कर्ज के बोझ तले दबी मध्यप्रदेश सरकार, कांग्रेस ने की श्वेत पत्र जारी करने की मांग

विशेष प्रतिनिधि

मंगलवार, 1 नवंबर 2022 (18:39 IST)
भोपाल। मध्यप्रदेश सरकार पर बढ़ते कर्ज को लेकर सूबे सियासत गर्मा गई है। बीते दो सप्ताह में 4 हजार करोड़ रुपए का कर्ज शिवराज सरकार द्धारा लेने पर कांग्रेस ने सरकार को जमकर घेरा है। भाजपा  सरकार के बार-बारज कर्ज लेने पर पूर्व मुख्यमंत्री और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ ने ट्वीट करते हुए कर्ज की वर्तमान स्थिति पर श्वेतपत्र जारी करने की मांग की है।

कमलनाथ ने ट्वीट करते लिखा कि “शिवराज सरकार प्रदेश को निरंतर क़र्ज़ के दलदल में धकेलती जा रही है। दो सप्ताह में 4 हज़ार करोड़ का क़र्ज,ऐसा लग रहा है कि जिस प्रकार प्रदेश का क़र्ज़ बढ़कर तीन लाख करोड़ को पार कर चुका है, वो जल्द ही चार लाख करोड़ को भी पार कर जायेगा। जनता की गाढ़ी कमाई के ख़ज़ाने को शिवराज सरकार इवेंट, आयोजन, खुद के प्रचार-प्रसार व महिमामंडन पर जमकर उड़ा रही है। मैं सरकार से माँग करता हूँ कि वो मध्यप्रदेश सरकार के क़र्ज़ की वर्तमान स्थिति पर श्वेत पत्र जारी करे ताकि जनता को प्रदेश की आर्थिक स्थिति के वास्तविक हालातों का पता चल सके”।

वहीं कमलनाथ के इन आरोपों पर पलटवार करते हुए सरकार के प्रवक्ता नरोत्तम मिश्रा ने कहा कि कांग्रेस को हमारी सरकार पर उंगली उठाने का कोई हक नहीं है। कमलनाथ ने 15 महीने की अपनी सरकार में 15 हजार करोड़ का कर्ज लिया और उसको आइफा अवॉर्ड के जरिए जैकलीन और सलमान पर खर्च करने का प्लान बनाया था।

नरोत्तम मिश्रा ने आगे कहा कि भाजपा सरकार मध्य प्रदेश को विकासशील से विकसित प्रदेश बनाने के लिए सरकार कर्ज ले रही है। साथ ही किसान को आत्मनिर्भर बनाने और युवाओं को रोजगार देने का काम कर रही है। कांग्रेस ने सिर्फ झूठ बोलने का काम किया है, चाहे वो कर्ज माफी हो या बेरोजगारी हो।

कर्ज के बोझ से आर्थिक संकट का खतरा!-मध्यप्रदेश की शिवराज सरकार ने अक्टूबर में रिजर्व बैंक के जरिए बॉन्ड जारी कर 4 हजार करोड़ रूपए का कर्ज लिया है। सरकार ने कर्ज पर 7.88%  ब्याज कोट किया है जो तेलंगाना के बाद सबसे महंगा है। गौरतलब है कि मध्यप्रदेश सरकार ने चालू वित्तीय वर्ष में बॉन्ड के जरिए 12 हजार करोड़ का कर्ज ले चुकी है। जानकारों के मुताबिक मध्यप्रदेश सरकार 3 लाख करोड़ से अधिक के कर्ज के बोझ तले दबी हुई है। राज्य सरकार पर 3 लाख 29 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा का कर्ज बढ़ चुका है जो प्रदेश सरकार के कुल वर्षिक बजट से ज्यादा है। ऐसे में लगातार बढ़ते कर्ज से आर्थिक संकट का खतरा खड़ा हो गया है। 
 

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