शारद्वतीं ततो भार्यां कृपीं द्रोणोऽन्वविन्दत् ।
अग्रिहोत्रे च धर्मे च दमे च सततं रताम् ।। ४६ ।।- महाभारत (संभव पर्व)
अश्वत्थामा का जन्म अंगिरा गोत्र के भरद्वाज ऋषि के पुत्र द्रोणाचार्य के यहां हुआ था। उनकी माता ऋषि शरद्वान की पुत्री कृपी थीं। तपस्यारत द्रोण ने पितरों की आज्ञा से सन्तान प्राप्ति हेतु कृपी से विवाह किया। कृपी भी बड़ी ही धर्मज्ञ, सुशील और तपस्विनी थीं। दोनों ही संपन्न परिवार से थे।