दिग्गी बनाम सिंघार की जंग, बोले दिग्विजय, अनुशासन तोड़ने वाले पर हो कार्रवाई

विशेष प्रतिनिधि

शुक्रवार, 6 सितम्बर 2019 (15:10 IST)
भोपाल। मध्य प्रदेश में कांग्रेस में मचे घमासान में अनुशासन को लेकर सियासत गरमा गई है। पार्टी के अनुशासन को तार-तार करने वाले कैबिनेट उमंग सिंघार और दिग्विजय में अभी भी जंग जारी है। पूरे विवाद के बाद पहली बार भोपाल पहुंचे दिग्विजय ने कहा कि अनुशासनहीनता कोई भी करे, चाहे कितना भी बड़ा नेता हो उस पर कार्रवाई होनी चाहिए। वहीं दिग्विजय सिंह के इस बयान के बाद वन मंत्री उमंग सिंघार ने भी ट्वीट कर लिखा कि मेरा यह सुझाव है कि सभी को अनुशासन में रहना चाहिए।
 
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इससे पहले मीडिया से बात करते हुए पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने कहा कि वह संसद का सदस्य होने के नाते मंत्रियों को पत्र लिख सकते है। दिग्विजय ने कहा कि उनकी किसी से लड़ाई नहीं है,वह केवल विचाराधारा की लड़ाई लड़ रहे है। दिग्विजय ने पूरे विवाद को नया रुख देते हुए कहा कि जब उन्होंने भाजपा के आईटी सेल अध्यक्ष ध्रुव सक्सेना और बजरंग दल के नेता पर ISI  से मिलने के आरोप लगाकर कार्रवाई की मांग की उसके बाद यह पूरा विवाद खड़ा हुआ है।
 
 दिग्विजय ने कहा वह इस पूरे मुद्दे पर जो बुनियादी लड़ रहे है उसको कमजोर करने के लिए पूरे घटनाक्रम को खड़ा किया गया जिसके भाजपा को मौका मिल गया। दिग्विजय ने पूरे मामले को मुख्यमंत्री कमलनाथ और पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष सोनिया गांधी पर छोड़ते हुए कहा कि हर किसी को अनुशासन में रहना चाहिए चाहे नेता कितना बड़ा हो। उन्होंने कहा कि अनुशासनहीनता कोई भी व्यकित करें उस पर कोई कार्रवाई होनी चाहिए। वहीं अब तक वन मंत्री उमंग सिंघार पर कोई अनुशासनात्मक कार्रवाई नहीं होने पर कहा कि इस सवाल को मुख्यमंत्री और प्रदेश प्रभारी दीपक बारविया से पूछे।
 
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दिग्विजय सिंह ने अपने उपर लगे आरोप पर कहा कि अब यह पूरा प्रकरण कमलनाथ और सोनिया गांधी निर्णय करेंगे। दिग्विजय ने कहा कि उनको राजनीति करते 50 साल बीत गए है और कभी भी उन्होंने अपने लिए राजनीति नहीं की। उन्होंने मंत्रियों को जो भी पत्र लिखे है वह कांग्रेस कार्यकर्ताओं की मांग पर लिखे और इन्ही कार्यकर्ताओं के चलते प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बने है। वहीं अपने उपर लगे सरकार चलाने के आरोप पर सफाई देते हुए दिग्विजय सिंह ने कहा कि  कमलनाथ की शख्सियत इतनी कमजोर नहीं है कि उनको किसी का सहारा लेना पड़े ।
 

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