भोपाल। मध्यप्रदेश के दो बड़े शहरों भोपाल और इंदौर में पुलिस कमिश्नर प्रणाली लागू हो गई है। गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा ने भोपाल और इंदौर में पुलिस कमिश्नर प्रणाली लागू करने की घोषणा करते हुए कहा इसका नोटिफिकेशन आज ही जारी कर दिया गया है। पुलिस-कमिश्नर प्रणाली को 5-5 अलग-अलग नोटिफिकेशन जारी कर लागू किया गया है। पुलिस-कमिश्नर सिस्टम की घोषणा करते हुए गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा ने कहा कि आज का दिन मध्यप्रदेश पुलिस के लिए ऐतिहासिक दिन है। भोपाल और इंदौर में ADG रैंक के अफसर पुलिस आयुक्त होंगे। पुलिस कमिश्नर सिस्टम में भोपाल में 38 और इंदौर में 36 थाने आएंगे।
भोपाल में पुलिस कमिश्नर सिस्टम- पुलिस कमिश्नर सिस्टम में भोपाल में अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक/ पुलिस महानिरीक्षक स्तर का एक पुलिस आयुक्त, अतिरिक्त पुलिस आयुक्त स्तर के कुल 02 अधिकारी (उप पुलिस महानिरीक्षक), पुलिस उपायुक्त स्तर के 08 अधिकारी (पुलिस अधीक्षक) तथा अतिरिक्त पुलिस आयुक्त स्तर के 10 अधिकारी (अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक) तथा सहायक पुलिस आयुक्त स्तर के 33 अधिकारी पदस्थ (उपपुलिस अधीक्षक) किए जाएंगे। इसके साथ पुलिस अधीक्षक ग्रामीण का एक पद होंगे।
इंदौर में पुलिस कमिश्नर सिस्टम- पुलिस कमिश्नर सिस्टम में इंदौर में अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक/ पुलिस महानिरीक्षक स्तर का एक पुलिस आयुक्त, अतिरिक्त पुलिस आयुक्त स्तर के कुल 02 अधिकारी (उप पुलिस महानिरीक्षक), पुलिस उपायुक्त स्तर के 08 अधिकारी (पुलिस अधीक्षक) तथा अतिरिक्त पुलिस आयुक्त स्तर के 12 अधिकारी (अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक) तथा सहायक पुलिस आयुक्त स्तर के 30 अधिकारी पदस्थ (उपपुलिस अधीक्षक) किए जाएंगे। इसके साथ पुलिस अधीक्षक ग्रामीण का एक पद होंगे।
क्या कहते हैं पूर्व DGP- वेबदुनिया से बातचीत में पूर्व डीजीपी सुभाष अत्रे कहते हैं कि सरकार के इस फैसले के बाद भोपाल और इंदौर में पुलिस के पास मजिस्ट्रियल पॉवर आ गई है और अब वह अपने निर्णय तेजी से ले सकेगी। दोनों ही जिलों में पुलिस आयुक्त प्रणाली के लागू होने से आयुक्त का एकल नियंत्रण हो गया है, जिससे पुलिस को काम करने में जो बहुत सारी जो टेक्निकल दिक्कत आती है वह अब दूर हो जाएगी।
अब तक पुलिस को अपने फैसलों जैसे अपराधी को जिलाबदर करना, गुंडा एक्ट लगाना, रासुका लगाना जिन फैसलों के लिए कलेक्टर की अनुमति लेती पड़ती थी अब आयुक्त ऐसे निर्णय खुद ले सकेगा। अब तक ऐसे निर्णय कलेक्टर करता है लेकिन कलेक्टर के पास बहुत सारे अन्य प्रशासनिक काम भी होते है जिसमें वह पुलिस पर पर्याप्त ध्यान देने का समय नहीं मिल पाता।
पुलिस-आयुक्त प्रणाली लागू होने से आयुक्त और डिप्टी कमिश्नर स्तर के अधिकारियों के पास ज्यूडिशियल शक्तियां होगी और मामलों का जल्द निपटारा हो जाएगा। जिलों में वर्तमान में अभी सभी प्रकार की जरुरी कार्रवाई के लिए कलेक्टर की अनुमति की जरुरत होती है ऐसे में कई बार ऐसी परिस्थितयां सामने आ जाती है कि जिलाधिकारी अपनी व्यस्ताओं के चलते अपराध नियंत्रण से जुड़े जरुरी निर्णयों में अपनी अनुमति नहीं दे पाता है।
भोपाल और इंदौर जैसे बड़े जिलों में पुलिस कमिश्नर प्रणाली लागू करने के फैसले पर पूर्व डीजीपी सुभाष अत्रे कहते हैं कि दोनों ही बड़े जिले जनसंख्या की दृष्टि से बड़े जिले है। छोटे जिलों में कलेक्टर को तो समय मिल जाता है लेकिन भोपाल और इंदौर जैसे बड़े जिलों में कलेक्टर और एसडीएम इतने व्यस्त रहते है कि वह चाहकर भी पुलिस पर ध्यान नहीं दे पाते। इसलिए पुलिस आयुक्त प्रणाली कारगर होगी।