्यक्ष श्रीमती सुमित्रा महाजन मुख्‍यमंत्री को पत्र लिखने के साथ ही व्यक्तिगत रूप से चर्चा कर चुकी हैं। पद्‍मश्री जनक पलटा और पद्‍मश्री भालू मोंढे भी इस मुहिम से जुड़ गए हैं। पूर्व पार्षद समीर चिटनीस ने इस तालाब को बचाने के लिए लंबी लड़ाई लड़ी थी, लेकिन उनकी लड़ाई पूरी होती इससे पहले ही वे इस दुनिया से विदा हो गए। 
 
वकील भी विरोध में : तालाब की इस जमीन पर जिला न्यायालय भवन बनाया जाना है, लेकिन इससे वकील भी इत्तफाक नहीं रखते। क्योंकि वर्तमान में जहां संचालित हो रहा है, वह स्थान किसी भी तरह से कम नहीं है। साथ शहर के बीचोबीच स्थित है, जिससे लोगों को वहां पहुंचने में भी आसानी होती है। 
 
इस जगह का क्या होगा : पहली बात तो तालाब पर न्यायालय भवन बनना ही नहीं चाहिए, दूसरी बात यदि सरकार अपनी हठधर्मिता नहीं छोड़ती है तो उसे यह भी बताना चाहिए कि इस भवन का क्या होगा। अभी तक सरकार की ओर से ऐसा कोई प्रस्ताव सामने नहीं आया है कि इस भवन का क्या होगा। शहर के लोग तो यह भी आशंका व्यक्त कर रहे हैं कि कहीं शहर के व्यावसायिक क्षेत्र में स्थित वर्तमान भवन की जमीन कहीं भूमाफियाओं के चंगुल में तो नहीं चली जाएगी। 
 
यह कहते हैं कांग्रेस विधायक : इंदौर के एकमात्र कांग्रेसी विधायक जीतू पटवारी ने कहा कि आम जनत एवं समाजसेवियों के तमाम प्रयत्नों के बाद भी तालाब के अस्तित्व को नकारते हुए एक नाले में समेटने की कोशिश की जा रही है। राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण के निर्देशों की खुलेनाम अवहेलना की जा रही है। जिस तेजी से तालाब पर निर्माण किया जा रहा है, वह चौंकाने वाला है।
 
उन्होंने कहा कि आवास एवं पर्यावरण विभाग ने जनवरी 2011 में उपरोक्त जमीन को कोर्ट बिल्डिंग के लिए देने पर आपत्ति जताते हुए उसे तालाब की ही जमीन माना था। उसे क्यों नजरअंदाज किया गया? पटवारी ने तीखे शब्दों में कहा कि यदि सरकार ने अपना फैसला नहीं बदला तो तालाब को बचाने के लिए उग्र जनांदोलन चलाया जाएगा। इसके लिए यदि जेल जाना पड़े, मुकदमे के सामना करना पड़ा या फिर गोली खानी पड़े तो उसके लिए भी हम तैयार रहेंगे।

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