कुरुक्षेत्र के युद्ध में कौन किस योद्धा का वध करता है, जानिए

अनिरुद्ध जोशी

गुरुवार, 12 जुलाई 2018 (10:50 IST)
महाभारत का युद्ध 18 दिनों तक चला और लगभग 45 लाख सैनिक और योद्धाओं में हजारों सैनिक लापता हो गए, जबकि युद्ध के पश्चात कौरवों की तरफ से 3 और पांडवों की तरफ से 15 यानी कुल 18 योद्धा ही जीवित बचे थे जिनके नाम हैं- कौरव पक्ष के : कृतवर्मा, कृपाचार्य और अश्वत्थामा, जबकि पांडवों की ओर से युयुत्सु, युधिष्ठिर, अर्जुन, भीम, नकुल, सहदेव, कृष्ण, सात्यकि आदि। विदुर, संजय, बलराम और धृतराष्ट्र सहित कई लोगों ने इस युद्ध में भाग नहीं लिया था।
 
 
कौरवों की ओर से दुर्योधन व उसके 99 भाइयों सहित भीष्म, द्रोणाचार्य, कृपाचार्य, कर्ण, अश्वत्थामा, मद्र नरेश शल्य, भूरिश्रवा, अलम्बुष, कृतवर्मा कलिंगराज श्रुतायुध, शकुनि, भगदत्त, जयद्रथ, विन्द-अनुविन्द, काम्बोजराज सुदक्षिण और बृहद्वल युद्ध में शामिल थे।
 
पांडवों की ओर से युधिष्ठिर व उनके 4 भाई भीम, नकुल, सहदेव, अर्जुन सहित सात्यकि, अभिमन्यु, घटोत्कच, विराट, द्रुपद, धृष्टद्युम्न, शिखंडी, पांड्यराज, युयुत्सु, कुन्तिभोज, उत्तमौजा, शैब्य और अनूपराज नील युद्ध में शामिल थे। इसके अलावा पांडवों के पुत्र भी इस युद्ध में शामिल थे।
 
 
पांडव पक्ष के वीरगति को प्राप्त योद्धा : पांडवों की ओर से युयुत्सु, युधिष्ठिर, अर्जुन, भीम, नकुल, सहदेव, कृष्ण, सात्यकि को छोड़कर विराट और विराट के पुत्र उत्तर, शंख और श्वेत, सात्यकि के 10 पुत्र, अर्जुन पुत्र इरावान और अभिमन्यु, द्रुपद, द्रौपदी के 5 पुत्र, धृष्टद्युम्न, शिखंडी आदि वीरगति को प्राप्त हुए थे।
 
कौरव पक्ष के वीरगति को प्राप्त योद्धा : कौरवों की ओर से कृतवर्मा, कृपाचार्य और अश्वत्थामा को छोड़कर धृतराष्ट्र के दुर्योधन सहित सभी पुत्र, भीष्म, त्रिगर्त नरेश, जयद्रथ, भगदत्त, द्रोण, दुःशासन, कर्ण, शल्य आदि सभी युद्ध में मारे गए थे। इसके अलावा कलिंगराज भानुमान, केतुमान, अन्य कलिंग वीर, प्राच्य, सौवीर, क्षुद्रक और मालव वीर आदि भी मारे गए थे।
 
 
1. भीष्म ने किया वध : विराट नरेश के पुत्र उत्तर, शंख और श्वेत क्रमश: शल्य और भीष्म के द्वारा मारे गए। भीष्म द्वारा सात्यकि को युद्ध क्षेत्र से भगा दिया गया और सात्यकि के 10 पुत्र मारे गए। भीष्म ने पांचाल तथा मत्स्य सेना का भयंकर संहार किया था।
 
2.अर्जुन ने किया वध : अर्जुन ने अपने ही बड़े भाई कर्ण के रथ का पहिया जब एक जगह फंस गया था तब उसे असहाय जानकर कृष्ण के कहने पर उसका वध कर दिया था। अर्जुन ने सिंधु नरेश जयद्रथ का भी वध कर दिया था। अर्जुन ने शिखंडी की आड़ में भीष्म पितामह के शरीर को छलनी कर दिया था। अर्जुन इसके अलावा समस्त प्राच्य, सौवीर, क्षुद्रक और मालव क्षत्रियगणों को मार गिराते हैं। अर्जुन प्राग्ज्योतिषपुर (पूर्वोत्तर का कोई राज्य) के राजा भगदत्त से भयंकर युद्ध लड़कर बाद में उसका वध कर देते हैं। 
 
3.भीम ने किया वध : द्रौपदी के चीरहरण का बदला लेने के लिए भीम ने दु:शासन की छाती फाड़कर उसका रक्तपान किया था और दुर्योधन की जंघा उखाड़कर उसका वध कर दिया था। 100 कौरवों में से 97 को अकेले भीम ने ही मारा था। इसके आलावा अभिमन्यु को पीछे से मारने वाले दु:शासन के पुत्र दुर्मासन को भी उन्होंने ही मारा था। कर्ण के 9 पुत्रों को भीम, अर्जुन और नकुल-सहदेव ने मिलकर मारा था। भीम का कलिंगों और निषादों से भी युद्ध हुआ तथा भीम द्वारा सहस्रों कलिंग और निषाद मार गिराए गए थे। कौरवों की ओर से लड़ने वाले कलिंगराज भानुमान, केतुमान, अन्य कलिंग वीर योद्धा मार गए।
 
 
4. युधिष्ठिर ने किया वध : शल्य का युधिष्ठिर ने वध कर दिया था। शल्य नकुल और सहदेव के सगे मामा जबकि युधिष्ठिर के सौतेले मामा थे। हालांकि युधिष्ठिर ने कौरव सेना के कई सैनिकों का भी वध किया था।
 
5. नकुल और सहदेव ने किया वध : कर्ण के 9 पुत्रों को भीम, अर्जुन और नकुल-सहदेव ने मिलकर मारा था। सहदेव शकुनि को मार देता है।
 
6.दुर्योधन के किया वध : दुर्योधन पांडव सेना के कई वीर योद्धाओं का वध करता है।


7. सात्यकि ने किया वध : सात्यकि ने कौरवों के अनेक उच्च कोटि के योद्धाओं को मार डाला जिनमें से प्रमुख जलसंधि, त्रिगर्तों की गजसेना, सुदर्शन, म्लेच्छों की सेना, भूरिश्रवा, कर्णपुत्र प्रसन थे। युद्ध भूमि में सात्यकि को भूरिश्रवा से कड़ी टक्कर झेलनी पड़ी। हर बार सात्यकि को कृष्ण और अर्जुन ने बचाया। भूरिश्रवा, सात्यकि को मारना चाहता था तभी अर्जुन ने भूरिश्रवा के हाथ काट दिए, वह धरती पर गिर पड़ा तभी सात्यकि ने उसका सिर काट दिया।
 
 
8.घटोत्कच ने किया वध : घटोत्कच द्वारा दुर्योधन पर शक्ति का प्रयोग किया गया, परंतु बंग नरेश ने दुर्योधन को हटाकर शक्ति का प्रहार स्वयं के ऊपर ले लिया तथा बंग नरेश की मृत्यु हो जाती है। तब घटोत्कच कौरव पक्ष के हजारों सैनिकों को मार देता है। इस घटना से दुर्योधन के मन में मायावी घटोत्कच के प्रति भय व्याप्त हो जाता है। तब भीष्म की आज्ञा से भगदत्त घटोत्कच को हराकर भीम, युधिष्ठिर व अन्य पांडव सैनिकों को पीछे ढकेल देता है।
 
 
9.कर्ण ने किया वध : कर्ण ने दुर्योधन के कहने पर विशालकाय घटोत्कच का वध कर दिया था।इसके अलावा कर्ण ने युद्धिष्ठिर, भीम, नकुल और सहदेव को युद्ध में कई बार हराया था लेकिन कुंति को दिए गए वचन के कारण वह उनका वध नहीं कर पाया।
 
10. अभिमन्यु और जयद्रथ वध : अभिमन्यु ने चक्रव्यूह भेदने के बाद दुर्योधन के पुत्र लक्ष्मण का वध कर दिया था। बाद में अभिमन्यु को दुर्योधन, जयद्रथ सहित 7 लोगों ने घेरकर उसका वध कर दिया था। अभिमन्यु पर सबसे पहले जयद्रथ ने पीछे से वार किया था। यह बात जानकर अर्जुन ने प्रतिज्ञा ली थी कि कल सूर्योस्त से पूर्व जयद्रथ का वध करूंगा या आत्मदाह करूंगा। यह घोषणा सुनकर जयद्रथ को छुपा दिया गया। हालांकि श्रीकृष्ण की माया से समय से पूर्व ही सूर्यास्त कर दिया गया। ऐसे में अर्जुन द्वारा आत्मदाह करने के लिए चिता तैयार की गई थी तब सभी योद्धा ये तमाशा देखने के लिए इकट्ठे हो गए। इस बीच छुपा हुआ जयद्रथ भी बाहर निकल आया। जब उसे कृष्ण ने देखा तो अर्जुन को इशारा किया और तभी सभी ने देखा कि सूरज निकल आया है अभी तो सूर्यास्त हुआ ही नहीं है। यह देखकर जयद्रथ घबराकर भागने लगा लेकिन अर्जुन ने उसे भागने का मौका दिए बगैर उसकी गर्दन उतार दी।
 
 
यह भी कहते हैं कि कर्ण के कहने पर सातों महारथियों कर्ण, जयद्रथ, द्रोण, अश्वत्थामा, दुर्योधन, लक्ष्मण तथा शकुनि ने एकसाथ अभिमन्यु पर आक्रमण किया। लक्ष्मण ने जो गदा अभिमन्यु के सिर पर मारी वही गदा अभिमन्यु ने लक्ष्मण को फेंककर मारी। इससे लक्ष्मण की मृत्यु हो गई। बाद में जयद्रथ पीछे से वार कर अभिमन्यु को मार देता है।
 
11. अन्य वध :  द्रोण, द्रुपद और विराट को मार देते हैं। द्रोण अपने पुत्र अश्‍वत्थामा का वध होने जाने का झूठा समाचार सुनकर अस्त्र-शस्त्र त्याग देते हैं। द्रोणाचार्य को निहत्था देखकर श्रीकृष्ण के इशारे पर द्रौपदी के भाई धृष्टद्युम्न ने तलवार से उनका सिर काट डाला।
 
 
अर्जुन की दूसरी पत्नी उलूपी के पुत्र इरावान का बकासुर के पुत्र आष्ट्रयश्रंग (अम्बलुष) के द्वारा वध कर दिया जाता है। 
 
युद्ध के अंतिम दिन अश्वत्थामा द्वारा पांडवों के वध की प्रतिज्ञा ली जाती है। सेनापति अश्‍वत्थामा और कृपाचार्य कृतवर्मा के साथ मिलकर रात्रि में पांडव शिविर पर हमला कर देते हैं। अश्‍वत्थामा शिविर में सो रहे सभी पांचालों, द्रौपदी के पांचों पुत्रों, धृष्टद्युम्न तथा शिखंडी आदि का वध कर देता है। वह घोर पाप करता है। यह जानकर अर्जुन अश्वत्थामा का वध करने के लिए उसके पीछे दौड़ते हैं। 
 
पिता को छलपूर्वक मारे जाने का समाचार जानकर अश्वत्थामा दुखी होकर क्रोधित हो गए और उन्होंने ब्रह्मास्त्र का प्रयोग कर दिया जिससे युद्ध भूमि, श्मशान भूमि में बदल गई। यह देख कृष्ण ने उन्हें कलियुग के अंत तक कोढ़ी के रूप में जीवित रहने का शाप दे डाला।
 
युधिष्ठिर ने महाभारत युद्ध की समाप्ति पर बचे हुए मृत सैनिकों (चाहे वे शत्रु वर्ग के हों अथवा मित्र वर्ग के) का दाह-संस्कार एवं तर्पण किया था। इस युद्ध के बाद युधिष्ठिर को राज्य, धन और वैभव से वैराग्य हो गया।
 
 

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