उन्होंने कहा कि वर्तमान में मुख्यरूप से देश में दो राज्यों बुंदेलखंड एवं विदर्भ (महाराष्ट्र से) के गठन के मांग उठाई जा रही है। मध्यप्रदेश के बुंदेलखंड इलाके की जनता अब अलग बुंदेलखंड राज्य नहीं चाहती है, जबकि उत्तरप्रदेश के बुंदेलखंड इलाके के लोग अलग राज्य चाहते हैं।
केन्द्रीय मंत्री ने कहा कि मध्यप्रदेश में बुंदेलखंड क्षेत्र के लोगों की अलग राज्य के मांग अब नहीं रही है, क्योंकि मध्यप्रदेश में भाजपा का शासन आने के बाद इस क्षेत्र का काफी विकास हुआ है। इसलिए पिछले एक दशक से मध्यप्रदेश से अलग होने की बुंदेलखंड के लोगों ने अपनी मांग छोड़ दी है, जबकि उत्तरप्रदेश के बुंदेलखंड के लोग अलग होना चाहते हैं, लेकिन वह हिस्सा बहुत छोटा पड़ जाता है। वह अपर्याप्त है। उसमें उत्तरप्रदेश के अन्य हिस्से जैसे फतेहपुर, कानपुर जोड़ने के लिए वहां के लोगों की राय लेनी होगी और यह कोई एक व्यक्ति नहीं कर सकेगा। इसके लिए सब दलों की एक समिति बनाई जानी चाहिए।
भाजपा को छोटे राज्यों का पक्षधर बताते हुए केन्द्रीय मंत्री ने कहा कि देश में तेलंगाना को छोड़कर अधिकांश नए राज्यों (उत्तराखंड, छत्तीसगढ़ और झारखंड) का गठन एनडीए शासनकाल में हुआ है। इसके पीछे तर्क यह है कि छोटे राज्यों में प्रशासन के बेहतर प्रबंधन के चलते विकास तेजी से होता है। (भाषा)