Arjun Ulupi in Mahabharat: महाभारत में कई ऐसी कहानियां हैं जो आज तक किसी ने सुनी भी नहीं होगी। पांचों पांडवों की एक पत्नी द्रौपदी थीं। लेकिन सभी ने अलग अलग भी विवाह किया था। जिसमें से एक पांडव की पत्नी एक जलपरी थी। जलपरी होने के साथ ही वह कई रहस्यमयी विद्याओं की जानकार भी थी। आखिर वह कौन थीं और किस पांडव की पत्नी थीं। जानिए उसका नाम और उसके रहस्य। ALSO READ: महाभारत के अश्वत्थामा अभी जिंदा है या कि मर गए हैं?
उलूली : अर्जुन के 3 पुत्र थे। द्रौपदी से जन्मे अर्जुन के पुत्र का नाम श्रुतकर्मा था। द्रौपदी के अलावा अर्जुन की सुभद्रा, उलूपी और चित्रांगदा नामक 3 और पत्नियां थीं। सुभद्रा से अभिमन्यु, उलूपी से इरावन, चित्रांगदा से बभ्रुवाहन नामक पुत्रों का जन्म हुआ। कहते हैं कि अपने ही पुत्र द्वारा अर्जुन मारे गए थे लेकिन उलूपी ने उन्हें जिंदा कर दिया था।ALSO READ: महाभारत के युद्ध में जब हनुमानजी को आया गुस्सा, कर्ण मरते-मरते बचा
कौन थीं उलूपी?
अर्जुन की चौथी पत्नी का नाम जलपरी नागकन्या उलूपी था। यह ऐरावत वंश के कौरव्य नामक नाग की कन्या थी। मान्यता अनुसार इसका विवाह एक बाघ से हुआ था जिसे गरुड़ ने मारकर खा लिया था जिसके चलते यह विधवा हो गई थीं। इसकी अर्जुन से मुलाकात गंगाद्वार पर हुई थी। उलूपी अर्जुन को देखकर मोहित हो गई थी। वह अर्जुन को पाताल लोक में ले गई और वहां उसने अर्जुन से विवाह का अनुरोध किया और फिर उनका विवाह हो गया।
अर्जुन और उलूपी का विवाह कैसे हुआ?
माना जाता है कि द्रौपदी, जो पांचों पांडवों की पत्नी थीं, 1-1 साल के समय-अंतराल के लिए हर पांडव के साथ रहती थी। उस समय किसी दूसरे पांडव को द्रौपदी के आवास में घुसने की अनुमति नहीं थी। इस नियम को तोड़ने वाले को 1 साल तक देश से बाहर रहने का दंड था।
अर्जुन और द्रौपदी की 1 वर्ष की अवधि अभी-अभी समाप्त ही हुई थी और द्रौपदी-युधिष्ठिर के साथ का 1 वर्ष का समय शुरू हुआ था। अर्जुन भूलवश द्रौपदी के आवास पर ही अपना तीर-धनुष भूल आए। पर किसी दुष्ट से ब्राह्मण के पशुओं की रक्षा के लिए लिए उन्हें उसी समय इसकी जरूरत पड़ी। अत: क्षत्रिय धर्म का पालन करने के लिए तीर-धनुष लेने के लिए नियम तोड़ते हुए वे द्रौपदी के निवास में घुस गए। बाद में इसके दंडस्वरूप वे 1 साल के लिए राज्य से बाहर चले गए। इसी दौरान अर्जुन की मुलाकात उलूपी से हुई और वे अर्जुन पर मोहित हो गईं। दोनों ने विवाह किया और 1 वर्ष तक साथ रहने के बाद अर्जुन पुन: अपने राज्य लौट आए।ALSO READ: रामायण और महाभारत के योद्धा अब कलयुग में क्या करेंगे?
1. उलूपी ने अर्जुन को जल में हानिरहित रहने का वरदान दिया था।
2. महाभारत युद्ध में अपने गुरु भीष्म पितामह को मारने के बाद ब्रह्मा-पुत्र से शापित होने के बाद उलूपी ने ही अर्जुन को शापमुक्त भी किया था।
3. अर्जुन के अपने पुत्र मणिपुर नरेश बभ्रुवाहन (चित्रांगदा का पुत्र) के हाथों मारे जाने पर उलूपी ने ही संजीवन मणिका द्वारा अर्जुन को पुनर्जीवित भी कर दिया था।
4. विष्णु पुराण के अनुसार अर्जुन से उलूपी ने इरावन नामक पुत्र को जन्म दिया था। इसी इरावन को भारत के सभी हिजड़े अपना देवता मानते हैं।
5. उलूपी अर्जुन के सदेह स्वर्गारोहण के समय तक उनके साथ थी।