अश्‍वत्थामा के जन्म नाम का रहस्य जानिए

शारद्वतीं  ततो   भार्यां  कृपीं   द्रोणोऽन्वविन्दत् ।
अग्रिहोत्रे च धर्मे च दमे च सततं रताम् ।। ४६ ।।- महाभारत (संभव पर्व)
 
अश्‍वत्थामा का जन्म अंगिरा गोत्र के भरद्वाज ऋषि के पुत्र द्रोणाचार्य के यहां हुआ था। उनकी माता ऋषि शरद्वान की पुत्री कृपी थीं। तपस्यारत द्रोण ने पितरों की आज्ञा से सन्तान प्राप्‍ति हेतु कृपी से विवाह किया। कृपी भी बड़ी ही धर्मज्ञ, सुशील और तपस्विनी थीं। दोनों ही संपन्न परिवार से थे।
 
अलभत गौतमी पुत्रमश्‍वत्थामानमेव च।
स जात मात्रो व्यनदद्‍ यथैवोच्चैः श्रवा हयः ।।४७।।
तच्छुत्वान्तर्हितं भूतमन्तरिक्षस्थमब्रवीत्। 
अश्‍वस्येवास्य यत् स्थाम नदतः प्रदिशो गतम् ।।४८।।
अश्‍वत्थामैव बाल्तोऽयं तस्मान्नाम्ना भविष्यति।
सुतेन तेन सुप्रीतो भरद्वाजस्ततोऽभवत्।।४९।।
 
जन्म लेते ही अश्‍वत्थाम ने उच्चैःश्रवा (अश्व) के समान घोर शब्द किया जो सभी दिशाओं और व्योम में गुंज उठा। तब आकाशवाणी हुई कि इस विशिष्ट बालक का नाम अश्‍वत्थामा होगा।
 

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